Arhar Farming Tips: किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर! अगर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल की तलाश में हैं, तो अरहर की खेती आपके लिए शानदार विकल्प है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने अरहर की बुवाई के लिए मौसम को अनुकूल बताया है और किसानों को इसे बोने की सलाह दी है। खास बात ये है कि IARI ने कुछ उन्नत किस्में और वैज्ञानिक तरीके सुझाए हैं, जिनसे फसल की पैदावार कई गुना बढ़ सकती है। आइए जानें, कैसे अरहर की खेती आपके खेतों को हरा-भरा और जेब को भारी बना सकती है।
IARI की उन्नत अरहर किस्में
अरहर की खेती में सही बीज का चुनाव मुनाफे की कुंजी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कई ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो कम समय में पकती हैं, रोगों से लड़ने की ताकत रखती हैं, और ज्यादा पैदावार देती हैं। इनमें पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 991, पूसा 992, पारस, और मनक जैसी किस्में शामिल हैं। ये किस्में उत्तर भारत के मौसम और मिट्टी के लिए खास तौर पर तैयार की गई हैं। IARI के वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रमाणित बीज चुनने से किसान न सिर्फ अच्छी फसल पा सकते हैं, बल्कि बाजार में बेहतर दाम भी कमा सकते हैं।
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बीज शोधन: फसल की सेहत का राज
अरहर की फसल को तगड़ा बनाने के लिए बीज बोने से पहले उसका शोधन जरूरी है। IARI के वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि अरहर के बीजों को राइजोबियम कल्चर और फॉस्फेट घुलनशील जीवाणु (PSB) से उपचारित करें। ये जीवाणु मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाते हैं, जिससे पौधे मजबूत होते हैं और पैदावार में इजाफा होता है। बीज शोधन की ये प्रक्रिया आसान है और इसे नजदीकी कृषि केंद्र से मिलने वाले निर्देशों के साथ किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस छोटे से कदम से फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में फर्क पड़ता है।
नमी प्रबंधन
अरहर की खेती में खेत की नमी का खास ध्यान रखना पड़ता है। IARI के अनुसार, बीजों का अंकुरण अच्छा होने के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह जोत लें और अगर बारिश कम हो, तो हल्की सिंचाई करें। जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहाँ ड्रिप इरिगेशन जैसे तरीकों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। नमी बनाए रखने के लिए खेत में जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद, डालना फायदेमंद रहता है। ये न सिर्फ मिट्टी को उपजाऊ बनाता है, बल्कि फसल को भी ताकत देता है।
मुनाफे का शानदार जरिया
अरहर की खेती छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है। बाजार में दाल की डिमांड हमेशा बनी रहती है, और IARI की उन्नत किस्में इस डिमांड को पूरा करने में मदद करती हैं। सरकार भी अरहर जैसी दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए बीज और उर्वरक पर सब्सिडी दे रही है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और पूसा अरहर-16 जैसे प्रमाणित बीज मंगवाएं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सही किस्म और सही तकनीक से अरहर की खेती किसानों की आय को दोगुना कर सकती है।
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