JHD-19-4 Dinanath grass Variety: Indian Council of Agricultural Research (ICAR) ने हाल ही में एक नई और बेहतर किस्म JHD-19-4 (Bundel Dinanath-3) की घोषणा की है, जो Dinanath घास की खेती को नई ऊँचाई देने जा रही है। यह घास खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए तैयार की गई है, जहाँ Dinanath घास की खेती होती है, और इसे खरीफ सीजन में समय पर बोया जाए तो यह बारिश के सहारे भी अच्छी पैदावार देती है।
ICAR का कहना है कि यह किस्म किसानों के लिए फॉरेज उत्पादन को बढ़ाने का शानदार जरिया बन सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो मवेशियों के लिए चारा उगाते हैं। ट्वीट की फोटो में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस घास की खासियतें इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती हैं, जो इसे खेती के लिए मुफीद बनाती है।
JHD-19-4 के खास फीचर्स और फायदे
JHD-19-4 Dinanath घास की खासियतों में सबसे पहले यह है कि यह उच्च क्षेत्रीय हरे चारे का उत्पादन देती है, जो मवेशियों के लिए रोजाना के चारे की जरूरत को पूरा करती है। इसके अलावा, यह घास बेहतर बीज पैदावार भी देती है, जिससे किसान बीज बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। घास की गुणवत्ता शानदार है, जो पशुओं को पौष्टिक आहार देती है और दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है।
ये भी पढ़ें- एक एकड़ में हरियाली ही हरियाली, कोराई घास से कमाई कीजिए प्रति एकड़ 3 लाख रूपये
सबसे बड़ी बात यह है कि यह किस्म पत्ती के धब्बे रोग और पत्ती तोड़ने वाले कीड़ों के प्रति मध्यम स्तर का प्रतिरोध रखती है, जिससे फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है। ICAR ने इसे सभी Dinanath-उगाने वाले क्षेत्रों और खरीफ सीजन में बारिश के सहारे उगाने के लिए उपयुक्त बताया है, जो इसे छोटे किसानों के लिए भी आसान बनाता है।
JHD-19-4 (Bundel Dinanath-3) #ICAR @PMOIndia @ChouhanShivraj @PIB_India @AgriGoI @mygovindia pic.twitter.com/HqarpKst4z
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) July 3, 2025
किसानों के लिए सही समय और परिस्थितियाँ
ICAR के मुताबिक, JHD-19-4 को खरीफ सीजन में समय पर बोया जाना चाहिए, ताकि यह अपनी पूरी क्षमता दिखा सके। यह घास बारिश के सहारे उगाई जा सकती है, यानी सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती, जो छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है। यह सभी Dinanath-उगाने वाले क्षेत्रों में उपयुक्त है, चाहे वह मैदानी इलाका हो या हल्की ऊँचाई वाला क्षेत्र। समय पर बुआई और बारिश का सही इस्तेमाल इस घास को और फलदायी बनाता है, जिससे किसानों को कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन मिल सकता है। इसके लिए अच्छी मिट्टी की तैयारी और बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है।
ये भी पढ़ें- सब्जियां-फल नहीं, इस घास की खेती से किसान कमा रहें 6 महीने में लाखों, जानें तरीका, जानें तरीका!
फसल की देखभाल और उत्पादन बढ़ाने के टिप्स
JHD-19-4 की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी और बीज की गुणवत्ता पर खास ध्यान देना चाहिए। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेत में खरपतवार को नियंत्रित रखें, ताकि घास को पूरा पोषण मिले। इस किस्म की ऊँची पैदावार के लिए उचित अंतराल पर कटाई करनी चाहिए, जिससे नई शाखाएँ निकलें और उत्पादन बना रहे।
अगर कीट या रोग के लक्षण दिखें, जैसे पत्ती पर धब्बे या कीड़े, तो तुरंत स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें और जरूरी उपाय करें। यह घास की देखभाल में आसान होने के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी लाभकारी है, जो पशुपालन को मजबूत बनाएगी।
ICAR की यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और पशुपालन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। JHD-19-4 नई तकनीक और शोध का नतीजा है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगी। इस घास की खेती से न सिर्फ चारे की कमी दूर होगी, बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा होगा।
सरकार और ICAR के सहयोग से इस तरह की उन्नत किस्में देशभर के किसानों तक पहुँच रही हैं, जो खेती को लाभ का धंधा बना रही हैं। तो देर न करें, आज ही अपने नजदीकी कृषि केंद्र से JHD-19-4 के बीज और जानकारी लें और अपनी खेती को नई दिशा दें।
ये भी पढ़ें- मक्का-नेपियर घास की खेती: पशुओं को मिलेगा ताकतवर आहार, दूध उत्पादन होगा डबल