Brinjal Kashi Modak Variety: बैंगन की खेती हमारे गाँवों में पुराने जमाने से होती आई है। यह सब्जी हर घर की रसोई में पकती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। लेकिन अब खेती को और आसान और मुनाफेदार बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म तैयार की है, जिसका नाम है काशी मोदक। यह बैंगन की एक उन्नत किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है। खास तौर पर छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे इलाकों के लिए यह किस्म बहुत फायदेमंद है। आइए जानते हैं इसकी खासियत और खेती के तरीके।
काशी मोदक की खासियत
काशी मोदक एक छोटा, गोल और काले-बैंगनी रंग का बैंगन है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके फल छोटे और एकसार होते हैं, जिनकी औसत लंबाई 6.1 सेंटीमीटर और चौड़ाई 5.8 सेंटीमीटर होती है। हर फल का वजन करीब 75 ग्राम होता है। इसका हरा डंठल (कैलिक्स) इसे और आकर्षक बनाता है। एक पौधे से 45 से 60 फल तक मिलते हैं, जो छोटे और मझोले किसानों के लिए बड़ा फायदा है। इसकी पैदावार भी शानदार है। अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं, तो 250 से 260 क्विंटल तक फसल मिल सकती है। बाजार में इसके छोटे और चमकीले फल ग्राहकों को खूब पसंद आते हैं।
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— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) May 6, 2025
खेती का सही समय और जगह
यह किस्म खास तौर पर उन इलाकों के लिए बनाई गई है, जहां मिट्टी और मौसम बैंगन की खेती के लिए मुफीद है। छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के किसान इसे आसानी से उगा सकते हैं। बुवाई का सबसे अच्छा समय जून से जुलाई है, जब बारिश शुरू होती है। अगर आपके खेत में ड्रिप सिंचाई की सुविधा है, तो यह और भी बेहतर है। यह किस्म सामान्य मिट्टी में अच्छी तरह उगती है, लेकिन पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। खेत में पानी जमा होने से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं।
खेती का आसान तरीका
काशी मोदक की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करें। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए दो बार जुताई करें। इसके बाद गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। जैविक खाद से मिट्टी की ताकत बढ़ती है और फसल भी स्वस्थ रहती है। पौधों की बुवाई के लिए नर्सरी में पौध तैयार करें। जब पौधे 25-30 दिन के हो जाएं, तो उन्हें खेत में रोप दें। पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें ताकि उन्हें बढ़ने की पूरी जगह मिले। पहली सिंचाई रोपाई के बाद करें और फिर 7-8 दिन बाद पानी दें। बारिश के मौसम में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन सूखे की स्थिति में सावधानी बरतें।
देखभाल और रोग प्रबंधन
बैंगन की फसल में खरपतवार को समय-समय पर हटाना जरूरी है। इसके लिए हाथ से निराई करें ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। काशी मोदक में रोग कम लगते हैं, लेकिन फिर भी सावधानी बरतें। अगर पत्तियों पर कीड़े या फफूंद दिखे, तो नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें। यह तरीका फसल और पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित है। पौधों को समय-समय पर जांचते रहें और कमजोर पौधों को हटा दें।
बाजार में मांग और मुनाफा
काशी मोदक के छोटे और चमकीले फल बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। सब्जी मंडियों में यह 30 से 50 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। एक हेक्टेयर से 250 क्विंटल तक पैदावार होने पर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कई किसान इसे सीधे स्थानीय बाजारों में बेच रहे हैं, जिससे बिचौलियों का खर्च बचता है। इसके अलावा, यह किस्म होटल और रेस्तरां में भी खूब बिकती है, क्योंकि इसके छोटे फल पकाने में आसान होते हैं।
सरकारी मदद और सलाह
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने इस किस्म को विकसित किया है। आप नजदीकी कृषि केंद्र से इसके बीज ले सकते हैं। कई राज्यों में सब्जी की खेती के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। अपने गाँव के कृषि अधिकारी से संपर्क करें और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं।
काशी मोदक बैंगन की खेती छोटे और मझोले किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है। कम लागत और ज्यादा पैदावार के साथ यह आपकी मेहनत को रंग दे सकती है। इस किस्म को अपनाएं और अपने खेत को समृद्ध बनाएं।
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