VL माधुरी मटर: किसानों के लिए आई खाद्य फली वाली नई किस्म, देगी 13 टन की रिकॉर्ड उपज

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने किसानों के लिए एक और बड़ी सफलता हासिल की है। 4 नवंबर 2025 को लॉन्च की गई ‘VL माधुरी’ मटर की नई वैरायटी अब भारत में खाद्य फली मटर की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है। यह किस्म न सिर्फ पारंपरिक मटर की 40-45% फली बर्बादी को खत्म करेगी, बल्कि किसानों को 13 टन प्रति हेक्टेयर तक की रिकॉर्ड उपज भी दे सकती है। पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के लिए इसे खास तौर पर तैयार किया गया है, जहां यह मौसम की अनिश्चितता में भी टिकाऊ प्रदर्शन कर रही है।

खाद्य फली मटर: अब फेंकनी नहीं पड़ेगी फली

VL माधुरी को ICAR–Vivekananda Parvatiya Krishi Anusandhan Sansthan, अल्मोड़ा ने विकसित किया है। यह देश की पहली ऐसी मटर वैरायटी है जिसकी फलियां भी खाने योग्य हैं। पहले पारंपरिक मटर की फली को फेंक दिया जाता था, जिससे लगभग 40 से 45 प्रतिशत हिस्सा बेकार चला जाता था। लेकिन अब किसान फली और दानों दोनों से मुनाफा कमा सकते हैं।

VL माधुरी की फलियां कोमल, रसीली और मीठी होती हैं, जो सलाद, सूप और हल्के व्यंजनों के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। इसकी औसत उपज 13 टन प्रति हेक्टेयर तक है, जो देश के औसत 8.3 टन/हेक्टेयर (ICAR, 2023) से कहीं अधिक है। इस वैरायटी की सबसे खास बात यह है कि यह कम उर्वरक और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसानों की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।

मौसम और बाजार के लिहाज से सही समय पर लॉन्च

VL माधुरी का लॉन्च ऐसे समय हुआ है जब देश में मौसम की अनिश्चितता और मिट्टी की सेहत दोनों ही चिंता का विषय हैं। 2025 के अनियमित मॉनसून के बाद जब कई फसलों की पैदावार घटी, तब ICAR की यह वैरायटी किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई।
नवंबर का पहला पखवाड़ा मटर की बुवाई के लिए सबसे सही समय माना जाता है। इस अवधि में मिट्टी में नमी पर्याप्त रहती है और तापमान भी ठंडा होता है ऐसे में VL मधुरी तेजी से बढ़ती है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में ऑर्गेनिक खेती अपनाने वाले किसानों की संख्या 10% बढ़ी है, और यह किस्म जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है। बाजार में खाद्य फली मटर की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में। इसकी कीमत 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है, जिससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।

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खेती की विधि: किसानों के लिए आसान तरीका

VL माधुरी की खेती बहुत आसान है और इसके लिए जटिल तकनीक की आवश्यकता नहीं है।
किसान भाई अगर इसकी बुवाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए सामान्य कदम अपनाएँ

  • मिट्टी: दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। खेत की 2–3 बार जुताई करें और अच्छी जल निकासी का ध्यान रखें।

  • बीज मात्रा: प्रति हेक्टेयर 50–60 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।

  • खाद: बुवाई से पहले 10–12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।

  • बुवाई का समय: नवंबर के पहले हफ्ते में बुवाई करें।

  • दूरी: पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30–40 सेंटीमीटर रखें और बीज 2–3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ।

  • सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और हर 7–10 दिन पर हल्की सिंचाई दें।

  • खाद प्रबंधन: नाइट्रोजन 60 किलो और फॉस्फोरस 40 किलो प्रति हेक्टेयर डालें।

  • कीट नियंत्रण: रासायनिक दवाओं की जगह नीम का घोल या जैविक उपायों का प्रयोग करें।

किसान अपने नजदीकी ICAR केंद्रों से VL मधुरी के प्रमाणित बीज और प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं।

किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक

VL माधुरी मटर सिर्फ एक नई फसल नहीं, बल्कि किसानों की आय और पर्यावरण दोनों के लिए एक टिकाऊ विकल्प है। इस किस्म में कम उर्वरक और कीटनाशक की आवश्यकता होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। इससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करेगा।

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  • Shashikant

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