पशुपालकों की होगी चांदी! सरकार के बताए ये 5 काम बढ़ाएंगे मुनाफा कई गुना

Milk Production : पशुपालन में अगर सही तरीके अपनाए जाएं, तो लागत कम करके मुनाफा खूब बढ़ाया जा सकता है। सबसे जरूरी है पशुओं को बीमारियों से बचाना। इसके लिए समय पर टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है। टीकाकरण न सिर्फ पशुओं को बीमारियों से बचाता है, बल्कि उनकी उम्र और ताकत भी बढ़ाता है। मिसाल के तौर पर, गाय-भैंस को खुरपका-मुंहपका (FMD) और गलघोंटू जैसी बीमारियों से बचाने के लिए हर साल टीके लगवाएं। साथ ही, पेट के कीड़ों की दवा हर तीन-चार महीने में देना न भूलें। ये छोटा सा कदम बड़ा नुकसान बचा सकता है। इसके अलावा, पशुओं को साफ-सुथरे माहौल में रखें और उनके खाने-पीने का खास ख्याल रखें। अगर पशु स्वस्थ रहेंगे, तो दूध भी ज्यादा देंगे।

दूध उत्पादन बढ़ाने के देसी नुस्खे

हमारा देश दूध उत्पादन में दुनिया में नंबर एक है, लेकिन फिर भी पशुपालकों को उतना मुनाफा नहीं मिलता, जितना मिलना चाहिए। इसका बड़ा कारण है कि हमारे यहां प्रति पशु दूध की मात्रा कम है। इसे बढ़ाना कोई मुश्किल काम नहीं। बस थोड़ी समझदारी चाहिए। सबसे पहले, अच्छी नस्ल के पशु चुनें। देसी नस्लें जैसे साहीवाल, गिर या राठी गायें गर्मी और बीमारी को अच्छे से झेल लेती हैं। अगर प्रजनन के लिए अच्छी क्वालिटी का वीर्य इस्तेमाल करें, तो बछड़े-बछिया भी तंदुरुस्त होंगे।

खुराक का भी खास ध्यान रखें। पशुओं को हरा चारा, सूखा भूसा, दाना और मिनरल मिक्सचर संतुलित मात्रा में दें। मसलन, एक गाय को हर दिन 20-25 किलो हरा चारा और 2-3 किलो दाना देना ठीक रहता है। पानी हमेशा साफ और भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो। अगर आप देसी तरीके से गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट बनाकर खेत में डालेंगे, तो चारा भी अच्छा उगेगा और लागत कम होगी।

डिजिटल तकनीक

आजकल डिजिटल तकनीक ने पशुपालन को और आसान कर दिया है। मिसाल के तौर पर, काऊ बैल्ट जैसी चीजें अब पशुपालकों के लिए वरदान हैं। ये बैल्ट पशु की सेहत पर नजर रखता है। अगर पशु को बुखार है या कोई और परेशानी होने वाली है, तो पहले ही पता चल जाता है। इससे इलाज में देरी नहीं होती और दूध उत्पादन पर असर नहीं पड़ता। इसके अलावा, कुछ ऐप्स भी हैं, जो पशुओं की देखभाल, टीकाकरण और चारे की जानकारी देते हैं। इनका इस्तेमाल करके आप समय और पैसे दोनों बचा सकते हैं।

बछड़ा पालन

पशुपालन में बछड़ा या बछिया आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर इनकी सही देखभाल हो, तो ये बड़े होकर अच्छा मुनाफा दे सकते हैं। नवजात बछड़े को शुरुआती कुछ घंटों में मां का पहला दूध यानी खीस जरूर पिलाएं। ये उनके लिए ताकत का खजाना है। बछड़ों को साफ जगह पर रखें और समय पर टीके लगवाएं। अगर बछिया स्वस्थ होगी, तो भविष्य में वो ज्यादा दूध देगी।

सरकार की योजनाएं

सरकार पशुपालकों के लिए कई अच्छी योजनाएं चला रही है। जैसे, राष्ट्रीय पशुधन मिशन में पशु खरीदने और डेयरी शुरू करने के लिए लोन और सब्सिडी मिलती है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन देसी नस्लों को बढ़ावा देता है और अच्छे वीर्य की सुविधा देता है। पशु किसान क्रेडिट कार्ड से कम ब्याज पर लोन मिलता है, जिससे चारा, दवा और दूसरी चीजें खरीदने में आसानी होती है। अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या कृषि विभाग से इन योजनाओं की जानकारी लें और फायदा उठाएं।

महिलाओं की ताकत से डेयरी को बनाएं मुनाफे का धंधा

हमारे देश में डेयरी का ज्यादातर काम महिलाएं ही संभालती हैं। अगर उन्हें सही ट्रेनिंग और संसाधन मिलें, तो डेयरी की लागत कम हो सकती है। मसलन, महिलाओं को पशु चिकित्सा, चारा बनाने और डिजिटल टूल्स की ट्रेनिंग दी जाए, तो वो पशुपालन को और बेहतर कर सकती हैं। कई जगहों पर महिला डेयरी कोऑपरेटिव्स ने कमाल दिखाया है। आप भी अपने गांव में ऐसी पहल शुरू कर सकते हैं।

जैविक खेती और पशुपालन का मेल

पशुपालन को और फायदेमंद बनाने के लिए जैविक खेती से जोड़ा जा सकता है। पशुओं का गोबर और गौमूत्र खेतों में खाद और कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल करें। इससे चारा सस्ता होगा और दूध की क्वालिटी भी बढ़ेगी, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलेगा। मसलन, गौमूत्र और नीम की पत्तियों से बना घोल छिड़कने से कीट कम होते हैं और फसल स्वस्थ रहती है।

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  • Shashikant

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