भारत के गाँवों में खेती-किसानी सिर्फ़ आजीविका नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का हिस्सा है। कटहल की खेती इन दिनों किसान भाइयों के लिए कमाई का एक शानदार ज़रिया बन रही है। यह फल न सिर्फ़ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि डायबिटीज जैसे रोगों के लिए भी फायदेमंद है। बरसात का मौसम कटहल की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा समय है। चाहे आप इसे सब्जी के रूप में पकाएँ या पके फल का मज़ा लें, कटहल से न सिर्फ़ सेहत सुधरेगी, बल्कि आपकी जेब भी भरेगी। इस लेख में हम बात करेंगे कि कटहल की खेती कैसे शुरू करें, कौन-सी किस्में चुनें, और इससे कैसे मुनाफा कमाएँ।
कटहल क्यों है खास
कटहल एक ऐसा फल है जो खेत में उगता है और बाज़ार में बिकता है। इसका हरा फल सब्जी के रूप में गाँव-शहर हर जगह पसंद किया जाता है, और पका हुआ कटहल मीठा और रसीला होता है। आजकल डायबिटीज के मरीज़ों के लिए कटहल को रामबाण माना जा रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो खून में शक्कर की मात्रा को काबू में रखते हैं। यही वजह है कि बाज़ार में कटहल और इससे बने चिप्स, जैम, और मिठाइयों की माँग बढ़ रही है। बिहार जैसे राज्यों में, जहाँ खेती किसान की रीढ़ है, कटहल की खेती से अच्छी कमाई हो सकती है। यह फसल कम मेहनत में ज़्यादा फायदा देती है और मिट्टी को भी नुकसान नहीं पहुँचाती।
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खेती का सही समय और जगह
कटहल की खेती के लिए बरसात का मौसम सबसे मुफ़ीद है। जून और जुलाई के महीने में खेती शुरू करना सही रहता है। यह फल गर्म और नम जलवायु में अच्छा उगता है, खासकर जहाँ तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो और सालाना बारिश 1500 से 2500 मिलीमीटर तक हो। बिहार के मैदानी इलाकों, तटीय क्षेत्रों, और हल्की ढलान वाली ज़मीनों में कटहल की खेती आसानी से की जा सकती है। इसके लिए दोमट मिट्टी, जो हल्की अम्लीय हो (pH 6.0 से 7.5), और जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, सबसे बढ़िया है। अगर आप बिहार के समस्तीपुर या आसपास के इलाके में हैं, तो यह आपके लिए सुनहरा मौका है।
सही किस्में चुनें
कटहल की खेती में सही किस्म चुनना बहुत ज़रूरी है। बिहार जैसे क्षेत्रों के लिए कुछ खास किस्में हैं जो ज़्यादा फल देती हैं और जल्दी तैयार होती हैं।
खनमा एक ऐसी किस्म है जो जल्दी पकती है और छोटे खेतों के लिए अच्छी है।
स्वर्ण मनोहर दूसरी शानदार किस्म है, जिसमें पेड़ छोटे होते हैं, लेकिन फल बड़े और ज़्यादा मिलते हैं। एक पेड़ से 300 से 550 किलोग्राम तक उपज मिल सकती है।
अगर आप सब्जी के लिए कटहल उगाना चाहते हैं, तो स्वर्ण पूर्ति किस्म चुनें, जो इसके लिए सबसे बढ़िया है। ये सारी किस्में बिहार की जलवायु में अच्छा प्रदर्शन करती हैं और किसान भाइयों को मोटा मुनाफा दे सकती हैं।
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खेत की तैयारी और देखभाल
कटहल की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना ज़रूरी है। सबसे पहले एक मीटर लंबा, चौड़ा, और गहरा गड्ढा खोदें। इसमें 20 से 30 किलोग्राम गोबर की खाद, थोड़ी करंज खली, और एनपीके खाद मिलाकर भर दें। यह मिश्रण मिट्टी को ताकत देगा और पौधों को बढ़ने में मदद करेगा। पौधों को 8 से 10 मीटर की दूरी पर लगाएँ, ताकि उनकी जड़ें और टहनियाँ अच्छे से फैल सकें। बरसात में पानी की कमी नहीं होती, लेकिन यह ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो।
कीटों और रोगों से बचने के लिए समय-समय पर पेड़ों की जाँच करें और देसी कीटनाशकों, जैसे नीम के तेल, का इस्तेमाल करें। कटहल का पेड़ तीन से चार साल में फल देना शुरू करता है, और एक बार तैयार होने पर हर साल 50 से 250 फल दे सकता है। एक फल का वजन 5 से 30 किलोग्राम तक हो सकता है, जो बाज़ार में अच्छी कीमत लाता है।
कमाई के और रास्ते
कटहल की खेती से सिर्फ़ फल बेचकर ही नहीं, बल्कि इससे बने उत्पादों से भी कमाई हो सकती है। कटहल के चिप्स, जैम, आइसक्रीम, और मिठाइयाँ आजकल बाज़ार में खूब बिक रही हैं। कटहल के बीज भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिन्हें उबालकर या भूनकर बेचा जा सकता है। अगर आप इन उत्पादों को बनाने में थोड़ा निवेश करें, तो आपकी कमाई कई गुना बढ़ सकती है। बिहार के स्थानीय बाज़ारों में कटहल की अच्छी माँग है, और अगर आप जैविक तरीके से खेती करें, तो और भी ज़्यादा कीमत मिल सकती है। यह न सिर्फ़ आपकी जेब भरेगा, बल्कि गाँव के बाकी किसान भाइयों को भी प्रेरणा देगा।
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