सिर्फ 1 लीटर से बढ़ेगी उपज और घटेगा खर्च, जानिए IFFCO NPK Consortia का कमाल

आज के जमाने में खेती को आसान और फायदेमंद बनाने के लिए IFFCO ने NPK Consortia जैसा कमाल का समाधान लाया है। यह बायोफर्टिलाइजर खेत में केंचुओं की वृद्धि को बढ़ावा देता है और रासायनिक उर्वरकों की 25% तक बचत कराता है। इसके पीछे की खासियत यह है कि इसके सूक्ष्मजीव खेत में फैक्ट्री की तरह काम करते हैं और वहीं पोषक तत्व पैदा करने लगते हैं। यह न सिर्फ मिट्टी की सेहत सुधारता है, बल्कि फसल की पैदावार को भी बढ़ाता है। आज हम जानेंगे कि यह कैसे काम करता है, इसके फायदे क्या हैं, और इसे खेत में कैसे इस्तेमाल करें, ताकि आपकी मेहनत का पूरा फल मिले।

NPK Consortia क्या है

IFFCO NPK Consortia एक खास बायोफर्टिलाइजर है, जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश जैसे जरूरी पोषक तत्वों को मिट्टी में पहुंचाता है। इसमें राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, और फॉस्फो बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव होते हैं, जो मिट्टी में जाकर प्राकृतिक रूप से काम करते हैं। ये जीव हवा से नाइट्रोजन लेते हैं, फॉस्फोरस को घोलते हैं, और पोटाश को पौधों के लिए usable बनाते हैं। साथ ही, यह केंचुओं की संख्या बढ़ाता है, जो मिट्टी को हल्का और उपजाऊ बनाते हैं। इससे रासायनिक उर्वरकों की जरूरत कम होती है, जो खर्च बचाने के साथ-साथ पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है।

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मिट्टी और केंचुओं के लिए फायदा

केंचुए मिट्टी के लिए प्रकृति के सबसे बड़े दोस्त हैं, और NPK Consortia उनकी वृद्धि को बढ़ावा देता है। ये केंचुए मिट्टी में गड्ढे बनाते हैं, जिससे हवा और पानी का संचार बेहतर होता है। इससे मिट्टी की बनावट मजबूत होती है और जड़ों को पोषण मिलता है। सूक्ष्मजीव खेत में फैक्ट्री की तरह काम करके नाइट्रोजन को 25-30 किलो प्रति हेक्टेयर, फॉस्फोरस को 20-25 किलो प्रति एकड़, और पोटाश को 10-15 किलो प्रति हेक्टेयर तक पैदा करते हैं। यह प्रक्रिया मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बरकरार रखती है और रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी, और एमओपी की 50-60 किलो प्रति हेक्टेयर बचत कराती है।

फसल और मुनाफे में बढ़ोतरी

NPK Consortia का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार में 10-20% तक इजाफा होता है। गेहूं, धान, मक्का, और सब्जियों जैसे सभी फसलों के लिए यह फायदेमंद है। स्वस्थ मिट्टी और पोषक तत्वों की वजह से पौधे मजबूत होते हैं और बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। प्रति एकड़ 50-60 क्विंटल पैदावार होने पर, अगर बाजार में दाम 20-25 रुपये प्रति किलो हो, तो आय 1,00,000-1,50,000 रुपये तक पहुंच सकती है। लागत (बीज, पानी, मेहनत) लगभग 30,000-40,000 रुपये प्रति एकड़ आने पर शुद्ध लाभ 60,000-1,10,000 रुपये तक हो सकता है। यह बचत और मुनाफा किसानों के लिए सोने का मौका है।

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इस्तेमाल का सही तरीका

इस बायोफर्टिलाइजर को खेत में लगाने के लिए तीन तरीके अपनाए जा सकते हैं। पहला, बीज उपचार—4-5 मिलीलीटर NPK Consortia को 50-100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर बीजों को भिगोएं और 1 घंटे सूखने के बाद बोएं। दूसरा, पौधा उपचार—4-5 मिलीलीटर को 1 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई से पहले पौधों को 30 मिनट डुबोएं। तीसरा, मिट्टी में प्रयोग—500 मिलीलीटर से 1 लीटर को 40-50 किलो जैविक खाद या केंचुआ खाद में मिलाकर खेत में डालें और सिंचाई करें। इसे बुवाई से पहले या 45 दिन बाद तक इस्तेमाल कर सकते हैं। साफ और छायादार जगह पर स्टोर करें ताकि सूक्ष्मजीव जिंदा रहें।

पर्यावरण और सेहत के लिए बेहतर

रासायनिक उर्वरकों की जगह NPK Consortia का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए वरदान है। यह मिट्टी में जहरीले पदार्थों को नहीं छोड़ता और पानी को प्रदूषित नहीं करता। केंचुओं की बढ़ोतरी से मिट्टी की जैविक गतिविधि बढ़ती है, जो फसलों को सूखे और बीमारियों से बचाती है। इसके अलावा, यह पौधों में ग्रोथ हार्मोन बनाता है, जिससे जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार बढ़ती है। देसी तरीके जैसे नीम की खली के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से और फायदा मिलता है, जो मिट्टी को प्राकृतिक ताकत देता है।

NPK Consortia का इस्तेमाल करने से खेती का भविष्य सुरक्षित और मुनाफेमंद बन सकता है। अगली फसल के लिए मिट्टी में जैविक खाद और केंचुआ खाद डालें ताकि इसकी उर्वरता बनी रहे। अपने अनुभव को नोट करें और आसपास के किसानों से सलाह लें, क्योंकि उनकी तरकीबें नई तकनीकों से भी बेहतर हो सकती हैं। IFFCO इस बायोफर्टिलाइजर को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराता है, जो छोटे किसानों के लिए भी आसान है। सही देखभाल और समय पर प्रयोग से यह खेती को नया मुकाम दे सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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