किसान भाइयों, हल्दी तो हमारे खेतों की शान है। चाहे खाना हो, दवाई हो, या फिर पूजा-पाठ, हल्दी हर जगह छाई रहती है। अब हमारे खेतों में हल्दी की एक ऐसी नई किस्म आई है, जो न सिर्फ ज्यादा पैदावार देगी, बल्कि आपकी जेब भी भर देगी। कोझिकोड के भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) ने इस नई हल्दी किस्म का नाम रखा है IISR सूर्या। ये हल्के रंग की, खुशबूदार हल्दी खास मसाला और पाउडर उद्योग के लिए बनाई गई है। इसकी खेती से न सिर्फ किसानों को मुनाफा होगा, बल्कि बाजार में हल्दी की कमी भी दूर होगी। तो चलिए, इस नई किस्म की खासियत को देसी अंदाज़ में जानते हैं।
IISR सूर्या का जन्म कैसे हुआ?
इस नई हल्दी किस्म को बनाने में वैज्ञानिकों ने 10 साल तक पसीना बहाया है। भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझिकोड के वैज्ञानिक डॉ. डी. प्रसाद, एस. आरती, एन.के. लीला, एस. मुकेश शंकर और बी. शशिकुमार ने दिन-रात मेहनत करके इस किस्म को तैयार किया। उन्होंने संस्थान के हल्दी जर्मप्लाज्म कंजर्वेटरी से खास बीजों का चयन किया और क्लोनल सिलेक्शन की तकनीक से इसे बनाया। इस किस्म का नाम सूर्या इसलिए रखा गया, क्योंकि ये हल्दी खेतों में सूरज की तरह चमकेगी और किसानों की जिंदगी रोशन करेगी। इसे खासतौर पर केरल, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश के किसानों के लिए सुझाया गया है।
कितनी पैदावार देगी ये हल्दी?
अब बात करते हैं इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत की। IISR सूर्या हल्दी पुरानी हल्के रंग की किस्मों, जैसे मायडूकुर और सलेम लोकल, से 20-30% ज्यादा पैदावार देती है। अगर आप इसे अच्छे से उगाएं, तो ये प्रति हेक्टेयर 41 टन तक हल्दी दे सकती है। औसतन भी ये 29 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। यानी, भाइयों, अगर आपके पास एक बीघा जमीन है, तो आप 7-8 टन हल्दी आसानी से निकाल सकते हैं। इतनी पैदावार पुरानी किस्मों से कहीं ज्यादा है, और बाजार में हल्दी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए आपका मुनाफा भी बढ़ेगा।
मसाला उद्योग की पसंद, हल्का रंग और खुशबू
हल्दी का गहरा पीला रंग तो सबको पसंद है, लेकिन मसाला और पाउडर बनाने वाली कंपनियां हल्के रंग की हल्दी ज्यादा पसंद करती हैं। पुरानी हल्के रंग की किस्में, जैसे मायडूकुर और सलेम लोकल, कम पैदावार देती थीं, जिससे उनकी कमी रहती थी। कई बार तो व्यापारी हल्की और गहरी हल्दी को मिलाकर बेचते थे, जिससे क्वालिटी खराब हो जाती थी। लेकिन IISR सूर्या इस समस्या का पक्का हल है। इसका रंग हल्का और एकसमान है, और इसमें गजब की खुशबू है। इसमें करक्यूमिन की मात्रा 2-3% है, जो बाकी हल्की हल्दी किस्मों जितनी ही है, लेकिन इसकी ज्यादा पैदावार और बेहतर क्वालिटी इसे खास बनाती है।
किसानों के लिए क्यों है खास?
IISR सूर्या किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। ये न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती है, बल्कि बाजार में इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। खासकर जापान और यूरोप जैसे देशों में हल्के रंग की हल्दी की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसकी खेती से आप न सिर्फ स्थानीय बाजार में अच्छी कीमत पा सकते हैं, बल्कि निर्यात के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, ये किस्म लंबी अवधि (9 महीने) की है, जिसे अच्छे से उगाने पर आपको ज्यादा फायदा होगा। इसकी एकसमान क्वालिटी मसाला उद्योग की जरूरतों को पूरा करती है, जिससे व्यापारी इसे हाथों-हाथ लेंगे।
कैसे करें IISR सूर्या की खेती?
IISR सूर्या की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। खेत को अच्छे से तैयार करें, 3-4 बार जुताई करें और जमीन को समतल कर लें। बुवाई का सही समय फरवरी-मार्च का महीना है, जब मिट्टी में नमी बनी रहती है। rhizomes (गांठों) को 5-7 सेमी गहराई पर और 25-30 सेमी की दूरी पर लगाएं। खाद के लिए गोबर की खाद या जैविक खाद का इस्तेमाल करें। अगर रासायनिक खाद डाल रहे हैं, तो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की सही मात्रा का ध्यान रखें। समय-समय पर सिंचाई करें, खासकर फूल आने और गांठ बनने के समय। खरपतवार को समय पर हटाएं, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले।
हल्दी बोर्ड का साथ
किसान भाइयों, केंद्र सरकार ने हाल ही में निजामाबाद में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड बनाया है, जिसका मकसद हल्दी की खेती को बढ़ावा देना और किसानों की आमदनी बढ़ाना है। इस बोर्ड के पहले अध्यक्ष पल्ले गंगा रेड्डी हैं, और इसमें कई मंत्रालयों और निर्यातकों के लोग शामिल हैं। ये बोर्ड हल्दी के बीज, खेती की तकनीक और बाजार तक पहुंचाने में आपकी मदद करेगा। IISR सूर्या जैसी नई किस्म और हल्दी बोर्ड का साथ मिलकर आपके खेतों को सोना उगाने वाला बना देगा।
भाइयों, IISR सूर्या हल्दी की खेती शुरू करने से पहले अपने नजदीकी कृषि केंद्र या IISR से इसके बीज और खेती की पूरी जानकारी ले लें। अगर आप पहली बार इसकी खेती कर रहे हैं, तो छोटे खेत में इसे आजमाएं, और फिर बड़े पैमाने पर लगाएं। समय-समय पर खेत की देखभाल करते रहें, ताकि कोई छोटी-मोटी समस्या बड़ी न बन जाए। इस किस्म की हल्दी न सिर्फ आपके खेतों की शान बढ़ाएगी, बल्कि आपकी मेहनत को दोगुना मुनाफा देगी।
तो देर किस बात की? इस सीजन में IISR सूर्या को अपने खेत में उतारें, और देखें कि कैसे ये नई हल्दी आपके लिए मुनाफे का खजाना बन जाती है। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें।
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