मार्च-अप्रैल का मौसम शुरू होते ही रबी फसलें तैयार हो चुकी हैं, और अब किसान भाई ज़ायद फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। गेहूं, जौ, सरसों की कटाई हो रही है, और खेत अगली फसल के लिए तैयार हो रहे हैं। इस बीच खेती से लेकर पशुपालन तक कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने इसके लिए कुछ आसान सलाह दी हैं, ताकि गर्मी में भी फसल और पशु सुरक्षित रहें, और मुनाफा बढ़े। चलिए, आपको ये देसी टिप्स बताते हैं।
आग से बचाव का आसान तरीका
गर्मी शुरू होते ही खेतों में आग लगने का डर बढ़ जाता है। गेहूं और जौ की कटाई के बाद गट्ठर बनाएँ, पर इन्हें बिजली के तारों के नीचे न रखें। तारों में शॉर्ट सर्किट या चिंगारी से आग भड़क सकती है, और मेहनत से तैयार फसल जलकर खाक हो सकती है। गट्ठरों को खेत के खुले हिस्से में रखें, और पास में पानी का इंतजाम रखें, ताकि छोटी-मोटी आग पर काबू पाया जा सके।
गेहूं को गर्मी से बचाएँ
देर से बोया गया गेहूं अभी पक रहा है, और तापमान बढ़ने से इसके दाने कमजोर हो सकते हैं। इसे बचाने के लिए 0.5-1% पोटैशियम नाइट्रेट को पानी में मिलाकर फूल आने और दाना भरने के वक्त छिड़कें। ये फसल को गर्मी की मार से बचाएगा। साथ ही, खेत में नमी बनाए रखने के लिए 15-20 दिन में एक बार हल्की सिंचाई करें। पानी की कमी न हो, तो दाने मोटे और भरे हुए होंगे।
ज़ायद मक्का की सही देखभाल
ज़ायद मक्का को 5-6 बार पानी चाहिए। 10-12 दिन में एक बार सिंचाई करें, और खरपतवार साफ करने के लिए निराई-गुड़ाई करें। मिट्टी की जाँच करवा लें, और उसके हिसाब से खाद डालें। अगर जाँच न हो सके, तो 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। ये पोषक तत्व मक्के को ताकत देंगे, और पैदावार बढ़िया होगी।
फसल की बुवाई और भंडारण
ज़ायद फसलों को लाइनों में बोएँ, ताकि देखभाल आसान हो। गेहूं पक गया है, तो कटाई और मड़ाई के बाद अनाज को अच्छे से सुखा लें। भंडारण से पहले नमी 10% से ज्यादा न हो—इसे चेक करने के लिए दाँत से दबाएँ, अगर कट की आवाज आए, तो समझें अनाज तैयार है। सूखा अनाज ही लंबे वक्त तक सुरक्षित रहता है।
मूंगफली और उड़द की देखभाल
ग्रीष्मकालीन मूंगफली बोने के बाद पहला पानी तब दें, जब बीज जम जाएँ। 15-20 दिन बाद खरपतवार साफ करें। उड़द में थ्रिप्स कीट का ध्यान रखें—इसके लिए नीम का तेल पानी में मिलाकर छिड़कें। ये देसी तरीका कीटों को भगाएगा, और फसल को नुकसान नहीं होगा।
बढ़िया मूंग की किस्में चुनें
मूंग की बुवाई जल्दी खत्म करें, और पीला मोजैक से बचने वाली किस्में लगाएँ, जैसे स्वाती (KM-2195), विराट (IPM-205-7), शिखा (IPM-410-3), कनिका, वर्षा, आजाद मूंग-1, वसुधा वगैरह। ये किस्में ज्यादा फल देंगी और बीमारियों से बची रहेंगी।
सूरजमुखी और गन्ने का ध्यान
सूरजमुखी में पौधों के बीच 15-20 सेमी दूरी रखें, और कमजोर पौधों को हटा दें। गन्ने में काले चिकटे कीट दिखें, तो 5 लीटर क्लोरपाइरीफॉस को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। ये कीटों को काबू में रखेगा।
आम और दूसरी फसलों की देखभाल
सूरन, बंडा और अरबी की बुवाई तब करें, जब पानी का इंतजाम पक्का हो। आम में भुनुगा कीट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड और प्रोफेनोफॉस छिड़कें। पाउड्री मिल्ड्यू रोग के लिए डाइनोकैप (कैराथीन) का इस्तेमाल करें। ये उपाय फसल को स्वस्थ रखेंगे।
पशुओं का टीकाकरण करवाएँ
पशुओं में खुरपका-मुंहपका (FMD) और बकरियों में PPR की बीमारी से बचने के लिए मुफ्त टीकाकरण करवाएँ। पशुपालन विभाग ये सुविधा दे रहा है। समय पर टीका लगवाएँ, ताकि जानवर सुरक्षित रहें।
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