उत्तर प्रदेश: लखनऊ सहित प्रदेश के 49 गांव में प्राकृतिक खेती शुरू करने की सरकार की योजना है। जिनमे 26 जिलों में केंद्र सरकार और 23 जिलों में प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी । देसी गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढावा देने की प्रदेश सरकार की मंशा के सापेक्ष इसे पूरा करने की तैयारी पूरी हो गयी है नए साल में गंगा गोमती के किनारे पांच किमी की परिधि के गांवों के किसानो के चयन पूरा हो चुका है। किसानों के चयन के साथ ही एक हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती को लेकर तैयारियां पूरी हो गयी हैं किसानो का समूह बनाकर 1200 किसानों को इसमें शामिल किया गया है। सभी को प्रशिक्षण के साथ ही प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में बताया जाएगा ।
प्राकृतिक खेती क्या है?
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र सिंह बताया कि प्राकृतिक खेती शून्य लागत वाली खेती है जिसकी खाद की फैक्ट्री देसी गाय और दिन रात काम करने वाले मित्र केचुआ हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती की विधि विज्ञान आधरित है।
“प्राकृतिक खेती में मिट्टी में कोई खाद नही डाली जाती है ,जो भी फसल बोई जाती है उसे प्राकृतिक ढंग से बढ़ने ,फलने फूलने दिया जाता है, यहाँ तक की बुआई के बाद मिट्टी की निराई गुड़ाई भी नही जाती है ,इससे किसानों के लागत में 35 से 40 प्रतिशत कमी आ जाती है।”
जैविक खेती एवम प्राकृतिक खेती में अंतर
1. खाद
जैविक खेती में कम्पोस्ट खाद का प्रयोग किया जाता है जबकि प्राकृतिक खेती में कोई खाद नही डाला जाता है।
2. निराई गुड़ाई
जैविक खेती में अच्छी तरह जुताई एवम फसल की निराई गुड़ाई की जाती है
जबकि प्राकृतिक खेती में निराई गुड़ाई की जरूरत नही होती।
3. लाग
प्राकृतिक खेती में मिट्टी ,पानी और सूरज की रोशनी का उपयोग किया जाता है,जबकि जैविक खेती में लागत रसायनिक खेती जितना ही आ जाती है।
4. प्रकृति के करीब
जैविक खेती में खाद और जैविक रसायनों का उपयोग किया जाता है जबकि प्राकृतिक खेती में किसी भी खाद का इस्तेमाल नही किया जाता ,इसलिए यह ज्यादा शुद्ध, पौष्टिक और नेचुरल है।
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