India Maldives Tuna Agreement: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मालदीव दौरे ने भारत-मालदीव संबंधों में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच मछली पालन को लेकर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जो समुद्री संसाधनों के दोहन और आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा। इस समझौते का केंद्र बिंदु टूना मछली पालन है, जिसमें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, फिशरीज टूरिज्म को बढ़ावा देने, और बुनियादी ढांचे के विकास पर सहयोग शामिल है। केंद्रीय मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, मालदीव कोल्ड स्टोरेज और हैचरी में निवेश करेगा, जबकि दोनों देशों के मत्स्य विभाग मिलकर प्रशिक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, और मछली पालन से जुड़े क्षेत्रों में सहयोग करेंगे। यह समझौता न केवल मछुआरों की आय बढ़ाएगा, बल्कि भारत के सीफूड निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगा। आइए, इस समझौते के उद्देश्यों, टूना मछली के महत्व, और इसके व्यापक आर्थिक-सामाजिक लाभों को विस्तार से समझते हैं!
टूना मछली: भारत-मालदीव के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
भारत का सीफूड निर्यात वर्तमान में 84,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, और सरकार का लक्ष्य इसे अगले कुछ वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये तक ले जाना है। वर्तमान में झींगा 50% से अधिक निर्यात हिस्सेदारी रखता है, लेकिन टूना मछली अब एक नया केंद्र बिंदु बन रही है। इसके पीछे का कारण भारत के विशाल समुद्री संसाधन हैं, विशेष रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जहां 6 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है। इस क्षेत्र में उच्च मूल्य की प्रजातियां, खासकर टूना, की उपलब्धता अनुमानित 60,000 मीट्रिक टन है, जबकि भारत के समग्र EEZ में लगभग 2 लाख टन टूना मछली मौजूद है। हालांकि, सर्वेक्षण बताते हैं कि केवल 25,000 टन ही पकड़ी जा रही है, जो इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं को दर्शाता है। येलोफिन और स्किपजैक जैसी टूना प्रजातियां देश में प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं, और इनका सही दोहन भारत के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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क्लस्टर आधारित टूना फिशरीज योजना और प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत टूना मछुआरों के लिए विशेष पहलें शुरू की गई हैं। अंडमान और निकोबार को टूना क्लस्टर घोषित करने से अर्थव्यवस्था में वृद्धि, मछुआरों की आय में इजाफा, और देशव्यापी मछली पालन में संगठित विकास की उम्मीद जगी है। यह क्षेत्र टूना और अन्य उच्च मूल्य वाली प्रजातियों से भरा हुआ है, जिसका प्रभावी उपयोग अभी बाकी है।
मालदीव-भारत का सहयोग: प्रमुख पहल
इस समझौते के तहत दोनों देश निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे:
- ट्रांसपोर्ट और बुनियादी ढांचा: टूना मछली पालन में परिवहन को मजबूत करने और कोल्ड स्टोरेज, हैचरी जैसी सुविधाओं का विकास करना। मालदीव का निवेश इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करेगा।
- प्रतिस्पर्धा और निर्यात: वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग इकाइयों और मूल्य संवर्धन पर ध्यान देना। मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) और एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल (EIC) ने पोर्ट ब्लेयर में डेस्क कार्यालय स्थापित किए हैं, जो निर्यात को गति देंगे।
- निवेश और प्रशिक्षण: निवेशकों की भागीदारी, मछुआरों के लिए प्रशिक्षण, और क्षमता निर्माण पर जोर। दोनों देश वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सहायता के जरिए मछली पालन को आधुनिक बनाएंगे।
- गहरे समुद्र मछली पालन: गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की तकनीकों को बढ़ावा देना, जो अभी तक अप्रयुक्त संसाधनों का लाभ उठाएगा।
- फिशरीज टूरिज्म: समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना।
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आर्थिक और सामाजिक लाभ
इस समझौते से भारत के सीफूड निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है, जो लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। मालदीव के साथ सहयोग से टूना प्रोसेसिंग और निर्यात में सुधार होगा, जिससे मछुआरों की आय बढ़ेगी। अंडमान और निकोबार में टूना क्लस्टर के विकास से स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा, और फिशरीज टूरिज्म से पर्यटन उद्योग को बल मिलेगा। इसके अलावा, गहरे समुद्र मछली पालन से अप्रयुक्त संसाधनों का दोहन होगा, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा। मालदीव के कोल्ड स्टोरेज और हैचरी निवेश से आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी, जो निर्यात को और विश्वसनीय बनाएगा।
कुछ चुनौतियां और समाधान
हालांकि, गहरे समुद्र मछली पालन और प्रोसेसिंग में तकनीकी और वित्तीय चुनौतियां हो सकती हैं। इनका समाधान प्रशिक्षण, सरकारी सब्सिडी, और निजी निवेश के माध्यम से संभव है। दोनों देशों को मछुआरों को जागरूक करने और सतत मछली पालन प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान देना होगा।
साथियों के लिए प्रेरणा
इस समझौते का लाभ उठाएं और मछली पालन में नए अवसर तलाशें। नजदीकी मत्स्य विभाग, MPEDA, या EIC से संपर्क करें और अपनी आय को बढ़ाने की शुरुआत करें। भारत-मालदीव टूना मछली पालन समझौता दोनों देशों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस पहल से मछुआरों को सशक्त बनाएं और समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करें।
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