Indo-Israel farming: खेती को नया रंग देने का मौका आ गया है, भैया! भारत और इजराइल की साझेदारी ने किसानों के लिए नई राह खोली है। इजराइल की शानदार तकनीक, जैसे बूँद-बूँद पानी देने वाली ड्रिप इरिगेशन, पॉलिहाउस, और मज़बूत बीज, खेतों में क्रांति ला रहे हैं। इनसे कम पानी और कम खर्च में ज़्यादा फसल उगाई जा सकती है। 2008 में शुरू हुआ इंडो-इजराइल एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट (IIAP) किसानों को ये तकनीक सिखा रहा है, ताकि उनकी कमाई बढ़े और खेती आसान हो। आइए, देसी अंदाज़ में जानते हैं कि ये तकनीक कैसे काम करती है और कैसे आप अपने खेत को लहलहा सकते हैं।
बूँद-बूँद से खेतों में जान
इजराइल की ड्रिप इरिगेशन तकनीक खेती का असली जादू है। इसमें पानी को बूँद-बूँद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है। इससे 50-70% पानी की बचत होती है, जो उन इलाकों में बड़ी राहत है जहाँ पानी कम है। गेहूँ, मिर्च, या अनार जैसी फसलों के लिए ये तकनीक कमाल की है। ड्रिप सिस्टम लगाने में शुरू में 20,000-50,000 रुपये खर्च हो सकते हैं, लेकिन सरकार की सब्सिडी से ये लागत आधी हो जाती है। इससे पानी और बिजली का बिल कम होता है, और फसल को सही समय पर सही मात्रा में पानी मिलता है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई किसान इस तकनीक से अपनी फसल की पैदावार दोगुनी कर रहे हैं। एक बार सिस्टम लगाने के बाद सालों तक फायदा मिलता है।
पॉलिहाउस में फसलों का कवच
इजराइल की पॉलिहाउस तकनीक फसलों को मौसम की मार से बचाती है। इसमें फसलों को ढके हुए माहौल में उगाया जाता है, ताकि बारिश, तेज़ धूप, या सर्दी का असर न पड़े। टमाटर, शिमला मिर्च, और गेंदे के फूलों की खेती के लिए ये तकनीक बहुत फायदेमंद है। पॉलिहाउस में सालभर फसल उगाई जा सकती है, और कीटों-बीमारियों से भी फसल सुरक्षित रहती है। इससे दवाइयों का खर्च कम हो जाता है। हरियाणा और महाराष्ट्र में बने इंडो-इजराइल सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस में किसानों को पॉलिहाउस बनाने और उसकी देखभाल का प्रशिक्षण मिल रहा है। इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और बाज़ार में अच्छा दाम मिलता है। छोटे खेतों के लिए 10×10 फीट का पॉलिहाउस भी काफी है।
पानी में फसल उगाने का नया तरीका
इजराइल की हाइड्रोपोनिक्स तकनीक बिना मिट्टी के फसल उगाने का अनोखा तरीका है। इसमें पौधों को पोषण वाला पानी दिया जाता है, जिससे वो तेज़ी से बढ़ते हैं। टमाटर, सलाद पत्ता, या धनिया जैसी फसलों के लिए ये तकनीक बहुत अच्छी है। कम जगह में ज़्यादा पैदावार मिलती है, और फसल जल्दी तैयार होती है। पुराने पाइप या गमलों में इसे छोटे स्तर पर शुरू किया जा सकता है। इससे पानी और खाद की बचत होती है, और फसल की गुणवत्ता शानदार रहती है। महाराष्ट्र में कई किसान हाइड्रोपोनिक्स से अनार और नींबू उगा रहे हैं, और उनकी कमाई पहले से दोगुनी हो गई है। बिजली की कमी हो, तो सोलर पैनल से बिजली का इंतज़ाम कर सकते हैं, जिससे खर्च और कम हो जाता है।
मज़बूत बीजों से बम्पर फसल
इजराइल के संकर बीज खेतों के लिए वरदान हैं। ये बीज कम पानी में भी अच्छी फसल देते हैं और कीटों-बीमारियों से लड़ने की ताकत रखते हैं। गेहूँ, मिर्च, अनार, और टमाटर की नई किस्में अब आसानी से मिल रही हैं। ये बीज कृषि केंद्रों या नर्सरी से सस्ते दामों पर मिलते हैं। सटीक खेती के लिए ड्रोन और सेंसर भी इस्तेमाल हो रहे हैं, जो खाद और पानी का सही समय और मात्रा बताते हैं। इससे फसल की लागत कम होती है और पैदावार बढ़ती है। उत्तर प्रदेश में कई किसान इन बीजों से गेहूँ और सब्ज़ियों की खेती कर रहे हैं, और उनकी फसल पहले से ज़्यादा मज़बूत और फायदेमंद हो रही है।
खेत में कैसे लाएँ ये तकनीक
इंडो-इजराइल तकनीक को शुरू करना कोई मुश्किल काम नहीं। सबसे पहले अपने खेत की ज़रूरत समझो। अगर पानी कम है, तो ड्रिप इरिगेशन लगाओ। नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संकर बीज और प्रशिक्षण लो। पॉलिहाउस या हाइड्रोपोनिक्स शुरू करने के लिए सरकार की सब्सिडी का फायदा उठाओ। बिहार, हरियाणा, और राजस्थान में बने सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस में मुफ्त ट्रेनिंग मिलती है। वहाँ ड्रिप सिस्टम, पॉलिहाउस, और बीजों की पूरी जानकारी दी जाती है। शुरू में छोटे स्तर पर, जैसे 10-20 पौधों से, शुरुआत करो। इससे अनुभव मिलेगा और नुकसान का डर नहीं रहेगा। फूलों या सब्ज़ियों की खेती से शुरू करो, क्योंकि इनकी बाज़ार में मांग ज़्यादा है।
कम खर्च में बड़ा मुनाफा
इजराइली तकनीक से खेती की लागत कम होती है और मुनाफा ज़्यादा। ड्रिप इरिगेशन से पानी और बिजली की बचत होती है, जिससे एक एकड़ की खेती का खर्च 10,000-15,000 रुपये तक कम हो जाता है। पॉलिहाउस में उगाई गई फसलें बाज़ार में 20-30% ज़्यादा दाम पाती हैं। हाइड्रोपोनिक्स से सालभर फसल ले सकते हैं, जिससे कमाई बढ़ती है। सरकार की सब्सिडी, जैसे 50% तक ड्रिप सिस्टम या पॉलिहाउस के लिए, लागत को और कम करती है। कर्नाटक में टमाटर और मिर्च की खेती करने वाले किसान इस तकनीक से लाखों कमा रहे हैं। इन तकनीकों से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और बाज़ार में अच्छा दाम मिलता है।
सरकार भी दे रही है सब्सिडी,
भारत और इजराइल की साझेदारी ने खेती को नई दिशा दी है। सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस, जैसे हरियाणा में सब्ज़ियों के लिए और राजस्थान में अनार के लिए, किसानों को प्रशिक्षण और तकनीक दे रहे हैं। सरकार की सब्सिडी और सस्ते लोन से ड्रिप सिस्टम या पॉलिहाउस लगाना आसान हो गया है। उत्तर प्रदेश में भी कई केंद्र खुल रहे हैं, जहाँ किसानों को मुफ्त सलाह और बीज मिलते हैं। इन तकनीकों को अपनाकर किसान न सिर्फ़ अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं, बल्कि खेती को मज़बूत और टिकाऊ बना सकते हैं।
इंडो-इजराइल तकनीक किसानों के लिए स्वरोजगार का सुनहरा मौका है। ड्रिप इरिगेशन, पॉलिहाउस, और संकर बीजों से कम पानी और खर्च में ज़्यादा फसल उगाइए। इन नुस्खों को आजमाकर अपने खेत को लहलहा बनाएँ और कमाई को नई उड़ान दें। अगर कोई सवाल हो, तो अपने इस भाई को ज़रूर बताना। हम मिलकर खेती को और आसान बनाएँगे!