इंडोनेशिया जल्द खुलेगा भारतीय मूंगफली के लिए बाजार, किसानों को मिलेगा नया बाजार अवसर

भारतीय किसानों के लिए अच्छी खबर है। इंडोनेशिया ने भारतीय मूंगफली के आयात पर लगाए गए प्रतिबंध को जल्द ही हटाने का संकेत दिया है। एफ्लाटॉक्सिन की समस्या के कारण सितंबर से बंद पड़े इस बाजार को फिर से खोलने के लिए एक इंडोनेशियाई टीम इस महीने के अंत में भारत का दौरा करने वाली है। इससे न केवल निर्यातकों को राहत मिलेगी, बल्कि गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे मूंगफली उत्पादक क्षेत्रों के किसानों की आय में भी इजाफा होगा। आइए जानते हैं कि इस प्रतिबंध के पीछे क्या कारण थे और अब स्थिति कैसे सुधर रही है।

प्रतिबंध की शुरुआत और इसका असर

सितंबर 2025 के पहले हफ्ते में इंडोनेशिया ने भारतीय मूंगफली के आयात पर अचानक रोक लगा दी थी। इसका मुख्य कारण खेपों में एफ्लाटॉक्सिन नामक जहरीले पदार्थ की अधिक मात्रा पाया जाना था। एफ्लाटॉक्सिन एक प्रकार का फफूंदीजन्य विष है, जो गर्म और नम मौसम में मूंगफली को प्रभावित करता है। यह पदार्थ लीवर को नुकसान पहुँचा सकता है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है।

इंडोनेशिया के संगरोध प्राधिकरण (आईक्यूए) ने 27 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया था, जो 3 सितंबर से प्रभावी हो गया। इससे भारत का एक बड़ा निर्यात बाजार ठप हो गया, क्योंकि इंडोनेशिया पिछले वित्त वर्ष में भारत से कुल 7.46 लाख टन मूंगफली में से 2.77 लाख टन आयात करता था। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस प्रतिबंध से दो महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 410 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

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इंडोनेशियाई टीम का दौरा

अब हालात बदलने की पूरी संभावना है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के चेयरमैन अभिषेक देव ने बताया कि इंडोनेशिया ने भारत के पत्र का सकारात्मक जवाब दिया है। इस महीने के अंत में आने वाली इंडोनेशियाई टीम भारतीय निर्यातकों और उत्पादकों की प्रक्रियाओं का जायजा लेगी। टीम मूंगफली के प्रसंस्करण, स्टोरेज और टेस्टिंग सुविधाओं का निरीक्षण करेगी।

अगर सब कुछ संतोषजनक पाया गया, तो आयात प्रतिबंध हट सकता है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यह दौरा सफल होने पर नवंबर से ही शिपमेंट फिर शुरू हो सकती हैं। एपीडा ने पहले ही सितंबर में आईक्यूए से संपर्क करके समस्या का समाधान मांगा था। निर्यातक भी इस बात पर नाराज थे कि इंडोनेशिया ने एफ्लाटॉक्सिन की समस्या की सूचना तीन महीने देरी से दी थी।

एफ्लाटॉक्सिन समस्या

एफ्लाटॉक्सिन की समस्या नई नहीं है। यह फंगस एस्परजिलस फ्लेवस के कारण होता है, जो भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों में मूंगफली की फसल को प्रभावित करता है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानकों के अनुसार, मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन की अधिकतम सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम है, लेकिन इंडोनेशिया ने इससे भी सख्त नियम अपनाए हैं। निर्यातकों का आरोप है कि इंडोनेशिया के टेस्टिंग मानक डब्ल्यूटीओ के अनुरूप नहीं हैं।

भारत सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं। एपीडा ने अप्रैल 2025 में ही लैब्स को सलाह दी थी कि मूंगफली के सैंपलिंग, एनालिसिस और पैकिंग में सख्ती बरतें। अब किसानों को सलाह दी जा रही है कि फसल कटाई के बाद तुरंत सुखाएं, साफ-सुथरे गोदामों में रखें और प्रमाणित लैब्स से टेस्टिंग करवाएं। इससे न केवल एफ्लाटॉक्सिन का खतरा कम होगा, बल्कि अन्य निर्यात बाजारों, जैसे वियतनाम और यूरोपीय संघ, में भी समस्या नहीं आएगी।

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किसानों और व्यापारियों के लिए फायदे

यह बाजार फिर खुलने से मूंगफली उत्पादक किसानों को सीधा लाभ होगा। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक देश है, और निर्यात से किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं। पिछले साल इंडोनेशिया को निर्यात से 274 मिलियन डॉलर की कमाई हुई थी। अब खरीफ फसल की कटाई शुरू हो चुकी है, खासकर गुजरात और राजस्थान में।

वर्तमान में मूंगफली का औसत मूल्य 4,885 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7,263 रुपये है। अगर निर्यात बढ़ा, तो कीमतें और चढ़ सकती हैं। छोटे व्यापारी और निर्यातक भी उत्साहित हैं, क्योंकि यह अवसर नई नौकरियां पैदा करेगा। एपीडा जैसी संस्थाएं किसानों को प्रशिक्षण और सब्सिडी भी दे रही हैं, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतर सकें।

सतर्कता और अवसर

इंडोनेशिया का बाजार फिर खुलना भारतीय मूंगफली उद्योग के लिए बड़ा अवसर है, लेकिन किसानों को सतर्क रहना होगा। फसल भंडारण में नमी से बचाव, समय पर छिड़काव और जैविक तरीकों का उपयोग एफ्लाटॉक्सिन को रोक सकता है। सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है, जैसे अधिक लैब्स को प्रमाणित करना और निर्यात प्रक्रिया को सरल बनाना। अगर आप मूंगफली की खेती करते हैं, तो स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करके नवीनतम दिशानिर्देश लें। यह न केवल आय बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय कृषि उत्पादों की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी मजबूत करेगा।

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  • Shashikant

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