Chilli Farming Tips: हरी मिर्च खाने का स्वाद बढ़ाती है। चटपटी चटनी हो या सब्जी, मिर्च के बिना मज़ा नहीं आता। लेकिन आजकल बदलता मौसम मिर्च की फसल के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। तापमान के उतार-चढ़ाव से कीटों का हमला बढ़ गया है। मिर्च की फसल पर पत्तियां खाने वाले और रस चूसने वाले कीट सबसे ज़्यादा नुकसान करते हैं। ये कीट पौधों की बढ़त रोक देते हैं, और फसल कम हो जाती है। बाजार की दवाइयों से कीट तो काबू में आते हैं, लेकिन मिट्टी की सेहत खराब हो जाती है। इसलिए देसी जैविक उपाय अपनाना बेहतर है, जो फसल और मिट्टी दोनों को सुरक्षित रखता है। आइए, इस उपाय को आसान अंदाज़ में समझें।
कीटों से फसल का नुकसान
मिर्च की फसल पर कीटों का असर खूब होता है। गर्मी हो या बारिश, ये कीट पत्तियों को चट कर जाते हैं या पौधे का रस चूस लेते हैं। इससे पौधे कमज़ोर हो जाते हैं, और मिर्च कम लगती है। कई बार किसान बाजार की कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करते हैं। लेकिन ये दवाइयाँ मिट्टी की उर्वरता कम कर देती हैं, और फसल का स्वाद भी बदल सकता है। कृषि जानकार सलाह देते हैं कि रासायनिक दवाइयों की जगह जैविक तरीके अपनाए जाएं। ये तरीके सस्ते हैं, और लंबे समय तक मिट्टी को तंदुरुस्त रखते हैं।
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नीम का घोल है सबसे असरदार
मिर्च की फसल को कीटों से बचाने का सबसे बढ़िया देसी उपाय है नीम की निंबोली का घोल। ये घोल पत्तियां खाने वाले और रस चूसने वाले कीटों को भगाने में कमाल करता है। नीम के पेड़ आसानी से मिल जाते हैं, और इस घोल को घर पर बिना ज़्यादा खर्चे के बनाया जा सकता है। हर 15 दिन में इस घोल का छिड़काव करने से कीटों पर काबू पाया जा सकता है। ये उपाय फसल को नुकसान से बचाता है, और मिट्टी की सेहत भी बनाए रखता है। कई किसान इस देसी नुस्खे से अपनी मिर्च की फसल को बचा रहे हैं।
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घोल बनाने की आसान प्रक्रिया
नीम का घोल बनाना इतना सरल है कि कोई भी किसान इसे आसानी से तैयार कर सकता है। इसके लिए 5 किलो नीम की निंबोली लेकर उसे अच्छे से कूटकर या पीसकर चूर्ण बना लें। फिर 20 लीटर की बाल्टी में 10 लीटर साफ पानी डालें, और उसमें ये चूर्ण मिलाकर दो दिन तक ढंककर रखें। दो दिन बाद मिश्रण को छान लें। जो गाढ़ा घोल बनेगा, वो छिड़काव के लिए तैयार है। 15 लीटर के पंप में 13.5 लीटर पानी लें और उसमें 1 लीटर नीम का घोल मिलाएं। इस मिश्रण को मिर्च के पौधों पर अच्छे से छिड़कें। हर 15 दिन में ये प्रक्रिया दोहराएं। इससे कीट कम होंगे, और फसल को कोई नुकसान नहीं होगा।
जैविक खेती के फायदे
नीम का घोल पूरी तरह जैविक और सस्ता है। इससे मिर्च की फसल सुरक्षित रहती है, और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। बाजार की दवाइयों पर खर्चा और निर्भरता कम होती है, और फसल का उत्पादन बढ़ता है। मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए ये उपाय रामबाण है। अगर मिर्च के पौधों पर कीट दिखें, तो इस घोल का छिड़काव ज़रूर करें। और जानकारी चाहिए, तो नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें। इस देसी नुस्खे से फसल लहलहाएगी, और मेहनत का पूरा फल मिलेगा।
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