International Tea Day: दुनिया भर में छाई भारत की ये 4 चाय, किसानों को बना रही हैं मालामाल

International Tea Day: 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर भारत की चाय की खुशबू फिर से दुनिया भर में गूंज रही है। भारत चाय उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है, लेकिन चाय के प्रति यहाँ के लोगों का प्यार बेमिसाल है। सुबह की पहली चाय से लेकर शाम की थकान मिटाने वाली चाय तक, ये पेय हर भारतीय के जीवन का हिस्सा है। सिरदर्द हो या थकान, चाय यहाँ किसी दवा से कम नहीं।

चाय की बढ़ती माँग ने भारत को न सिर्फ उत्पादन में बल्कि संस्कृति और अर्थव्यवस्था में भी चाय का सिरमौर बनाया है। इस खास दिन पर कांगड़ा, सिंगफो, बेरीनाग, और दार्जिलिंग जैसी चाय की किस्में दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस का मकसद चाय के सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को उजागर करना है। संयुक्त राष्ट्र ने 2019 से 21 मई को ये दिन मनाने की घोषणा की थी, ताकि चाय उत्पादन, व्यापार, और इससे जुड़े लोगों की मेहनत को सम्मान मिले। चाय की खेती से लेकर बिक्री तक, लाखों किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, और निर्यातकों को रोजगार मिलता है। ये दिन चाय की हर कप में छिपी मेहनत की कहानी को सामने लाता है और जिम्मेदार खपत की प्रथाओं को बढ़ावा देता है। भारत में चाय न सिर्फ एक पेय है, बल्कि ये संस्कृति, परंपरा, और अर्थव्यवस्था का प्रतीक है।

कांगड़ा चाय

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी की चाय अपनी अनूठी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है। 170 साल पुरानी कांगड़ा चाय को 2005 में भारत में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला, और बाद में यूरोपियन यूनियन ने भी इसे जीआई टैग देकर सम्मानित किया। कैमेलिया साइनेंसिस प्रजाति की पत्तियों, कलियों, और मुलायम तनों से बनी ये चाय न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। हाई ब्लड प्रेशर और अन्य रोगों में इसका इस्तेमाल होता है। महिलाएँ इसे खूबसूरती बनाए रखने के लिए हेल्थ ड्रिंक के रूप में पसंद करती हैं। कांगड़ा चाय की माँग देश-विदेश में लगातार बढ़ रही है।

सिंगफो चाय

असम और अरुणाचल प्रदेश के सिंगफो समुदाय को भारत में चाय पीने की परंपरा शुरू करने का श्रेय जाता है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से पहले सिंगफो लोग जंगली और घरेलू चाय की झाड़ियों से पत्तियाँ तोड़कर, भूनकर, सुखाकर, और बांस में पैक करके चूल्हे पर धुआँ देकर चाय बनाते थे। सिंगफो चाय की ये पारंपरिक विधि आज भी अनूठी है। अब इस चाय को फिर से जीवंत करने के प्रयास हो रहे हैं, ताकि इसकी खासियत नई पीढ़ियों तक पहुँचे। ये चाय न सिर्फ स्वाद में अलग है, बल्कि भारत की प्राचीन चाय संस्कृति का प्रतीक भी है।

ये भी पढ़ें- जबरदस्त खुशबु, होटलों और बाजार में बढ़ रही है मांग, कीजिए इस विदेशी धनिया की खेती, होगी छप्परफाड़ कमाई

बेरीनाग चाय

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का बेरीनाग इलाका अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ चाय के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की मिट्टी, मौसम, और ऊँचाई चाय की खेती के लिए आदर्श हैं। बेरीनाग चाय स्वाद में अनूठी और सेहत के लिए फायदेमंद है। स्थानीय किसान इसकी खेती से न सिर्फ रोजगार पा रहे हैं, बल्कि पारंपरिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। देश और विदेश में इसे हर्बल और हेल्दी चाय के रूप में पहचान मिल रही है। बेरीनाग चाय की बढ़ती माँग स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है।

दार्जिलिंग चाय

दार्जिलिंग चाय को “चाय की रानी” कहा जाता है। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में समुद्र तल से 6,000 फीट की ऊँचाई पर उगाई जाने वाली ये चाय अपने स्वाद, खुशबू, और रंग के लिए दुनिया भर में मशहूर है। ठंडा मौसम और नम मिट्टी इसे खास बनाते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को डिटॉक्स करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दिल की सेहत के लिए भी ये चाय फायदेमंद मानी जाती है। दार्जिलिंग चाय की माँग अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमेशा बनी रहती है, और ये भारत की शान बढ़ाती है।

चाय की खेती को बढ़ावा

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस चाय किसानों और मजदूरों की मेहनत को सम्मान देने का मौका है। भारत में चाय की खेती लाखों लोगों को रोजगार देती है। सरकार और निजी संस्थाएँ चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। सर्टिफाइड और जैविक चाय की माँग बढ़ने से किसानों को बेहतर कीमत मिल रही है। इस चाय दिवस पर किसानों को नजदीकी कृषि केंद्रों से संपर्क करके नई तकनीकों और सर्टिफाइड बीजों की जानकारी लेनी चाहिए। चाय की खेती से न सिर्फ आय बढ़ेगी, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत भी दुनिया तक पहुँचेगी।

ये भी पढ़ें- किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा जिप्सम, देखें डिटेल 

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment