israel Technology Drip irrigation: किसान भाइयों, खेती में मेहनत तो हम बरसों से करते आ रहे हैं, लेकिन अब नई-नई तकनीकें हमारे लिए सोने पे सुहागा बन रही हैं। इनमें से एक है ड्रिप इरीगेशन, जिसे इजरायली तकनीक भी कहते हैं। ये तकनीक इतनी आसान और फायदेमंद है कि इससे न सिर्फ फसल की पैदावार बढ़ती है, बल्कि पानी, मेहनत और पैसे की भी बचत होती है। चाहे पानी डालना हो या कीटनाशक छिड़कना, ये तकनीक हर काम को चुटकियों में कर देती है। तो चलिए, देसी अंदाज़ में समझते हैं कि ड्रिप इरीगेशन हमारे खेतों को कैसे लहलहा रहा है।
ड्रिप इरीगेशन क्या है?
ड्रिप इरीगेशन, या जैसा हम देसी में कहते हैं “टपक सिंचाई”, एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद पानी पहुंचाया जाता है। इसमें खेत में पतले-पतले पाइप बिछाए जाते हैं, जो एक पानी के टैंक या जार से जुड़े होते हैं। इन पाइपों में छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिनसे पानी सीधे पौधे की जड़ तक पहुंचता है। पुराने तरीके में हम खेत में क्यारियां बनाकर या नालियां खोदकर पानी डालते थे, जिसमें पानी बर्बाद होता था और मेहनत भी ज्यादा लगती थी। लेकिन ड्रिप इरीगेशन से पानी की एक-एक बूंद काम आती है, और फसल को सही समय पर सही मात्रा में नमी मिलती है।
पानी और मेहनत की बचत
पहले के जमाने में सिंचाई के लिए मजदूरों को बुलाना पड़ता था। कई बार घंटों मेहनत करने के बाद भी खेत के हर कोने तक पानी नहीं पहुंच पाता था। कीटनाशक छिड़कने के लिए भी पौधे-पौधे तक जाना पड़ता था, जिसमें समय और मेहनत दोनों खराब होते थे। लेकिन ड्रिप इरीगेशन ने ये सारा झंझट खत्म कर दिया। हरियाणा के युवा किसान सिंटू राणा बताते हैं कि इस तकनीक से न सिर्फ पानी सीधे जड़ों तक जाता है, बल्कि कीटनाशक भी पाइपों के जरिए आसानी से छिड़क सकते हैं। सबसे बड़ी बात, जब ड्रिप सिस्टम पानी डाल रहा होता है, तब आप खेत में दूसरा काम कर सकते हैं। यानी, समय और पैसे की डबल बचत।
फसल को गहरा पोषण, ज्यादा पैदावार
सिंटू भाई ने एक देसी उदाहरण दिया, जो बिल्कुल सटीक है। वो कहते हैं कि जैसे इंसान को 2 लीटर पानी पीने से ज्यादा फायदा तब होता है, जब उसे नस में ड्रिप से 750 मिली पानी दिया जाए, वैसे ही ड्रिप इरीगेशन फसल को गहराई से पोषण देता है। इस तकनीक से पानी और खाद सीधे पौधे की जड़ तक पहुंचते हैं, जिससे पौधा ज्यादा ताकतवर बनता है। नतीजा? फसल ज्यादा लहलहाती है, और पैदावार बढ़ जाती है। चाहे सब्जियां हों, फल हों, या फिर मसाले वाली फसलें, ड्रिप इरीगेशन हर फसल के लिए फायदेमंद है।
लागत कम, मुनाफा ज्यादा
ड्रिप इरीगेशन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये आपकी जेब का ख्याल रखता है। पुराने तरीके में पानी बर्बाद होने से बिजली या डीजल का बिल बढ़ जाता था। मजदूरों की मजदूरी अलग से लगती थी। लेकिन ड्रिप सिस्टम में पानी की बचत होती है, जिससे बिजली का खर्च कम होता है। साथ ही, मजदूरों की जरूरत भी कम पड़ती है। ये तकनीक एक बार लगाने में थोड़ा खर्चा जरूर मांगती है, लेकिन सरकार इसके लिए सब्सिडी भी दे रही है। एक बार सिस्टम लग जाए, तो सालों-साल आपकी फसल को फायदा देता है। बाजार में अच्छी पैदावार की अच्छी कीमत मिलने से आपका मुनाफा दोगुना हो जाता है।
ड्रिप इरीगेशन कैसे लगाएं?
ड्रिप इरीगेशन शुरू करने के लिए पहले अपने खेत का नक्शा तैयार करें। देखें कि कितने पौधे हैं और उनकी जड़ों तक पानी पहुंचाने के लिए कितने पाइप चाहिए। इसके बाद एक पानी का टैंक या जार लगाएं, जिसमें से पाइप निकलकर खेत में बिछाए जाएंगे। पाइपों में छोटे-छोटे छेद वाले ड्रिपर लगाए जाते हैं, जो हर पौधे तक पानी पहुंचाते हैं। अगर आप खाद या कीटनाशक डालना चाहते हैं, तो उसे भी टैंक में मिलाकर पाइपों के जरिए छिड़क सकते हैं। इस सिस्टम को लगाने के लिए अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें। वहां आपको सही सामान और सब्सिडी की जानकारी मिल जाएगी।
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