जानें कैसे इस आधुनिक सिंचाई मशीन से खेती होगी आसान और सरकार दे रही है ₹2 लाख की सब्सिडी

किसान भाइयों को तो अच्छे से पता है कि खेत का पानी खेत में रोकना कितना जरूरी है। अगर खेत में पानी की नमी बनी रहे, तो फसल अच्छी होती है, मिट्टी की ताकत बची रहती है, और बारिश का पानी बेकार बहने की बजाय जमीन के अंदर जाकर कुओं और तालाबों का जलस्तर बढ़ाता है। लेकिन सवाल ये है कि खेत का पानी खेत में कैसे रोका जाए? इसके लिए कुछ आसान और पुराने देसी नुस्खे हैं, जिन्हें आजकल की नई तकनीक के साथ मिलाकर हम अपनी खेती को और बेहतर बना सकते हैं। आइए, इन तरीकों को एक-एक करके समझते हैं।

मजबूत मेड़बंदी

खेत का पानी बचाने का सबसे पहला कदम है मजबूत मेड़बंदी। जब खेत की मेड़ें ऊँची और पक्की होती हैं, तो बारिश का पानी या सिंचाई का पानी बाहर नहीं बहता। कई बार हम देखते हैं कि मेड़ें टूटी-फूटी होती हैं, जिससे पानी रास्ता बनाकर बह जाता है। ऐसा न हो, इसके लिए हर सीजन की शुरुआत में मेड़ों को ठीक कर लें। मिट्टी को अच्छे से दबाकर मेड़ को मजबूत करें। अगर खेत बड़ा है, तो ट्रैक्टर की मदद से मेड़बंदी करें। इससे पानी खेत में रुकेगा और मिट्टी भी नहीं बहेगी।

गहरी जोताई

पुराने जमाने में हमारे बुजुर्ग कहते थे कि खेत को जितना गहरा जोतोगे, फसल उतनी अच्छी होगी। ये बात आज भी सही है। गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जोताई करने से मिट्टी पलट जाती है, जिससे पानी को सोखने की ताकत बढ़ती है। गहरी जोताई से खेत की ऊपरी सख्त परत टूटती है और पानी जमीन के अंदर तक जाता है। इससे खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहती है। जोताई के लिए देसी हल या ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि जोताई के बाद खेत को थोड़ा समतल कर लें, ताकि पानी एक जगह न रुके।

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लेजर लैंड लेवलिंग

अब बात करते हैं एक ऐसे तरीके की, जो आजकल बहुत चलन में है – लेजर लैंड लेवलिंग। ये एक नई मशीन है, जो खेत को बिल्कुल फुटबॉल के मैदान की तरह चिकना और समतल कर देती है। कई किसान भाई इस काम को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये खेती का सबसे जरूरी काम है। जब खेत समतल होता है, तो पानी पूरे खेत में बराबर फैलता है। इससे सिंचाई में आधा पानी बच जाता है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है। इस मशीन में GPS सिस्टम होता है, जो खेत की ऊँची-नीची जगहों को ढूँढकर मिट्टी को बराबर करता है।

लेजर लैंड लेवलिंग से खेत में पानी का इस्तेमाल कम होता है, क्योंकि पानी एक जगह जमा होने की बजाय पूरे खेत में बराबर फैलता है। इससे बीज भी एक साथ और अच्छे से उगते हैं, और फसल भी एक समय पर पकती है। खेत समतल होने से नालियों और मेड़ों की जरूरत कम पड़ती है, जिससे खेत का रकबा यानी खेती की जगह 3-6 फीसद तक बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, धान की फसल में 60 फीसद तक और गेहूँ-गन्ने की फसल में 40 फीसद तक पैदावार बढ़ सकती है। ये मशीन आधुनिक यंत्रों जैसे सीड ड्रिल या रेज्ड बेड के साथ भी आसानी से काम करती है, जिससे लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है।

मशीन पर अनुदान

अच्छी खबर ये है कि उत्तर प्रदेश की सरकार लेजर लैंड लेवलर मशीन खरीदने के लिए 50 फीसद या ज्यादा से ज्यादा दो लाख रुपये तक का अनुदान दे रही है। गाँव में होने वाली खेती की गोष्ठियों और मेलों में कृषि विभाग के अफसर इस मशीन के बारे में बता रहे हैं। अगर आपके गाँव में ऐसी कोई गोष्ठी हो, तो वहाँ जाकर पूरी जानकारी ले लें। ये अनुदान आपके लिए मशीन खरीदना आसान बना सकता है।

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खाद का सही इस्तेमाल

हमारे यहाँ किसान भाई यूरिया को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि ये सस्ती और अच्छी खाद है। लेकिन अगर खेत समतल नहीं है, तो यूरिया नीचे की तरफ रिस जाती है और पूरे खेत को बराबर फायदा नहीं मिलता। समतल खेत में यूरिया और दूसरी खाद पूरे खेत में एकसमान फैलती है, जिससे हर पौधे को बराबर पोषण मिलता है। इससे पौधे अच्छे से बढ़ते हैं और फसल की पैदावार भी बढ़ती है। साथ ही, खरपतवार, कीट और बीमारियों को कंट्रोल करना भी आसान हो जाता है।

गंगा के मैदानों में क्यों जरूरी है ये तकनीक

उत्तर प्रदेश के ज्यादातर खेत गंगा के मैदानी इलाकों में हैं, जहाँ धान और गेहूँ की खेती खूब होती है। यहाँ की मिट्टी उर्वर है और पानी भी भरपूर है, लेकिन बारिश और बाढ़ की वजह से मिट्टी बहने का खतरा रहता है। ऐसे में खेत को समतल करना और पानी को रोकना बहुत जरूरी है। जानकारों का मानना है कि गंगा के इन इलाकों से दूसरी हरित क्रांति शुरू हो सकती है। लेकिन इसके लिए हमें कम पानी में ज्यादा फसल उगाने की तकनीक अपनानी होगी। लेजर लैंड लेवलिंग और मजबूत मेड़बंदी जैसे तरीके इस काम को आसान बना सकते हैं।

कम पानी, ज्यादा फसल

आने वाले समय में पानी की कमी एक बड़ी चुनौती होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2050 तक भारत में खाद्यान्न की पैदावार 28 फीसद तक कम हो सकती है, और इसका सबसे ज्यादा असर गंगा के मैदानी इलाकों पर पड़ेगा। हिमालय की नदियों में पानी कम हो रहा है, और कुछ नदियाँ सूख भी सकती हैं। ऐसे में हमें अभी से कम पानी में ज्यादा फसल उगाने की तैयारी करनी होगी। लेजर लैंड लेवलिंग, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाकर हम इस चुनौती से निपट सकते हैं। साथ ही, सरकार की योजनाओं जैसे यूपी एग्रीज और ड्रोन खेती का फायदा उठाकर हम खेती को और आसान बना सकते हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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