Jafarabadi buffalo Palan: भाई बासिया एक ऐसी मिसाल हैं, जिन्होंने सिर्फ 8वीं तक पढ़ाई करने के बावजूद खेती और पशुपालन से लाखों रुपये की कमाई की है। उनकी जाफराबादी नस्ल की भैंस, जो 2 लाख रुपये की है, हर महीने 32,000 रुपये का दूध देती है। प्रतापभाई की मेहनत और समझदारी ने उन्हें अमरेली में एक बड़े पशुपालक के रूप में पहचान दिलाई है। इस लेख में उनकी सफलता की कहानी, जाफराबादी भैंस की खासियत, और पशुपालन के फायदों के बारे में बताया गया है।
प्रतापभाई की मेहनत और दूरदृष्टि
प्रतापभाई बासिया ने कम पढ़ाई के बावजूद कभी हार नहीं मानी। उन्होंने खेती के साथ पशुपालन को अपनाया और इसे एक लाभकारी बिजनेस में बदला। अमरेली जिले में कई किसान खेती के साथ पशुपालन कर रहे हैं, लेकिन प्रतापभाई ने जाफराबादी भैंस की उत्तम नस्ल को चुनकर अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी भैंस रोजाना 14 लीटर दूध देती है, जिसे वे 80 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचते हैं।
इस तरह एक भैंस से ही वे हर महीने 32,000 रुपये की कमाई कर लेते हैं। उनका दूध सावरकुंडला और आसपास के इलाकों में सप्लाई होता है, जहां इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। प्रतापभाई की मेहनत ने उन्हें न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि अमरेली में पशुपालकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनाया।
जाफराबादी भैंस दूध का खजाना
प्रतापभाई की सफलता का सबसे बड़ा राज उनकी जाफराबादी नस्ल की भैंस है। ये भैंस गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र, खासकर अमरेली, भावनगर, जामनगर, जूनागढ़, और राजकोट जैसे जिलों में पाई जाती है। इसका नाम जाफराबाद शहर से आया है, और इसे भावनगरी या गिर भैंस भी कहा जाता है। जाफराबादी भैंस का वजन 620 से 700 किलोग्राम तक होता है, और ये 5 फुट ऊंची और 8 फुट लंबी हो सकती है।
प्रतापभाई की भैंस 370 किलोग्राम वजन वाली है और 6 साल की उम्र में एक बार बियाने के बाद भी शानदार दूध दे रही है। ये नस्ल रोजाना 20 से 30 लीटर दूध दे सकती है, जो इसे डेयरी व्यवसाय के लिए बेहद कीमती बनाती है। इसकी कीमत 90,000 से 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है, और कुछ खास भैंसें 3.5 लाख रुपये तक बिकती हैं।
भैंस की देखभाल और खुराक
प्रतापभाई अपनी भैंस की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ते। वे इसे रोजाना 10 किलो पापड़ी, खल, और दाना, 2 किलो तिल का खल, और 3 से 4 मन हरा चारा देते हैं। सही खुराक और स्वच्छ माहौल की वजह से उनकी भैंस स्वस्थ रहती है और लगातार अच्छा दूध देती है। जाफराबादी भैंस की खासियत यह है कि ये गर्म और नम जलवायु में आसानी से ढल जाती है और बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी होती है। इसकी ऊंची प्रजनन दर भी पशुपालकों के लिए फायदेमंद है। प्रतापभाई का अनुभव दिखाता है कि सही देखभाल और पोषण से जाफराबादी भैंस डेयरी व्यवसाय में सोने का अंडा दे सकती है।
खेती और पशुपालन
अमरेली जिले में खेती और पशुपालन का संयोजन किसानों के लिए दोहरी कमाई का रास्ता बन रहा है। प्रतापभाई खेती के साथ पशुपालन को मिलाकर अपनी आय को कई गुना बढ़ा चुके हैं। अमरेली में कपास, मूंगफली, गेहूं, और ज्वार जैसी फसलें प्रमुख हैं, लेकिन पशुपालन ने किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया दिया है। जाफराबादी भैंस का दूध, गोबर से बनी जैविक खाद, और गौमूत्र जैसे उत्पाद खेती को और फायदेमंद बनाते हैं। प्रतापभाई की तरह कई किसान इस मॉडल को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। गोबर से जैविक खाद बनाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है, जिससे खेती की लागत कम होती है।
जाफराबादी भैंस की बाजार मांग
जाफराबादी भैंस की मांग अमरेली और गुजरात के अन्य हिस्सों में लगातार बढ़ रही है। इसका दूध उच्च गुणवत्ता वाला होता है, जिसमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है। ये दूध डेयरी उत्पादों जैसे घी, मक्खन, और पनीर बनाने के लिए आदर्श है। सावरकुंडला और आसपास के बाजारों में प्रतापभाई का दूध खूब बिकता है। सर्च रिजल्ट्स के अनुसार, जाफराबादी भैंस की कीमत और दूध उत्पादन की क्षमता इसे डेयरी व्यवसाय में एक कीमती संपत्ति बनाती है। अमरेली में इस नस्ल की करीब 25,000 भैंसें हैं, जो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देती हैं। इसकी मांग विदेशों में भी बढ़ रही है, जिससे पशुपालकों को निर्यात का मौका मिल सकता है।
पशुपालकों के लिए प्रेरणा
प्रतापभाई की कहानी उन सभी किसानों और पशुपालकों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में बड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं। सिर्फ 8वीं तक पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और समझदारी से पशुपालन को एक सफल बिजनेस में बदला। उनकी जाफराबादी भैंस न सिर्फ दूध का खजाना है, बल्कि अमरेली में पशुपालन की संभावनाओं को भी दिखाती है। जो लोग खेती के साथ पशुपालन शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए प्रतापभाई का मॉडल एक शानदार उदाहरण है। सही नस्ल, उचित देखभाल, और बाजार की समझ के साथ पशुपालन को लाभकारी बनाया जा सकता है।
पशुपालन शुरू करने की सलाह
जाफराबादी भैंस से पशुपालन शुरू करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, भैंस की उत्तम नस्ल चुनें और इसे विश्वसनीय स्रोत, जैसे प्रमाणित डेयरी फार्म या सरकारी केंद्रों से खरीदें। भैंस के लिए स्वच्छ और हवादार शेड बनाएं, ताकि वो स्वस्थ रहे। रोजाना संतुलित खुराक, जैसे हरा चारा, खल, और दाना, देना जरूरी है। नियमित टीकाकरण और पशु चिकित्सक की सलाह से भैंस को बीमारियों से बचाया जा सकता है। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या पशुपालन विभाग से संपर्क करके जाफराबादी भैंस की खेती, लोन, और सब्सिडी की जानकारी ली जा सकती है। गुजरात सरकार डेयरी विकास के लिए कई योजनाएं चलाती है, जो नए पशुपालकों के लिए मददगार हैं।
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