Jhumka Musturd Farming: रबी सीजन की शुरुआत में सरसों की बुवाई का सही समय है, और इस बार किसान भाई एक खास किस्म की ओर ध्यान दे रहे हैं। झुमका सरसों, जो अपने झुमके जैसे लटकते फलों के लिए नाम पाई है, साधारण सरसों से अलग पहचान बना रही है। ये किस्म न सिर्फ पैदावार में आगे है, बल्कि तेल की मात्रा भी ज्यादा होने से किसानों की जेब मजबूत हो रही है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अक्टूबर के मध्य से इसकी बुवाई शुरू करें तो-जनवरी-फरवरी तक कटाई हो सकती है, और प्रति एकड़ 10-14 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। साधारण टाइप 9 सरसों की तुलना में ये 20-30 दिन ज्यादा समय लेती है, लेकिन कम लागत में दोगुना फायदा देती है।
झुमका सरसों की ये खासियत किसानों को आकर्षित कर रही है, क्योंकि बाजार में तेल की डिमांड बढ़ रही है। उत्तर भारत के खेतों में जहां सरसों मुख्य रबी फसल है, ये किस्म छोटे-बड़े खेतों के लिए बिल्कुल फिट बैठती है। बुवाई के लिए बीज दर 4-5 किलो प्रति एकड़ रखें, और खेत को अच्छी तरह तैयार करें। सही देखभाल से ये फसल न सिर्फ मजबूत बढ़ती है, बल्कि रोगों से भी बचाव करती है।
एक किसान की मेहनत से बनी खास किस्म
झुमका सरसों की शुरुआत एक साधारण किसान की कोशिश से हुई। पश्चिम चंपारण के किसान कल्यान शुक्ला ने इसकी खेती आजमाई, और इसके फल झुमके जैसे लटकने से नाम पड़ा। उन्होंने दो एकड़ में बोया, और नतीजे देखकर हैरान रह गए सामान्य सरसों से कहीं ज्यादा उपज। ये किस्म स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि ये न सिर्फ ज्यादा तेल देती है, बल्कि बाजार में प्रीमियम दाम भी दिलाती है। कल्यान जैसे किसानों की कहानी बताती है कि सही किस्म चुनने से छोटे खेत भी बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।
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तेल की मात्रा ज्यादा, उत्पादन में साधारण से 30 फीसदी बढ़ोतरी
झुमका सरसों की सबसे बड़ी ताकत इसका तेल कंटेंट है, जो साधारण सरसों से 4-5 फीसदी ज्यादा होता है। जहां टाइप 9 में तेल 38-40 फीसदी रहता है, वहीं झुमका में ये 42-45 फीसदी तक पहुंच जाता है। इससे मिलिंग प्रोसेस में ज्यादा तेल निकलता है, और किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं। एक हालिया सर्वे में पाया गया कि कई जिलों में इसकी पैदावार साधारण किस्म से 30 फीसदी ज्यादा रही। प्रति एकड़ औसत उपज 12-15 क्विंटल है, जो अच्छी मिट्टी और समय पर सिंचाई से 18 क्विंटल तक भी जा सकती है।
किसान अनिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने पहली बार झुमका सरसों बोई, और नतीजे चौंकाने वाले थे। साधारण सरसों से जहां 10 क्विंटल मिला, वहीं यहां 14 क्विंटल से ज्यादा आया। तेल की क्वालिटी इतनी अच्छी थी कि खरीदारों ने प्रीमियम दाम चुकाए। ये किस्म उन किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है जो जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि इसमें कीटनाशकों की जरूरत कम पड़ती है।
मिट्टी और जलवायु
झुमका सरसों के लिए हल्की से मध्यम जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जहां पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो। रेतीली दोमट मिट्टी में ये तेजी से बढ़ती है, और जलभराव से बचाव जरूरी है क्योंकि जड़ें गल सकती हैं। ठंडा मौसम इसकी पसंद है न्यूनतम तापमान 10-15 डिग्री सेल्सियस पर बुवाई करें। खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और नमी बनी रहे। अगर मिट्टी की जांच करवा लें, तो उर्वरक का सही इस्तेमाल हो सकेगा।
स्टेप बाय स्टेप खेती विधि
झुमका सरसों की बुवाई सितंबर के मध्य से शुरू करें। बीजों को बोने से पहले 2-3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें ताकि फफूंद से बचाव हो। पंक्तियों में 20-25 सेंटीमीटर दूरी रखें। खाद के लिए प्रति एकड़ 20-25 टन गोबर की खाद डालें, साथ ही एनपीके 60:40:20 का अनुपात अपनाएं आधी नाइट्रोजन बुवाई पर, बाकी दो हिस्सों में। सिंचाई 2-3 बार दें: पहली 20-25 दिन बाद, दूसरी फूल आने पर। खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली गुड़ाई 15-20 दिन बाद करें।
कीटों से बचाव के लिए नीम तेल का छिड़काव करें, और रोग जैसे अल्टरनेरिया पर सल्फर आधारित फंगीसाइड इस्तेमाल करें। कटाई जब 70-80 फीसदी फल पक जाएं, तो फरवरी में करें। सुखाकर स्टोर करें ताकि तेल की गुणवत्ता बनी रहे। ये विधि अपनाने से उपज 14 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच सकती है।
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दो एकड़ में 20 हजार का अतिरिक्त फायदा
झुमका सरसों की खेती की लागत साधारण सरसों जितनी ही है, लेकिन रिटर्न कहीं ज्यादा। दो एकड़ में बुवाई के लिए लगभग 16 हजार रुपये खर्च आते हैं बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई मिलाकर। लेकिन 13-16 क्विंटल उपज से बाजार में 60-65 रुपये प्रति किलो की दर पर बिक्री हो जाती है, जिससे कुल कमाई 78-96 हजार तक पहुंच जाती है। साधारण सरसों से तुलना करें तो प्रति एकड़ 8-10 हजार रुपये का अतिरिक्त लाभ साफ दिखता है।
बाजार कीमतें स्थिर रहने से जोखिम कम है। सितंबर में बुवाई करें तो नवंबर तक पहली सिंचाई दें, और दिसंबर में दूसरी। एनपीके खाद का अनुपात 60:40:20 रखें, तो पौधे मजबूत होंगे। किसान भाई अगर मिट्टी की जांच करवा लें, तो और बेहतर नतीजे मिलेंगे। ये निवेश छोटे किसानों के लिए भी आसान है, क्योंकि लोन स्कीम्स के तहत बीज सब्सिडी मिल रही है।
क्यों चुनें झुमका?
साधारण टाइप 9 90 दिनों में तैयार हो जाती है, लेकिन झुमका के 130 दिनों का इंतजार फायदेमंद साबित होता है 2 क्विंटल ज्यादा उपज और ज्यादा तेल। अन्य टॉप किस्मों जैसे वरुणा या पूसा गोल्ड से तुलना करें तो झुमका का तेल कंटेंट आगे है, हालांकि वो कम समय लेती हैं। लेकिन अगर मुनाफा प्राथमिकता है, तो झुमका बेस्ट। विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ठंडे मौसम के लिए बिल्कुल अनुकूल है। कई राज्यों के किसानों ने इसे अपनाया है, और नतीजे शानदार आए हैं। अगर आप सरसों की खेती प्लान कर रहे हैं, तो झुमका को प्राथमिकता दें। स्थानीय कृषि केंद्र से बीज लें और सलाह लें, तो नुकसान का डर नहीं रहेगा।
झुमका सरसों न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। सही समय पर अपनाएं, और खेती को नई दिशा दें।
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