Jimikand Ki Kheti : अब जमाना बदल रहा है, भाइयों! पहले हमारे किसान भाई पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन अब आप सब कमर्शियल खेती की ओर बढ़ रहे हैं। गेहूँ-धान को थोड़ा कम करके अब सब्जियों की खेती में ध्यान दे रहे हैं, और सच कहें तो इसमें कमाई भी जबरदस्त हो रही है। आज हम आपको एक ऐसी सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे खेत में लगाएँ तो 7-8 महीने बाद जेब में लाखों रुपए आ सकते हैं। नाम है इसका जिमीकंद, जिसे गाँव में सूरन भी कहते हैं। ये कोई नया धंधा नहीं है, लेकिन इसे सही तरीके से करें तो मुनाफा ऐसा कि गिनते-गिनते थक जाएँ।
जिमीकंद की खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें ज्यादा खर्चा नहीं लगता। खेत को तैयार करने के लिए बस थोड़ी जोताई करें, और हो गया काम। इसके बाद अच्छे बीज डाल दें, फिर 7-8 महीने इंतज़ार करें। इतने में फसल तैयार हो जाती है, और लागत का चार-पाँच गुना मुनाफा हाथ में आ जाता है। गाँव के किसान भाइयों के लिए ये इसलिए भी अच्छा है, क्योंकि इसके लिए न तो कोई बड़ी मशीन चाहिए, न ही खेत को खास तरीके से तैयार करना पड़ता है। जो खेत आप धान या गेहूँ के लिए जोतते हैं, उसी में ये काम चल जाता है।
सही बीज और थोड़ी समझ से बनेगा खेल
अब अगर आप सोच रहे हैं कि जिमीकंद की खेती शुरू कर दें, तो थोड़ा ध्यान रखें बीज का। सही वैरायटी चुनेंगे, तभी मुनाफा पक्का होगा। गाँव में जो लोग इसे पहले से कर रहे हैं, वो बताते हैं कि कुसुम और विधान वैरायटी के बीज सबसे बढ़िया रहते हैं। इनसे फसल अच्छी होती है, और बाज़ार में भी दाम ठीक-ठाक मिल जाता है।
इसके अलावा गजेंद्र-1 वैरायटी भी आज़मा सकते हैं। ये 7-8 महीने में तैयार हो जाती है, और इसका उत्पादन भी जबरदस्त होता है। एक एकड़ खेत में अगर इसे लगाएँ, तो 200 क्विंटल तक सूरन निकल सकता है। अब हिसाब लगाएँ—बाज़ार में अगर 25-30 रुपए किलो भी भाव मिले, तो 5-6 लाख का मुनाफा तो आसानी से बनता है।
खास बात ये है कि इस फसल के साथ आप इंटरक्रॉपिंग भी कर सकते हैं। माने, जिमीकंद के साथ-साथ कोई छोटी-मोटी फसल—जैसे हल्दी या मूँग—लगा दें। इससे जो खर्चा लगेगा, वो भी निकल आएगा, और जिमीकंद का मुनाफा पूरा जेब में जाएगा। गाँव में कई भाई ऐसा कर रहे हैं, और उनकी कमाई देखकर लगता है कि ये तरीका सचमुच कारगर है।
खेती का तरीका और देखभाल
जिमीकंद की खेती शुरू करने के लिए मई-जून का महीना सबसे सही रहता है, क्योंकि बारिश का मौसम शुरू होते ही ये तेज़ी से बढ़ता है। खेत में बीज डालने से पहले थोड़ा गोबर की खाद डाल दें, ताकि ज़मीन की ताकत बनी रहे। फिर 2-3 फीट की दूरी पर बीज बो दें। इसके बाद बस समय-समय पर पानी देते रहें और खरपतवार साफ करते रहें। ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती, बस थोड़ी निगरानी रखें कि कीड़े-मकोड़े न लग जाएँ। अगर बारिश अच्छी हो जाए, तो पानी देने की भी जरूरत कम पड़ती है। 7-8 महीने बाद जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें, समझ जाएँ कि फसल तैयार है। खोदें, निकालें, और बाज़ार में बेच दें।
मुनाफे का सीधा हिसाब
अब बात करते हैं असली चीज़ की—पैसा! मान लें एक एकड़ में 20-25 हज़ार का खर्चा लगता है, जिसमें बीज, खाद, और मज़दूरी सब शामिल है। इसके बदले में 200 क्विंटल सूरन मिले, और बाज़ार में 25 रुपए किलो भी भाव मिले, तो 5 लाख से ऊपर की कमाई हो जाती है। यानी खर्चा निकालकर भी 4-5 लाख का मुनाफा सीधे जेब में। किसानों के लिए इससे अच्छा धंधा और क्या हो सकता है, भाइयों? ऊपर से ये सब्जी बाज़ार में हमेशा माँग में रहती है, क्योंकि लोग इसे खाना पसंद करते हैं, और दवा बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है।
तो बस, अगर आप कम मेहनत और कम लागत में बड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो जिमीकंद की खेती शुरू कर दें। थोड़ी हिम्मत और सही तरीका अपनाएँ, फिर देखें कैसे जेब भरती है और गाँव में नाम भी चलता है।
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