किसान भईयों, करी पत्ता भारतीय व्यंजनों का अभिन्न हिस्सा है, जिसकी खुशबू और औषधीय गुण इसे हर रसोई में जरूरी बनाते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तमिलनाडु में इसकी खेती तेजी से बढ़ रही है। कम लागत (20,000-30,000 रुपये/एकड़) और सालाना 3-4 लाख रुपये की कमाई के साथ यह फसल छोटे-बड़े किसानों के लिए वरदान है। एक बार लगाने पर 10-15 साल तक पत्तियाँ देने वाली यह खेती कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे का रास्ता है। होटल, मसाला उद्योग, और आयुर्वेदिक कंपनियों में इसकी माँग इसे लाभकारी बनाती है। आइए जानें करी पत्ता की खेती कैसे शुरू करें और लाखों कैसे कमाएँ।
करी पत्ता की खेती का महत्व
करी पत्ता न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो पाचन, बालों, और त्वचा को लाभ पहुँचाते हैं। बाजार में इसकी माँग साल भर स्थिर रहती है, खासकर रेस्तराँ, मसाला कंपनियों (एवरेस्ट, MDH), और आयुर्वेदिक उत्पादों (पतंजलि, डाबर) में। छोटे खेत (0.5 एकड़) या बंजर जमीन पर भी खेती शुरू हो सकती है। एक बार रोपण के बाद पौधा सालों तक उपज देता है, जिससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। जैविक करी पत्ते की कीमत 20-30% अधिक मिलती है, जिससे कमाई और बढ़ती है।
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
करी पत्ता की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु (20-35°C) आदर्श है। उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, बिहार) से दक्षिण भारत (तमिलनाडु, कर्नाटक) तक यह आसानी से उगता है। दोमट मिट्टी (pH 6-7) और अच्छी जल निकासी वाली जमीन सर्वोत्तम है। कम उपजाऊ या बंजर मिट्टी में 3-4 टन गोबर खाद/एकड़ मिलाकर खेती शुरू करें। मॉनसून (जून-जुलाई) या फरवरी-मार्च रोपण का सही समय है। खेत की गहरी जुताई करें, मिट्टी भुरभुरी बनाएँ, और खरपतवार हटाएँ। ड्रिप सिस्टम से 20% पानी की बचत हो सकती है।
रोपण और प्रबंधन
पौधे नर्सरी, KVK, या वन विभाग से लें (20-50 रुपये/पौधा)। बीज या कटिंग से भी पौधे तैयार किए जा सकते हैं। 1×1 मीटर गड्ढों में 5 किलो गोबर खाद, 100 ग्राम नीम खली, और मिट्टी डालें। 1 मीटर दूरी पर 1200-1500 पौधे/एकड़ लगाएँ। रोपण के बाद हल्की सिंचाई करें। पहले 6 महीने गर्मियों में 6-7 दिन और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल पर पानी दें। बाद में मॉनसून पर्याप्त है। खरपतवार हटाएँ और सालाना 2 किलो वर्मी कम्पोस्ट/पौधा डालें। कीटों (एफिड्स, मकड़ी) के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) छिड़कें। छह महीने बाद पत्तियाँ तोड़ना शुरू करें।
देखभाल और चुनौतियाँ
करी पत्ता का पौधा कम पानी और देखभाल माँगता है। ड्रिप सिस्टम से पानी और लागत बचाएँ। पहले साल खरपतवार और कीटों पर ध्यान दें। जैविक खाद (गोबर, वर्मी कम्पोस्ट) और नीम तेल का उपयोग करें। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है, इसलिए जल निकासी सुनिश्चित करें। फरवरी-मार्च में हल्की छंटाई करें ताकि झाड़ी घनी हो। चुनौतियों में कीट प्रबंधन और बाजार तक पहुँच शामिल हैं, जिन्हें KVK प्रशिक्षण और FPO से हल किया जा सकता है। जैविक खेती से माँग और दाम बढ़ते हैं।
कमाई, बाजार, और सरकारी सहायता
एक पौधा सालाना 2-3 किलो पत्तियाँ देता है, जिनकी कीमत 100-150 रुपये/किलो है। एक एकड़ से 2400-4500 किलो पत्तियाँ, यानी 2.4-6.75 लाख रुपये आय। लागत (20,000-30,000 रुपये) और रखरखाव (10,000 रुपये/साल) घटाकर 2-4 लाख रुपये मुनाफा। जैविक पत्तियाँ 200 रुपये/किलो तक बिकती हैं। स्थानीय मंडी, होटल, मसाला कंपनियाँ, और ऑनलाइन (IndiaMART, Farmkart) में बेचें। निर्यात (मध्य पूर्व, यूरोप) के लिए APEDA से संपर्क करें। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और AIF योजना से 40-50% सब्सिडी मिलती है। KVK से मुफ्त प्रशिक्षण और FPO से मार्केटिंग सहायता लें। छोटे स्तर (0.5 एकड़) से शुरू करें। करी पत्ता की खेती कम मेहनत में लाखों की कमाई का सुनहरा अवसर है। इसकी बढ़ती माँग और सरकारी सहायता का फायदा उठाएँ।
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