धान की खेती का नाम सुनते ही पानी से भरे खेतों की तस्वीर सामने आती है, लेकिन अब वो दिन गए जब धान के लिए ढेर सारा पानी चाहिए था। बासमती धान की कुछ नई किस्में ऐसी आई हैं, जो कम पानी में भी बंपर पैदावार देती हैं। खासकर उन किसानों के लिए, जो सूखे और पानी की कमी से जूझते हैं, ये किस्में किसी वरदान से कम नहीं। पूसा बासमती-834, स्वर्ण शुष्क, और स्वर्ण पूर्वी धान-1 जैसी किस्में न सिर्फ पानी बचाती हैं, बल्कि अच्छी पैदावार और मुनाफा भी देती हैं। कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार का कहना है कि इन नई किस्मों से कम पानी और कम समय में ज्यादा फसल ली जा सकती है। आइए, जानते हैं इन किस्मों का देसी जादू और खेती का तरीका।
पूसा बासमती-834: सूखे का जवाब
पूसा बासमती-834 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने बनाया है। ये किस्म 125-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये कम पानी और कम उपजाऊ मिट्टी में भी लहलहा जाती है। झुलसा रोग भी इसकी पत्तियों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा पाता। पूसा बासमती-834 से आप 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार ले सकते हैं। यानी सूखा प्रभावित इलाकों में भी बंपर फसल! इसकी खेती से पानी की लागत कम होगी, और मुनाफा बढ़ेगा। अगर आपके खेत में पानी की कमी है, तो ये किस्म आपके लिए बेस्ट है।
स्वर्ण शुष्क: रोगों से लड़ने वाली
स्वर्ण शुष्क भी कम पानी में अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है। ये 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक फसल देती है। इसकी खासियत है कि इसमें रोग और कीटों से लड़ने की ताकत ज्यादा है। चाहे झुलसा रोग हो या कीटों का हमला, ये किस्म डटकर मुकाबला करती है। कम पानी में भी इसकी ऊँचाई अच्छी रहती है, और दाने की क्वालिटी भी बढ़िया होती है। बिहार और झारखंड जैसे इलाकों में, जहाँ पानी की कमी रहती है, स्वर्ण शुष्क किसानों की पहली पसंद बन रही है।
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स्वर्ण पूर्वी धान-1: जल्दी तैयार
स्वर्ण पूर्वी धान-1 को ICAR पटना ने खास तौर पर कम पानी वाले इलाकों के लिए बनाया है। ये अगेती किस्म है, जो 115-120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। सूखा झेलने की ताकत के साथ ये 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। इसकी खेती बारिश से पहले शुरू कर सकते हैं, ताकि फसल को हल्का पानी ही काफी हो। बिहार और पूर्वी भारत के किसानों के लिए ये किस्म गेम-चेंजर साबित हो रही है, क्योंकि यहाँ पानी की कमी हर साल परेशानी बढ़ाती है।
पूसा बासमती-1121: सुगंध का बादशाह
पूसा बासमती-1121 बासमती की एक मशहूर किस्म है, जो सूखे इलाकों में भी उगाई जा सकती है। ये 140-145 दिनों में तैयार होती है और 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। इसकी खासियत है इसका लंबा-पतला दाना, जो पकने के बाद सुगंध और स्वाद से भरपूर होता है। बाजार में इसकी डिमांड हमेशा रहती है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलता है। ये अगेती किस्म है, जो पानी की कमी वाले खेतों में भी अच्छी फसल देती है।
पूसा बासमती-1509: पानी की बचत
पूसा बासमती-1509 भी ICAR, नई दिल्ली की देन है। ये 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है पानी की बचत—ये किस्म दूसरी धान की तुलना में 33% कम पानी लेती है। पूरे सीजन में सिर्फ 4 सिंचाई काफी हैं। इसके दाने लंबे और पतले होते हैं, और स्वाद भी बढ़िया है। पानी की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए ये किस्म बेस्ट है।
रोपाई कैसे करें
इन नई किस्मों की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करें। मिट्टी को जोतकर गोबर की खाद डालें। बीज को नर्सरी में तैयार करें और 25-30 दिन बाद पौधों को खेत में रोपें। पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें। पानी की कमी है, तो ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें। बारिश से पहले बुआई शुरू करें, ताकि फसल को हल्का पानी ही काफी हो। कीट और रोग से बचाने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक यूज करें। फसल की कटाई समय पर करें, ताकि दाने की क्वालिटी बनी रहे।
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