कानपुर मंडल के किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं। यूरिया की किल्लत ने खेतों की सेहत को प्रभावित किया है, लेकिन उम्मीद की किरण भी दिख रही है। आज सुबह कृषि मंत्री श्री @spshahibjp ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में मंडल के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में यूरिया की उपलब्धता, वितरण, ओवररेटिंग, टैगिंग, अप्रत्याशित खपत, और बिक्री जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। किसानों की इस समस्या को हल करने के लिए मंत्री जी ने कड़े कदम उठाने का संकेत दिया है, जो खेतों में नई जान फूंक सकता है।
किसानों की व्यथा, किल्लत का असर
कानपुर के खेतों में इन दिनों यूरिया की कमी साफ दिख रही है। कई गांवों में किसानों को दुकानों के आगे लंबी कतारें लगानी पड़ रही हैं, लेकिन सप्लाई नाकाफी है। ओवररेटिंग और गलत टैगिंग ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। कुछ जगहों पर यूरिया की कालाबाजारी की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिससे छोटे किसानों की जेब पर बोझ पड़ रहा है। अप्रत्याशित खपत और बिक्री में अनियमितता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। ऐसे में मंत्री जी की यह बैठक किसानों के लिए राहत की उम्मीद बन गई है, जो उनकी मेहनत को मुनाफे में बदल सके।
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मंत्री का प्रयास, समाधान की राह
कृषि मंत्री श्री sp shahi ने इस बैठक में अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने मांग और सप्लाई के बीच के अंतर को पाटने के लिए तत्काल कदम उठाने की बात कही। ओवररेटिंग और टैगिंग जैसे गलत रवैये पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। साथ ही, यूरिया की खपत और बिक्री पर नजर रखने के लिए नई व्यवस्था लागू करने की योजना बनी। यह कदम न सिर्फ कालाबाजारी रोकेगा, बल्कि किसानों को सही कीमत पर खाद उपलब्ध कराएगा। मंत्री जी का यह प्रयास खेतों की उर्वरता को वापस लाने का संकल्प दिखाता है।
मौसम में हल्की ठंडक और नमी है, जो फसलों के लिए अनुकूल है, लेकिन यूरिया की कमी से किसानों की मेहनत बेकार हो रही है। खरीफ की बुआई का समय चल रहा है, और अगर यूरिया समय पर न मिला, तो पैदावार पर असर पड़ेगा। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि अगले कुछ दिनों में यूरिया की सप्लाई बढ़ाई जाए, ताकि किसान इस मौसम का फायदा उठा सकें। अधिकारियों को तालमेल बनाकर काम करने की हिदायत दी गई है, जो किसानों के लिए राहत का कारण बनेगा।
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स्थानीय समाधान, किसानों का साथ
कानपुर मंडल के किसानों को अब जिला स्तर पर शिकायत निवारण केंद्रों से मदद मिलेगी। अगर किसी दुकान पर ओवररेटिंग या टैगिंग की शिकायत हो, तो तुरंत वहां जांच होगी। मंत्री जी ने कहा कि कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है। साथ ही, यूरिया की खपत को ट्रैक करने के लिए डिजिटल रिकॉर्डिंग शुरू की जाएगी, जो पारदर्शिता लाएगी। यह कदम छोटे किसानों को सशक्त करेगा और उनकी आमदनी को बढ़ाने में मदद करेगा।
भविष्य की उम्मीद, खेतों का नया कल
इस बैठक से यह संदेश साफ है कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है। अगर यूरिया की सप्लाई नियमित हो गई और ओवररेटिंग पर लगाम लगी, तो कानपुर के खेत फिर से हरे-भरे हो सकते हैं। मंत्री जी ने अधिकारियों को हर हफ्ते प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। आने वाले दिनों में अगर सब्सिडी और तकनीकी सहायता भी मिले, तो यह सेक्टर आत्मनिर्भर बन सकता है। किसानों को चाहिए कि वे अपनी शिकायतें स्थानीय कृषि केंद्रों तक पहुंचाएं।
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और यूरिया की उपलब्धता की जानकारी लें। अगर किल्लत हो, तो तुरंत शिकायत दर्ज करें। साथ ही, जैविक खाद और कम्पोस्ट का इस्तेमाल बढ़ाएं, ताकि यूरिया पर निर्भरता कम हो। मौसम का फायदा उठाने के लिए बुआई की योजना बनाएं और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं। यह समय खेतों को बचाने का है, तो हर कदम सोच-समझकर उठाएं।
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