उत्तर भारत के लिए आई गेहूं की सुपर किस्म, कम पानी, कम खाद में 52 क्विंटल/हेक्टेयर तक बंपर पैदावार

करण खुशबू (DBW-386): ठंड की ठंडक बढ़ते ही रबी की बुवाई का आखिरी मौका आ गया है, और उत्तर भारत के खेतों में गेहूं की नई उम्मीद चमक रही है करण खुशबू (DBW-386)। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल के वैज्ञानिकों ने बताया कि ये किस्म कम पानी, गर्मी और रोगों की मार झेलने में माहिर है, फिर भी प्रति हेक्टेयर 52 क्विंटल तक उपज देती है। बाजार में गेहूं के दाम 2400-2600 रुपये क्विंटल तक पहुँच गए हैं, लेकिन सही किस्म न चुनी तो पैदावार 20-30 प्रतिशत कम हो सकती है।

ये किस्म पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार, राजस्थान, एमपी, गुजरात, महाराष्ट्र और पहाड़ी इलाकों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड के लिए बिल्कुल सही है। छोटे किसान भाई भी इसे आजमा लें – सिर्फ 123 दिन में तैयार, 1.25 लाख का मुनाफा प्रति हेक्टेयर। नवंबर का ये आखिरी हफ्ता है, देरी हुई तो ठंड में ग्रोथ रुक जाएगी।

करण (DBW-386) खुशबू की खासियत

ये कोई साधारण गेहूं नहीं है। IIWBR ने इसे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के लिए तैयार किया है, जो सूखे और गर्मी को सहन करती है। परिपक्वता सिर्फ 123 दिन में हो जाती है, जो अन्य किस्मों से 10-15 दिन कम है। प्रति हेक्टेयर औसतन 52 क्विंटल उपज मिलती है, और सही देखभाल से इससे भी ज्यादा। सबसे बड़ी बात ये कि पत्ती झुलसा और अन्य संक्रमणों से खुद बचाव करती है, इसलिए दवा का खर्चा बच जाता है। मजबूत जड़ें कम पानी में भी फसल को हरा-भरा रखती हैं, छोटे किसानों के लिए वरदान।

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किन राज्यों के लिए है ये किस्म

करण खुशबू (DBW-386) गेहूं की खेती उत्तर भारत के कई राज्यों के लिए वरदान है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के किसान इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के खेतों में भी यह किस्म शानदार नतीजे दे सकती है। अगर आप जम्मू-कश्मीर या उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में खेती करते हैं, तो वहाँ भी यह गेहूं अच्छा उत्पादन देगा। बस आपके खेत में सिंचाई का अच्छा इंतजाम होना चाहिए। यह किस्म उन इलाकों में सबसे ज्यादा फायदा देती है, जहाँ पानी की थोड़ी कमी हो, लेकिन मिट्टी अच्छी हो।

बुवाई का सही समय

गेहूं की खेती में सही समय का बहुत महत्व है। करण खुशबू (DBW-386) की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा है। खासकर अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे हफ्ते तक बीज बोने से फसल शानदार होती है। बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें। मिट्टी में नमी होनी चाहिए, और पानी की निकासी का भी पक्का इंतजाम करें। अगर मिट्टी की जाँच करवा लें और जरूरी खाद डालें, तो फसल और भी अच्छी होगी। इस किस्म की खेती में मेहनत कम और फायदा ज्यादा है।

सिंचाई का पूरा शेड्यूल

ये किस्म कम पानी वाली है। पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद क्राउन रूट स्टेज पर करें। दूसरी सिंचाई टिलरिंग स्टेज पर 45 से 50 दिन बाद। तीसरी सिंचाई फूल आने पर 75 से 80 दिन बाद और चौथी सिंचाई दाना भरते समय 100 से 105 दिन बाद, जरूरत हो तो। ड्रिप या स्प्रिंकलर से करें तो पानी की बचत 30 से 40 प्रतिशत तक हो जाती है।

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उर्वरक प्रबंधन कैसे करें

नाइट्रोजन 120 किलो प्रति हेक्टेयर लें, आधा बुवाई पर और आधा पहली सिंचाई के साथ। फॉस्फोरस 60 किलो और पोटाश 40 किलो प्रति हेक्टेयर बुवाई पर पूरा डालें। अगर जिंक की कमी हो तो 25 किलो जिंक सल्फेट बुवाई पर मिला दें। जैविक खेती करना चाहें तो नीम खली, वर्मीकम्पोस्ट और जीवामृत का कॉम्बिनेशन भी बहुत अच्छा चलता है।

खरपतवार, रोग-कीट नियंत्रण

बुवाई के 0 से 3 दिन में पेंडिमिथिलीन 1 लीटर प्रति एकड़ छिड़कें। 20 से 25 दिन बाद हल्की गुड़ाई करें। रोगों के शुरुआती लक्षण पर मैनकोजेब 2 किलो प्रति हेक्टेयर या प्रोपीकोनाजोल 1 मिली प्रति लीटर छिड़कें। नीम तेल और गोमूत्र से जैविक बचाव करें। इसकी मजबूत प्रतिरोधकता से रासायनिक दवाओं पर खर्चा बच जाता है।

कटाई और भंडारण

परिपक्वता अवधि 123 दिन है। जब पौधा पूरी तरह सुनहरा हो जाए और दाने सख्त हो जाएँ तो सुबह के समय कटाई करें। कंबाइन से कटाई करें तो नमी 12 से 14 प्रतिशत तक रखें। भंडारण से पहले अच्छी तरह सुखाएँ।

अगर आप गेहूं की खेती करते हैं, तो करण खुशबू (DBW-386) को जरूर आजमाएँ। यह किस्म कम पानी और मुश्किल मौसम में भी अच्छा उत्पादन देती है। बुवाई से पहले अपने नजदीकी कृषि केंद्र से इसके बीज और खेती की सही जानकारी ले लें। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के वैज्ञानिकों ने इस किस्म को खास तौर पर छोटे और मझोले किसानों के लिए तैयार किया है। अपने गाँव के दूसरे किसानों को भी इस किस्म के बारे में बताएँ ताकि सभी मिलकर ज्यादा मुनाफा कमा सकें। अगर खेत में रोग या कीट दिखें, तो तुरंत स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क करें।

सरकार और वैज्ञानिकों का साथ

कृषि वैज्ञानिक और सरकार मिलकर किसानों के लिए ऐसी नई किस्में ला रहे हैं, जो खेती को आसान और फायदेमंद बनाएँ। करण खुशबू (DBW-386) जैसी किस्में जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी जैसे संकटों से लड़ने में मदद करेंगी। अगर आप इस किस्म की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करें। वहाँ से आपको बीज और खेती के तरीकों की पूरी जानकारी मिलेगी। यह समय है नई तकनीक और नई किस्मों को अपनाकर अपनी खेती को चमकाने का।

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  • Shashikant

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