करेला की ये किस्म दे रही 44°C में भी 7-8 किलो प्रति बेल, किसानों की मिल रहा जबरदस्त मुनाफा

Karele Ki Tejas Variety: करेला वो सब्जी है, जो स्वाद में कड़वा जरूर है, लेकिन सेहत और मुनाफे के लिए किसी खजाने से कम नहीं। खासकर उत्तर भारत की तपती गर्मी में, जहाँ 44 डिग्री तापमान फसलों को झुलसा देता है, वहाँ करेले की नई हाइब्रिड किस्म तेजस किसानों के लिए वरदान बनकर आई है। ये किस्म चिलचिलाती धूप में भी शानदार पैदावार देती है और हर बेल से 7-8 किलोग्राम करेले दे सकती है। चाहे मधुमेह के लिए जूस हो या बाजार में बिकने वाली सब्जी, तेजस किस्म की माँग हर जगह बढ़ रही है। आइए, इसकी खासियतें, खेती का तरीका, लागत, मुनाफा और बीज की उपलब्धता के बारे में जानते हैं।

तेजस किस्म की खासियतें

करेले की तेजस किस्म को खास तौर पर गर्मी झेलने के लिए तैयार किया गया है। ये 44 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी बिना रुके बढ़ती है और फल देती है। इसकी बेलें मजबूत और फैलने वाली होती हैं, जो 10-12 फीट तक बढ़ सकती हैं। हर बेल पर 30-40 करेले लगते हैं, जिनका औसत वजन 150-200 ग्राम होता है। यानी एक बेल से 7-8 किलो तक पैदावार मिल सकती है।

इसके फल गहरे हरे, मध्यम लंबे और चमकदार होते हैं, जो बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। ये किस्म 55-60 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 3-4 महीने तक फल देती रहती है। तेजस में बीज कम होते हैं और कड़वाहट मध्यम, जो खाने में अच्छी लगती है। ये किस्म फल मक्खी और डाउनी मिल्ड्यू जैसे रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जिससे कीटनाशक का खर्च बचता है।

Karele Ki Tejas Variety
Karele Ki Tejas Variety

खेती के लिए सही समय और क्षेत्र

तेजस किस्म उत्तर भारत की गर्मी के लिए सबसे मुफीद है, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में। फरवरी से जुलाई तक इसकी बुवाई की जा सकती है, लेकिन मार्च-अप्रैल सबसे अच्छा समय है, क्योंकि तब गर्मी बढ़ रही होती है और बेलें तेजी से बढ़ती हैं। बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, इसके लिए बेस्ट है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए। ये किस्म गर्म और आर्द्र जलवायु में शानदार पैदावार देती है, लेकिन ज्यादा जलभराव इसे नुकसान पहुँचाता है।

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खेती का तरीका

तेजस की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करें। 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। बीज की मात्रा 1.5-2 किलोग्राम प्रति एकड़ काफी है। बुवाई से पहले बीज को 12-18 घंटे पानी में भिगोएँ और बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें। बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर, 2 मीटर x 1 मीटर की दूरी पर बोएँ। मचान या जाल विधि अपनाएँ, जिसमें बाँस और जीआई तार से 2 मीटर ऊँचा ढाँचा बनाएँ। इससे बेलें अच्छे से फैलती हैं और फल जमीन से नहीं सड़ते।

नाइट्रोजन (80 किलो), फॉस्फोरस (40 किलो) और पोटाश (40 किलो) प्रति एकड़ डालें। नाइट्रोजन को दो बार (बुवाई के 20 और 40 दिन बाद) बराबर मात्रा में डालें। गर्मी में 6-7 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 2-3 दिन बाद पेंडीमेथालिन (1 लीटर प्रति एकड़) का छिड़काव करें और 15-20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।

कीट और रोग प्रबंधन

तेजस किस्म फल मक्खी और डाउनी मिल्ड्यू के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी जरूरी है। फल मक्खी के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाएँ और नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। डाउनी मिल्ड्यू के लिए मेटालैक्सिल (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का इस्तेमाल करें। पत्ती खाने वाले कीटों के लिए स्पिनोसैड या मैलाथियान का छिड़काव करें। खेत की नियमित निगरानी करें और बीमार पौधों को तुरंत हटाएँ। जैविक खेती के लिए जीवामृत (200 लीटर प्रति एकड़) और नीम खली का इस्तेमाल करें।

लागत और मुनाफा

तेजस की खेती में प्रति एकड़ लागत 20,000-25,000 रुपये आती है, जिसमें बीज, खाद, उर्वरक, मचान, सिंचाई और मजदूरी शामिल है। एक एकड़ में 50-60 क्विंटल पैदावार मिल सकती है। अगर बाजार में करेले का भाव 20-40 रुपये प्रति किलो हो, तो 1,00,000-2,40,000 रुपये की कमाई हो सकती है। लागत निकालने के बाद 80,000-2,00,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है। गर्मी में सब्जियों की माँग बढ़ने से भाव अच्छे मिलते हैं। इसके गहरे हरे और चमकदार फल बाजार में जल्दी बिक जाते हैं।

तेजस क्यों है खास

तेजस की सबसे बड़ी खासियत है 44 डिग्री गर्मी में भी इसकी शानदार पैदावार। हर बेल से 7-8 किलो करेले मिलना किसानों के लिए बड़ी बात है। इसकी जल्दी पकने की क्षमता (55-60 दिन) और लंबे समय तक फल देना इसे मुनाफे की फसल बनाता है। इसके फल बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं, क्योंकि ये चमकदार, मध्यम कड़वे और सेहत के लिए फायदेमंद हैं। फल मक्खी और रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोध से कीटनाशक का खर्च कम होता है। उत्तर भारत के किसानों के लिए ये किस्म गर्मी में कम लागत और बंपर मुनाफे का रास्ता खोलती है।

खेती के लिए आसान नुस्खे

तेजस की खेती को आसान बनाने के लिए कुछ देसी नुस्खे अपनाएँ। प्रमाणित बीज ही खरीदें और बुवाई से पहले पानी में भिगोएँ। मचान विधि जरूर अपनाएँ, इससे फल साफ और स्वस्थ रहते हैं। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद और नीम खली डालें। फल मक्खी से बचने के लिए गुड़ और कीटनाशक का जाल बनाएँ। गर्मी में नियमित सिंचाई करें, लेकिन जलभराव न होने दें। KVK या कृषि विशेषज्ञों से नई तकनीकों की जानकारी लेते रहें।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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