Karemua saag Ki Organic Kheti : किसान भाइयों, करमुआ साग, जिसे कलमी साग, वाटर स्पिनेच या जलीय पालक भी कहते हैं, एक पौष्टिक और स्वादिष्ट साग है। इसे जैविक तरीके से उगाना आसान है और गर्मी में अच्छी कमाई देता है। अपने इलाके में अप्रैल से इसकी बुआई शुरू कर सकते हैं। यह पानी और मिट्टी दोनों में उगता है और 30-40 दिन में तैयार हो जाता है। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि करमुआ साग की जैविक खेती कैसे करें।
करमुआ साग का अनोखा गुण
हमारे यहाँ करमुआ साग इसलिए खास है, क्यूँकि इसमें विटामिन A, C, आयरन और फाइबर भरपूर होता है। अपने खेतों में इसे उगाने से साग, सलाद या सब्जी बनाई जा सकती है। बाजार में यह 20-40 रुपये किलो बिकता है, और एक बीघे से 50-70 किलो साग हर महीने मिल सकता है। हमारे यहाँ इसे तालाबों में अपने आप उगते देखा जाता है, लेकिन जैविक खेती से इसकी पैदावार और गुणवत्ता बढ़ती है। यह कम समय में तैयार होने वाला साग है, जो मेहनत को जल्दी फल देता है।
खेत को सजाएँ जैविक नींव डालें
अपने खेतों में मार्च के आखिर से तैयारी शुरू करें। करमुआ को नम दोमट मिट्टी चाहिए, जो पानी सोखे और जल निकासी दे। मिट्टी को जोतकर ढीला करें और प्रति बीघा 5-7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। अपने आसपास 2-3 फीट चौड़ी और 6-8 इंच ऊँची क्यारियाँ बनाएँ। अगर पानी वाली जगह है, तो छोटा तालाब या गड्ढा बनाएँ और उसमें 2-3 किलो वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ। हमारे यहाँ यह तैयारी 500-700 रुपये में हो जाती है। रसायन की जगह जैविक खाद डालें, ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे।
बीज बोने की कला
करमुआ के बीज या कलम नर्सरी से लें। बीज 50-70 रुपये किलो मिलता है, और कलम 1-2 रुपये प्रति टहनी। अप्रैल में बुआई शुरू करें। अपने इलाके में बीज को 1-2 सेमी गहरा बोएँ, 20-30 सेमी की दूरी रखें। अगर कलम यूज़ करें, तो 15-20 सेमी गहरे पानी में या नम मिट्टी में लगाएँ। हल्की मिट्टी से ढकें और पानी का छिड़काव करें। हमारे यहाँ 7-10 दिन में अंकुर निकल आते हैं। पानी वाली जगह में यह तैरता हुआ बढ़ता है, और मिट्टी में जड़ें मजबूत करता है। यह तरीका पैदावार को आसान बनाता है।
देखभाल का मंत्र
बुआई के बाद 5-7 दिन में पौधे दिखें, तो हल्की सिंचाई करें। अपने खेतों में हर 4-5 दिन में पानी दें, पानी वाली जगह में नमी बनाए रखें। नीम का घोल (1 किलो पत्तियाँ 10 लीटर पानी में) हर 10-15 दिन में छिड़कें, यह कीटों और फंगस से बचाता है। हमारे यहाँ खरपतवार को हाथ से हटाएँ और पौधों को फैलने दें। 30-40 दिन बाद कटाई शुरू करें, नीचे की पत्तियाँ तोड़ें ताकि नई टहनियाँ आएँ। यह देखभाल साग को हरा-भरा और स्वादिष्ट रखती है। रसायन से दूर रहें, जैविक तरीका ही अपनाएँ।
फसल का फल
एक बीघे से 50-70 किलो साग हर महीने मिल सकता है। अपने आसपास यह 20-40 रुपये किलो बिकता है, यानी 1,000-2,800 रुपये की कमाई। बीज, खाद और मेहनत का खर्च 700-1,000 रुपये पड़ता है। हमारे यहाँ इसकी माँग बढ़ रही है, तो शुद्ध मुनाफा 500-2,000 रुपये महीने का हो सकता है। इसे स्थानीय बाजार या होटल में बेचें। जैविक होने से दाम और सम्मान दोनों मिलते हैं। यह छोटी मेहनत से बढ़िया फायदा देता है।
अपने इलाके में करमुआ साग की जैविक खेती इसलिए खास है, क्यूँकि यह पानी और मिट्टी दोनों में उगता है और सेहत को फायदा देता है। अप्रैल में बोएँ, तो मई से ताज़ा साग मिलेगा। गाँव के लोग कहते हैं कि हरा साग खेत और सेहत दोनों की शान बढ़ाता है। तो भाइयों, करमुआ की खेती शुरू करें, खेत को हरा करें और मेहनत का फल ढेर सारा पाएँ। यह तरीका आपकी खेती को नई ऊँचाई देगा!
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