देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई का समय है, लेकिन उत्तर प्रदेश के एटा जिले में खाद की कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गाँवों में देखा गया है कि किसान सुबह से शाम तक खाद के लिए लाइनों में खड़े रहते हैं, फिर भी खाली हाथ लौटते हैं। ऐसा ही एक दिल दहलाने वाला मामला बढ़ोली गांव से सामने आया है, जहां एक महिला किसान लक्ष्मी देवी खाद की बोरी के लिए दिनभर लाइन में लगी रहीं, लेकिन खाद तो मिली नहीं, ऊपर से ऐसा हादसा हुआ कि पूरी व्यवस्था पर सवाल उठ गए। गाँवों में अनुभव है कि खाद की कमी और सहकारी समितियों की लापरवाही ने किसानों का जीना मुहाल कर दिया है।
लक्ष्मी देवी का दर्दनाक अनुभव
बढ़ोली गांव की लक्ष्मी देवी सुबह सात बजे से खाद वितरण समिति की लाइन में खड़ी थीं। गाँवों में देखा गया है कि किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए भूखे-प्यासे लंबी कतारों में इंतज़ार करते हैं। लक्ष्मी देवी ने भी पूरा दिन इंतज़ार किया, लेकिन शाम पांच बजे जब उनकी बारी आई, तो समिति के सचिव ने उनके दस्तावेज खिड़की से बाहर फेंक दिए और गेट बंद कर भाग गया। इस अपमान और भूख-प्यास से परेशान लक्ष्मी देवी वहीं बेहोश होकर गिर पड़ीं। गाँवों में अनुभव है कि ऐसी घटनाएँ किसानों के मनोबल को तोड़ देती हैं।
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भीड़ बनी तमाशबीन, मदद को कोई नहीं आया
लक्ष्मी देवी के पति ने बताया कि उनकी पत्नी सुबह से लाइन में थीं, लेकिन समिति में मनमानी चल रही थी। गाँवों में देखा गया है कि कुछ लोग अपने चहेतों को पहले खाद दे देते हैं, जबकि बाकी किसान इंतज़ार करते रहते हैं। जब लक्ष्मी देवी बेहोश होकर गिरीं, तो वहाँ मौजूद भीड़ तमाशबीन बनी रही। करीब एक घंटे तक वे सड़क पर पड़ी रहीं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। आखिरकार, एक राहगीर ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद लक्ष्मी देवी को अस्पताल ले जाया गया। गाँवों में अनुभव है कि ऐसी लापरवाही और असंवेदनशीलता किसानों के साथ अन्याय है।
सचिव की लापरवाही पर गुस्सा
लक्ष्मी देवी के परिवार ने समिति के सचिव की हरकत पर गुस्सा जताया है। उनके पति ने बताया कि सचिव ने न सिर्फ उनके दस्तावेज फेंके, बल्कि बिना कोई कारण बताए समिति का गेट बंद कर भाग गया। गाँवों में देखा गया है कि सहकारी समितियों में खाद की कालाबाजारी और मनमानी आम बात हो गई है। लक्ष्मी देवी के परिवार और स्थानीय किसानों ने सचिव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। जिला प्रशासन से अपील की गई है कि ऐसी घटनाओं की जाँच हो और दोषियों को सजा दी जाए। गाँवों में अनुभव है कि बिना कड़ी कार्रवाई के ऐसी समस्याएँ बार-बार सामने आती रहेंगी।
देशभर में खाद की किल्लत
एटा का यह मामला कोई अकेला नहीं है। उत्तर प्रदेश के इटावा, फर्रुखाबाद, और ललितपुर जैसे जिलों में भी खाद की कमी ने किसानों को परेशान कर रखा है। गाँवों में देखा गया है कि डीएपी और यूरिया की कमी के कारण बुवाई में देरी हो रही है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है। कुछ जगहों पर खाद की कालाबाजारी के वीडियो भी सामने आए हैं, जैसे शीतलपुर के जीसुखपुर में रात में खाद की बोरियाँ गाड़ियों में लादकर ले जाई गईं। किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिली, तो उनकी मेहनत बेकार चली जाएगी। गाँवों में अनुभव है कि ऐसी समस्याएँ हर बुवाई सीजन में सामने आती हैं।
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प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद
जिला प्रशासन ने दावा किया है कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है। गाँवों में देखा गया है कि किसानों को खाद के लिए पुलिस की निगरानी में लाइन लगानी पड़ रही है। लक्ष्मी देवी के मामले में प्रशासन ने जाँच के आदेश दिए हैं, लेकिन किसानों का भरोसा टूट रहा है। गाँवों में अनुभव है कि बिना पारदर्शी वितरण और सख्त निगरानी के यह समस्या हल नहीं होगी। किसानों ने मांग की है कि खाद वितरण में डिजिटल निगरानी और सीसीटीवी का इस्तेमाल हो।
खाद की कमी से बचने के लिए किसानों को पहले से तैयारी करनी चाहिए। बुवाई से पहले स्थानीय कृषि केंद्रों से संपर्क करें और खाद की उपलब्धता की जानकारी लें। गाँवों में अनुभव है कि जैविक खाद और NPK जैसे विकल्पों का उपयोग भी फायदेमंद हो सकता है। प्रशासन से मांग करें कि खाद वितरण में पारदर्शिता हो और कालाबाजारी पर रोक लगे। लक्ष्मी देवी जैसी घटनाएँ दोबारा न हों, इसके लिए सामुदायिक निगरानी जरूरी है।
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