अपने खाली खेतों में कीजिए इस पेड़ की खेती, 5 साल में कमाई होगी 30 लाख रुपए की

किसान साथियों, कत्था या खैर (Acacia catechu) एक बहुउपयोगी पेड़ है, जिसकी खेती भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात में बड़े पैमाने पर होती है। खैर की लकड़ी, छाल, और कत्था (कैटेचु) का उपयोग पान मसाला, औषधि, रंगाई, और चमड़ा उद्योग में होता है। बाजार में कत्था 800-1,500 रुपये/किलो और लकड़ी 20,000-30,000 रुपये/क्विंटल बिकती है। एक हेक्टेयर से 10-15 लाख रुपये मुनाफा मिल सकता है। कम लागत (50,000-70,000 रुपये/हेक्टेयर) और लंबी अवधि (8-12 साल) की फसल होने से ये निवेश के लिए आदर्श है। आइए जानें खैर की खेती कैसे करें और इसकी कमाई।

खैर का महत्व और उपयोग

खैर का पेड़ 10-15 मीटर ऊँचा होता है, जिसकी छाल से कत्था और लकड़ी से फर्नीचर, कृषि उपकरण, और ईंधन बनता है। कत्था पान मसाला, आयुर्वेदिक दवाओं (गले के रोग, दस्त), और चमड़ा रंगाई में उपयोगी है। पत्तियाँ पशु चारे के लिए उपयुक्त हैं। खैर की जड़ें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं। इसकी माँग भारत, नेपाल, और बांग्लादेश में ज्यादा है। एक पेड़ 5-10 किलो कत्था और 50-100 किलो लकड़ी देता है। 8-12 साल में फसल तैयार होकर लाखों की कमाई देती है। छोटे किसान 0.5 हेक्टेयर से शुरू कर सकते हैं।

खेत और मिट्टी की तैयारी

खैर के लिए बलुई दोमट, लाल, या काली मिट्टी (pH 5.5-7.5) उपयुक्त है। खेत की गहरी जुताई करें। 1-2 टन गोबर खाद या 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालें। खेत को समतल करें और जलनिकासी सुनिश्चित करें। जून-जुलाई (मॉनसून) में रोपण करें। खेत में 3×3 मीटर दूरी पर 1×1 फीट गहरे गड्ढे बनाएँ। प्रत्येक गड्ढे में 5 किलो गोबर खाद और 50 ग्राम नीम की खली मिलाएँ। छोटे किसान बंजर या खाली जमीन पर भी खेती शुरू कर सकते हैं। सही तैयारी से पेड़ तेजी से बढ़ते हैं।

बीज और रोपण का तरीका

खैर के बीज नर्सरी, ICAR, या कृषि केंद्र से लें। प्रति हेक्टेयर 1-2 किलो बीज (300-500 रुपये/किलो) चाहिए। बीज को 24 घंटे गुनगुने पानी में भिगोएँ। नर्सरी में 2-3 सेमी गहराई पर बोएँ। 30-40 दिन बाद 30-40 सेमी ऊँचे पौधे रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। मॉनसून शुरू होने पर गड्ढों में पौधे रोपें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। एक हेक्टेयर में 1,000-1,200 पौधे लगाए जा सकते हैं। पॉलीथीन शीट पर नर्सरी बनाने से उखाड़ना आसान होता है, जैसा कि धान की नर्सरी में होता है। सही रोपण से 90% पौधे जीवित रहते हैं।

देखभाल और सिंचाई

खैर कम देखभाल माँगता है। पहले 2 साल हर 15-20 दिन में सिंचाई करें। मॉनसून में अतिरिक्त पानी न दें। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है। हर 6 महीने में 5 किलो गोबर खाद और 50 ग्राम NPK (10:26:26) प्रति पेड़ डालें। खरपतवार हटाने के लिए साल में 2-3 बार गुड़ाई करें। दीमक से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिलीलीटर/लीटर) या क्लोरोपाइरीफास (2 मिलीलीटर/लीटर) छिड़कें। पत्ती खाने वाले कीटों के लिए फेरोमोन ट्रैप (4-5/हेक्टेयर) लगाएँ। तीसरे साल से पेड़ मजबूत होकर कम पानी माँगते हैं। सही देखभाल से पेड़ 8-10 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

कटाई और उत्पादन हिसाब

कटाई 8-12 साल बाद करें, जब पेड़ का तना 15-20 सेमी मोटा हो। छाल से कत्था निकाला जाता है, और लकड़ी अलग बेची जाती है। एक हेक्टेयर से 5-10 टन कत्था (800-1,500 रुपये/किलो) और 50-100 टन लकड़ी (20,000-30,000 रुपये/क्विंटल) मिलती है। कत्था निकालने के लिए छाल को उबालकर गाढ़ा किया जाता है। कटाई सावधानी से करें ताकि पेड़ की जड़ें बची रहें, जो अगली फसल (5-7 साल) दे सकती हैं। उत्पाद को मंडी, आयुर्वेदिक कंपनियों, या ऑनलाइन (IndiaMART) बेचें। सही कटाई से उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है।

कमाई और मुनाफा का गणित

लागत 50,000-70,000 रुपये/हेक्टेयर (बीज, खाद, मजदूरी, सिंचाई)। 8-12 साल बाद 5-10 टन कत्था से 40-150 लाख रुपये और 50-100 टन लकड़ी से 10-30 लाख रुपये कमाई। कुल कमाई 50-180 लाख रुपये। मुनाफा 10-15 लाख रुपये/हेक्टेयर। दूसरी फसल (जड़ों से) 5-7 साल में 5-10 लाख रुपये देती है। जैविक कत्था 2,000 रुपये/किलो तक बिकता है। निर्यात (नेपाल, बांग्लादेश) और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कमाई बढ़ती है। बड़े स्तर (2-3 हेक्टेयर) पर 30-40 लाख रुपये मुनाफा संभव।

स्वस्थ बीज और पौधे चुनें। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। दीमक और पत्ती रोगों के लिए जैविक कीटनाशक (नीम तेल) प्राथमिकता दें। स्थानीय वन विभाग या KVK से सलाह लें। सरकारी योजनाएँ (PMKSY, वन विभाग) से 40-60% सब्सिडी लें। छोटे स्तर (0.5 हेक्टेयर) से शुरू करें। खैर की खेती लंबी अवधि में बंपर कमाई देती है। इसकी माँग और औद्योगिक उपयोग का फायदा उठाएँ और आय बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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