खपली गेहूं की जैविक खेती: इस गेहूं की खेती से किसान बन रहे हैं लखपति! शुगर मरीजों की पहली पसंद

बाजारों में खपली गेहूं के दाने 180 रुपये किलो तक बिक रहे हैं, जबकि साधारण गेहूं 25-30 रुपये में निपट जाता है। ठंड की शुरुआत में रबी बुवाई का आखिरी समय है, लेकिन ये प्राचीन अनाज किसानों के लिए नया अवसर लेकर आया है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के एक विशेषज्ञ ने बताया कि खपली गेहूं, जो 3000 साल पुराना इमर गेहूं है, जैविक खेती के लिए बिल्कुल सही है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, जिंक और मैग्नीशियम भरपूर है, ग्लाइसेमिक इंडेक्स सिर्फ 40-45 है जो डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है।

कम ग्लूटेन होने से पचाने में आसान और एलर्जी वालों के लिए सुरक्षित। रोटी, ब्रेड या पास्ता बनाने में इसका स्वाद लाजवाब है। ये सूखा सहन करने वाली फसल है, कम पानी और बिना केमिकल के उगती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ये तेजी से लोकप्रिय हो रही है। राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन से 30-50 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है, लेकिन नवंबर का ये आखिरी हफ्ता है देरी हुई तो अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा। आज ही बीज मँगवा लें, 2025 का रबी सीजन बदल जाएगा।

खपली गेहूं की खासियत

ये कोई नई फसल नहीं, बल्कि प्राचीन धरोहर है जो जैविक खेती को नई जान दे रही है। कम पानी की जरूरत होने से सूखे इलाकों में भी चलती है, मिट्टी की सेहत सुधारती है और पर्यावरण के अनुकूल है। गेहूं की तुलना में इसमें ग्लूटेन कम है, इसलिए पचाव आसान और वजन कंट्रोल में मददगार। डायबिटीज वाले रोगी इसे खाकर ब्लड शुगर स्थिर रख सकते हैं। बाजार में इसकी डिमांड तेज है ऑर्गेनिक स्टोर्स, सुपरमार्केट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ऊँचा दाम मिलता है। ICAR की सलाह है कि प्रमाणित बीज ही लें, जैसे NP-200 या स्थानीय किस्में। कीमत 500-1000 रुपये किलो है, लेकिन उपज से 30-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलने पर सारा खर्चा निकल आता है।

मिट्टी की तैयारी

खपली गेहूं को अच्छी जल निकासी वाली दोमट, रेतीली दोमट या काली मिट्टी पसंद है, जहाँ pH 6 से 7.5 तक हो। अगर मिट्टी भारी है तो ऊँची क्यारियाँ बना लें, पानी रुकने से जड़ें सड़ सकती हैं। खेत की दो जुताई करें – पहले हल से गहरी जुताई, फिर रोटावेटर से बारीक। बुवाई से पहले ही 10-15 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट अच्छी तरह मिला दें। हरी खाद जैसे सनहेम्प या धैनचा डालें तो मिट्टी की उर्वरता दोगुनी हो जाएगी। जैविक खेती के लिए बिल्कुल साफ मिट्टी रखें, कोई केमिकल न डालें।

बुवाई का सही समय और तरीका

शीतोष्ण इलाकों में अक्टूबर-नवंबर का समय बुवाई के लिए सबसे अच्छा है। गर्म इलाकों जैसे महाराष्ट्र में मई-जून में बो सकते हैं। एक हेक्टेयर के लिए 100-120 किलो प्रमाणित बीज लें। बीजों को रात भर 10 प्रतिशत नमक के घोल में तैरा लें हल्के वाले फेंक दें। फिर 5 ग्राम प्रति किलो ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें, फफूंद से बचाव होगा। लाइनों में बो दें पंक्तियों के बीच 20-25 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 5-7 सेंटीमीटर दूरी। बीज 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर डालें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। ड्रिप इरिगेशन हो तो पानी की बचत होगी।

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जैविक खाद और कीट प्रबंधन

जैविक खेती का राज यही है बुवाई के समय 10-15 टन गोबर खाद, 2 टन नीम खली और 1 टन वर्मीकम्पोस्ट डालें। अगर जरूरत हो तो 40-50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस और 25 किलो पोटाश दें, लेकिन जैविक स्रोत से। सिंचाई शुरुआत में हल्की, फिर हर 20-25 दिन में 3-4 बार। खरपतवार 20-30 दिन बाद गुड़ाई से साफ करें। कीटों से बचाव के लिए दीमक या तना बोरर पर नीम तेल 5 मिली प्रति लीटर छिड़कें। रतुआ रोग के लिए ट्राइकोडर्मा 5 किलो प्रति हेक्टेयर या मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर का स्प्रे करें। NDRI की सलाह है कि नियमित जाँच रखें, केमिकल से दूर रहें।

बीज कहां से मिलेगा?

खपली गेहूं के जैविक बीज कई विश्वसनीय स्रोतों से मिलते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और ICAR के क्षेत्रीय केंद्र (जैसे लखनऊ, इंदौर, पुणे) प्रमाणित बीज प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और राज्य बीज निगम (जैसे महाराष्ट्र बीज निगम) खपली गेहूं के बीज बेचते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart, और Bighaat पर जैविक खपली गेहूं के बीज 500-1000 रुपये/किलो की कीमत पर उपलब्ध हैं। सहजानंद ऑर्गेनिक्स और पतंजलि जैविक केंद्र भी उच्च गुणवत्ता के बीज सप्लाई करते हैं। स्थानीय स्तर पर FPO (किसान उत्पादक संगठन) और जैविक खेती समूहों से संपर्क करें। बीज खरीदने से पहले NPOP प्रमाणन जांचें और KVK से सलाह लें।

कटाई और उत्पादन

खपली गेहूं की फसल 120-150 दिन में तैयार होती है। जब दाने सख्त हो जाएं और पौधे का रंग सुनहरा हो, तो कटाई करें। कटाई सुबह के समय करें, ताकि दाने टूटें नहीं। एक हेक्टेयर से 30-40 क्विंटल उपज मिलती है। जैविक खपली गेहूं की उपज सामान्य गेहूं से कम (3-4 क्विंटल/बीघा) होती है, लेकिन इसकी कीमत 180 रुपये/किलो इसे लाभकारी बनाती है। कटाई के बाद दानों को साफ करके हवादार जगह में स्टोर करें। NPOP प्रमाणन लेने से कीमत 20-30% बढ़ सकती है।

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मुनाफे का खजाना

खपली गेहूं की बाजार में कीमत 180 रुपये/किलो (18,000 रुपये/क्विंटल) है। एक हेक्टेयर से 30-40 क्विंटल उपज से 5.4-7.2 लाख रुपये की आय हो सकती है। लागत (बीज, खाद, श्रम, सिंचाई) 40,000-50,000 रुपये/हेक्टेयर है। शुद्ध मुनाफा 5-6.7 लाख रुपये तक हो सकता है। यह गेहूं जैविक स्टोर, सुपरमार्केट, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart) पर बिकता है। पतंजलि, बिग बास्केट, और ऑर्गेनिक इंडिया सीधे किसानों से खरीद करते हैं। eNAM और FPO (किसान उत्पादक संगठन) बाजार लिंकेज प्रदान करते हैं। खपली गेहूं के स्वास्थ्य लाभ, जैविक खेती, और बीज उपलब्धता की जानकारी और लोगों को बताएं।

मधुमेह का मित्र

खपली गेहूं का लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI 40-45) मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है। यह रक्त शर्करा को स्थिर रखता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है। इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं। यह ग्लूटेन में कम होने से पाचन तंत्र के लिए हल्का है। NDRI के शोध बताते हैं कि खपली गेहूं का नियमित सेवन मोटापा और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। आयुर्वेद में इसे पौष्टिक और रोगनाशक माना जाता है। इसकी रोटी, दलिया, और ब्रेड स्वास्थ्यवर्धक हैं।

राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन और KVK खपली गेहूं की जैविक खेती के लिए 30-50% सब्सिडी देते हैं, जिसमें बीज, खाद, और यंत्र शामिल हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश सरकारें जैविक खेती को बढ़ावा देती हैं। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से 1.6 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त लोन उपलब्ध है। ICAR और NDRI प्रशिक्षण शिविर और बाजार लिंकेज प्रदान करते हैं। npop.gov.in पर जैविक प्रमाणन के लिए आवेदन करें। नजदीकी KVK से बीज और सब्सिडी की जानकारी लें।

प्राचीन खेती से आधुनिक मुनाफा

खपली गेहूं की जैविक खेती 2025 में किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। यह 3000 साल पुराना अनाज मधुमेह में दवा की तरह काम करता है और 180 रुपये/किलो की कीमत के साथ लाखों की कमाई देता है। कम लागत, कम पानी, और पर्यावरण के अनुकूल, यह फसल जैविक खेती का भविष्य है। KVK, ICAR, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से प्रमाणित बीज लें, सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाएं, और खपली गेहूं की खेती शुरू करें। यह आपके खेत, स्वास्थ्य, और समृद्धि का आधार बनेगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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