किसान भाइयों, खपली गेहूं (एम्मर गेहूं) एक 3000 साल पुरानी धरोहर है। यह जैविक अनाज पौष्टिक होने के साथ-साथ मधुमेह में दवा की तरह काम करता है। बाजार में इसकी कीमत 180 रुपये/किलो तक है, जो इसे किसानों के लिए “प्राचीन सोना” बनाता है। कम लागत, कम पानी, और उच्च मुनाफे के कारण खपली गेहूं की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह फसल जैविक खेती को बढ़ावा देती है और पर्यावरण को लाभ पहुंचाती है। यह लेख खपली गेहूं की वैज्ञानिक खेती, स्वास्थ्य लाभ, लागत, मुनाफा, बीज उपलब्धता, और बाजार की पूरी जानकारी देगा, ताकि किसान 2025 में इसे अपनाकर लाखों कमा सकें।
प्राचीन सोना: खपली गेहूं की खासियत
खपली गेहूं, जिसे एम्मर गेहूं कहते हैं, आधुनिक गेहूं से अलग है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, और सूक्ष्म पोषक तत्व (जस्ता, मैग्नीशियम) अधिक होते हैं। इसका लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI 40-45) मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है, क्योंकि यह रक्त शर्करा को धीरे-धीरे बढ़ाता है। यह ग्लूटेन में कम और पचाने में आसान है, जिससे गेहूं एलर्जी वाले लोग भी इसे खा सकते हैं। खपली गेहूं की रोटी, ब्रेड, और पास्ता स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होते हैं। इसकी मांग जैविक स्टोर, सुपरमार्केट, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart) पर बढ़ रही है। यह सूखा सहनशील है और रासायनिक खाद की कम जरूरत पड़ती है, जिससे लागत कम रहती है।
खेती की शुरुआत: जलवायु और भूमि
खपली गेहूं की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त है। 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 300-500 मिमी वर्षा इसके लिए आदर्श है। इसे दोमट, बलुई दोमट, या काली मिट्टी (pH 6-7.5) में बोया जा सकता है। जल निकासी जरूरी है, क्योंकि जलभराव जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। खेत की तैयारी के लिए दो बार जुताई करें—पहली गहरी जुताई हल से और दूसरी रोटावेटर से। ICAR की सलाह है कि 10-15 टन/हेक्टेयर गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी में मिलाएं। जैविक खेती के लिए रासायनिक खाद से बचें, ताकि गेहूं की प्राकृतिक गुणवत्ता बनी रहे।
बुवाई का मंत्र: समय और विधि
खपली गेहूं की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में करें, लेकिन गर्म क्षेत्रों (जैसे महाराष्ट्र) में इसे मई-जून में भी बोया जा सकता है। ICAR द्वारा अनुमोदित बीज चुनें, जैसे NP-200 या स्थानीय खपली किस्में। प्रति हेक्टेयर 100-120 किलो बीज पर्याप्त हैं। बीज को बोने से पहले ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम/किलो) से उपचारित करें, ताकि फफूंद रोग न हों। बुवाई कतारों में करें, जहां पंक्तियों के बीच 20-25 सेमी और पौधों के बीच 5-7 सेमी दूरी हो। बीज को 4-5 सेमी गहराई में बोएं। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। जैविक खेती के लिए 10% नमक का घोल बनाकर बीज छांटें, ताकि हल्के और खराब बीज अलग हो जाएं।
बीज कहां से मिलेगा?
खपली गेहूं के जैविक बीज कई विश्वसनीय स्रोतों से मिलते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और ICAR के क्षेत्रीय केंद्र (जैसे लखनऊ, इंदौर, पुणे) प्रमाणित बीज प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और राज्य बीज निगम (जैसे महाराष्ट्र बीज निगम) खपली गेहूं के बीज बेचते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart, और Bighaat पर जैविक खपली गेहूं के बीज 500-1000 रुपये/किलो की कीमत पर उपलब्ध हैं। सहजानंद ऑर्गेनिक्स और पतंजलि जैविक केंद्र भी उच्च गुणवत्ता के बीज सप्लाई करते हैं। स्थानीय स्तर पर FPO (किसान उत्पादक संगठन) और जैविक खेती समूहों से संपर्क करें। बीज खरीदने से पहले NPOP प्रमाणन जांचें और KVK से सलाह लें।
देखभाल की कला: खाद और सिंचाई
खपली गेहूं को कम पानी और उर्वरक चाहिए। जैविक खेती के लिए 10-15 टन/हेक्टेयर गोबर की खाद, 2 टन/हेक्टेयर नीम खली, और 1 टन/हेक्टेयर वर्मीकम्पोस्ट डालें। यदि रासायनिक उर्वरक जरूरी हों, तो 40-50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस, और 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर दें। बुवाई के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। इसके बाद 3-4 सिंचाई (20-25 दिन के अंतराल पर) पर्याप्त हैं। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। सनई या ढैंचा की हरी खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है।
कीट और रोग नियंत्रण
खपली गेहूं में कीट और रोग कम लगते हैं, क्योंकि यह प्राचीन और मजबूत किस्म है। फिर भी, दीमक, तना बेधक, और रतुआ रोग की समस्या हो सकती है। दीमक से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। रतुआ रोग के लिए मैनकोजेब (2 ग्राम/लीटर) या जैविक ट्राइकोडर्मा (5 किलो/हेक्टेयर) का उपयोग करें। नियमित जांच और साफ-सफाई से कीट-रोग नियंत्रित रहते हैं। NDRI की सलाह है कि जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों से बचें। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सलाह लें।
कटाई और उत्पादन
खपली गेहूं की फसल 120-150 दिन में तैयार होती है। जब दाने सख्त हो जाएं और पौधे का रंग सुनहरा हो, तो कटाई करें। कटाई सुबह के समय करें, ताकि दाने टूटें नहीं। एक हेक्टेयर से 30-40 क्विंटल उपज मिलती है। जैविक खपली गेहूं की उपज सामान्य गेहूं से कम (3-4 क्विंटल/बीघा) होती है, लेकिन इसकी कीमत 180 रुपये/किलो इसे लाभकारी बनाती है। कटाई के बाद दानों को साफ करके हवादार जगह में स्टोर करें। NPOP प्रमाणन लेने से कीमत 20-30% बढ़ सकती है।
मुनाफे का खजाना: बाजार और कमाई
खपली गेहूं की बाजार में कीमत 180 रुपये/किलो (18,000 रुपये/क्विंटल) है। एक हेक्टेयर से 30-40 क्विंटल उपज से 5.4-7.2 लाख रुपये की आय हो सकती है। लागत (बीज, खाद, श्रम, सिंचाई) 40,000-50,000 रुपये/हेक्टेयर है। शुद्ध मुनाफा 5-6.7 लाख रुपये तक हो सकता है। यह गेहूं जैविक स्टोर, सुपरमार्केट, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart) पर बिकता है। पतंजलि, बिग बास्केट, और ऑर्गेनिक इंडिया सीधे किसानों से खरीद करते हैं। eNAM और FPO (किसान उत्पादक संगठन) बाजार लिंकेज प्रदान करते हैं। खपली गेहूं के स्वास्थ्य लाभ, जैविक खेती, और बीज उपलब्धता की जानकारी और लोगों को बताएं।
मधुमेह का मित्र: स्वास्थ्य लाभ
खपली गेहूं का लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI 40-45) मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है। यह रक्त शर्करा को स्थिर रखता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है। इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं। यह ग्लूटेन में कम होने से पाचन तंत्र के लिए हल्का है। NDRI के शोध बताते हैं कि खपली गेहूं का नियमित सेवन मोटापा और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। आयुर्वेद में इसे पौष्टिक और रोगनाशक माना जाता है। इसकी रोटी, दलिया, और ब्रेड स्वास्थ्यवर्धक हैं।
राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन और KVK खपली गेहूं की जैविक खेती के लिए 30-50% सब्सिडी देते हैं, जिसमें बीज, खाद, और यंत्र शामिल हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश सरकारें जैविक खेती को बढ़ावा देती हैं। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से 1.6 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त लोन उपलब्ध है। ICAR और NDRI प्रशिक्षण शिविर और बाजार लिंकेज प्रदान करते हैं। npop.gov.in पर जैविक प्रमाणन के लिए आवेदन करें। नजदीकी KVK से बीज और सब्सिडी की जानकारी लें।
प्राचीन खेती, आधुनिक मुनाफा
खपली गेहूं की जैविक खेती 2025 में किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। यह 3000 साल पुराना अनाज मधुमेह में दवा की तरह काम करता है और 180 रुपये/किलो की कीमत के साथ लाखों की कमाई देता है। कम लागत, कम पानी, और पर्यावरण के अनुकूल, यह फसल जैविक खेती का भविष्य है। KVK, ICAR, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से प्रमाणित बीज लें, सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाएं, और खपली गेहूं की खेती शुरू करें। यह आपके खेत, स्वास्थ्य, और समृद्धि का आधार बनेगी।
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