किसान भाइयों की मेहनत और खेती की तरक्की उत्तर प्रदेश में हमेशा से प्राथमिकता रही है। जब से योगी सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से हमारे खेतों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का काम तेज़ी से चल रहा है। फसलों की पैदावार बढ़ाने से लेकर सही समय पर खाद और बीज की उपलब्धता तक, हर कदम पर योगी सरकार किसानों के साथ है। खरीफ सत्र 2025 में भी यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। आँकड़े साफ़ बता रहे हैं कि खाद की बिक्री और उपलब्धता में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
सही दाम पर खाद की गारंटी
हमारे खेतों में फसलों को हरा-भरा रखने के लिए खाद बहुत ज़रूरी है। सरकार ने यह पक्का किया है कि हर किसान को निर्धारित दाम पर बेहतर क्वालिटी की खाद मिले। कालाबाजारी, ज़्यादा कीमत वसूलने, या खाद के साथ अनावश्यक सामान थोपने जैसे गलत कामों पर सख्ती से रोक लगाई जा रही है। अगर कोई दुकानदार गलत करता है, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो रही है। इससे किसान भाइयों को बिना किसी दिक्कत के खाद मिल रही है, और वो अपनी फसलों की देखभाल आसानी से कर पा रहे हैं।
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खरीफ 2025 में खाद की बिक्री का नया रिकॉर्ड
इस साल खरीफ सत्र में खाद की बिक्री ने पुराने सारे कीर्तिमान तोड़ दिए हैं। कृषि विभाग के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, 11 अगस्त 2025 तक 39.40 लाख मीट्रिक टन खाद की बिक्री हो चुकी है। पिछले साल, यानी खरीफ 2024 में, इस समय तक सिर्फ़ 33.42 लाख मीट्रिक टन खाद बिकी थी। यानी इस बार 5.98 लाख मीट्रिक टन ज़्यादा खाद किसानों तक पहुँची है। ये आँकड़े सरकार और कृषि विभाग की मेहनत को साफ़ दिखाते हैं। आने वाले समय में ये बिक्री और बढ़ने वाली है, ताकि हर किसान को उसकी ज़रूरत का खाद समय पर मिले।
यूरिया
यूरिया हर फसल के लिए ज़रूरी है, और इसकी कमी से किसान भाइयों को परेशानी हो सकती है। पिछले साल खरीफ सत्र में यूरिया की माँग 38 लाख मीट्रिक टन थी, जो इस साल बढ़कर 39.92 लाख मीट्रिक टन हो गई है। अच्छी खबर ये है कि 11 अगस्त 2025 तक 28.98 लाख मीट्रिक टन यूरिया की बिक्री हो चुकी है, जो पिछले साल के 24.53 लाख मीट्रिक टन से कहीं ज़्यादा है। इससे साफ़ है कि सरकार ने यूरिया की सप्लाई को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। हर ज़िले में यूरिया आसानी से उपलब्ध है, और किसान भाई इसे बिना किसी दिक्कत के खरीद पा रहे हैं।
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डीएपी
डीएपी, यानी डायमोनियम फॉस्फेट, फसलों की जड़ों को मज़बूत करता है और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है। खरीफ 2024 में इसकी माँग 9.05 लाख मीट्रिक टन थी, जो इस साल बढ़कर 10 लाख मीट्रिक टन हो गई है। 11 अगस्त 2025 तक 5.11 लाख मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हो चुकी है, जो पिछले साल के 5.02 लाख मीट्रिक टन से थोड़ा ज़्यादा है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि डीएपी की सप्लाई में कोई कमी न आए, और ये सही समय पर किसानों तक पहुँचे।
एनपीके
एनपीके, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम का मिश्रण होता है, फसलों को हर तरह का पोषण देता है। पिछले साल खरीफ सत्र में इसकी माँग 6 लाख मीट्रिक टन थी, और बिक्री 1.88 लाख मीट्रिक टन हुई थी। लेकिन इस बार 11 अगस्त 2025 तक 2.25 लाख मीट्रिक टन एनपीके की बिक्री हो चुकी है। ये बढ़ोतरी दिखाती है कि किसानों तक ज़्यादा से ज़्यादा एनपीके पहुँच रहा है, जिससे उनकी फसलों की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ रही है।
एमओपी, मिट्टी को दे नई ताकत
म्यूरेट ऑफ पोटाश, यानी एमओपी, मिट्टी की उर्वरता और फसलों की क्वालिटी के लिए बहुत ज़रूरी है। खरीफ 2024 में इसकी माँग 0.47 लाख मीट्रिक टन थी, जो इस साल बढ़कर 1.25 लाख मीट्रिक टन हो गई है। 11 अगस्त 2025 तक 0.43 लाख मीट्रिक टन एमओपी की बिक्री हो चुकी है, जो पिछले साल के 0.23 लाख मीट्रिक टन से कहीं ज़्यादा है। इससे पता चलता है कि सरकार ने एमओपी की उपलब्धता को और बेहतर किया है।
एसएसपी, फसलों को नया बल
सिंगल सुपर फॉस्फेट, यानी एसएसपी, फसलों को फॉस्फोरस और सल्फर देता है, जो उनकी बढ़त के लिए बहुत ज़रूरी है। पिछले साल खरीफ सत्र में 11 अगस्त तक 1.76 लाख मीट्रिक टन एसएसपी की बिक्री हुई थी, लेकिन इस बार ये बढ़कर 2.63 लाख मीट्रिक टन हो गई है। ये आँकड़ा दिखाता है कि किसान भाइयों को उनकी ज़रूरत का हर खाद समय पर और आसानी से मिल रहा है।
योगी सरकार का मकसद है कि हमारे खेतों में काम करने वाले हर किसान को खेती में कोई दिक्कत न हो। खाद की सप्लाई को और बेहतर करने के लिए हर ज़िले में निगरानी टीमें लगाई गई हैं। जीपीएस ट्रैकिंग से खाद के ट्रकों पर नज़र रखी जा रही है, ताकि ये सीधे किसानों तक पहुँचे। कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो रही है। किसान भाइयों से अपील है कि वो अपनी ज़रूरत के हिसाब से ही खाद खरीदें, ताकि किसी को कमी न हो।
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