Kharif Season Crops: खरीफ सीजन की बौछार शुरू होते ही किसान भाइयों के चेहरे खिल उठते हैं। मानसून की बारिश के साथ खेतों में धान, उड़द, अरहर, मक्का, ज्वार, तिल, कोदो, कुटकी, और रागी की बुआई का जोश चढ़ जाता है। इस बार खुशखबरी ये है कि 2025 के लिए कई उन्नत किस्मों के बीज बाजार में हैं, जो ज्यादा पैदावार और रोग-कीटों से लड़ने की ताकत देते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने भारत के अलग-अलग इलाकों की मिट्टी और मौसम को ध्यान में रखकर ये किस्में तैयार की हैं। जानें कि कौन सी किस्में आपके खेतों को चमकाएँगी और विशेषज्ञों की क्या सलाह है।
धान की उन्नत किस्में
धान खरीफ की जान है, और इस बार किसानों के लिए ढेर सारी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं। राजेन्द्र श्वेता, राजेन्द्र विभूति, सीआर धान 108, सबौर मंसूरी, सबौर हीरा, स्वर्ण पूर्वी धान-4, और पूर्णिमा जैसी किस्में अच्छी पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए मशहूर हैं। पूसा सीरीज में पूसा-834, पूसा-1401, पूसा-1886, पूसा-1885, पूसा-1847, पूसा-1637, पूसा-1718, पूसा-1728, और पूसा-1692 किसानों का भरोसा जीत रही हैं। पीबी-1121, पीबी-1692, और पीबी-1718 बासमती की शानदार किस्में हैं। सहभागी, एमटीयू-1010, और कोकिला सीरीज (11, 22, 33, 44) छोटे खेतों के लिए बढ़िया हैं। हाइब्रिड धान में जेआरएच-56, जेआरएच-8, और जेआरएच-19 ज्यादा उत्पादन का वादा करती हैं। ये किस्में बारिश पर निर्भर इलाकों में भी कमाल दिखाती हैं।
उड़द और अरहर की बेहतरीन किस्में
दलहनी फसलों में उड़द और अरहर किसानों की कमाई का बड़ा जरिया हैं। उड़द की नई किस्मों में आईपीयू-13-01, आईपीयू-10-26, टीजेयू-130, टीजेयू-339, प्रताप, और उड़द-1 शामिल हैं। ये किस्में रोगों से लड़ने और ज्यादा दाने देने में माहिर हैं। अरहर में आईपीए-15-06, जीआरजी-152 (भीमा), पूसा-16, और पूसा-992 बढ़िया पैदावार देती हैं। ये किस्में कम समय में पककर किसानों का खर्च और मेहनत बचाती हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बीजों को स्थानीय मिट्टी के हिसाब से चुनें ताकि फसल शानदार हो।
मक्का, ज्वार और तिल की उन्नत किस्में
मक्का किसानों के लिए जवाहर मक्का-12, जवाहर मक्का-1014, पूसा जवाहर हाइब्रिड-2, आईएमएच-230, आईएमएचएसबी-20, और आर-6 जैसी किस्में बढ़िया विकल्प हैं। ये किस्में ज्यादा दाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं। ज्वार की खेती करने वालों के लिए आरवीजे-2357 और आरवीजे-1862 शानदार हैं, जो चारे और अनाज दोनों के लिए उपयुक्त हैं। तिल की खेती में कृष्ण, पटना-64, कांके सफेद, विनायक, कालिका, कनक उमा, उषा, और बी-67 जैसी किस्में कम पानी और कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं। ये तेलहन फसलें बाजार में अच्छा दाम दिलाती हैं।
कोदो, कुटकी, और रागी के लिए बेहतर बीज
मोटे अनाज यानी मिलेट्स की माँग आजकल बढ़ रही है, और किसानों के लिए ये फायदे का सौदा हैं। कोदो में जवाहर कोदो-137 और जवाहर कोदो-9-1, कुटकी में जवाहर कुटकी-36 और जवाहर कुटकी-95 अच्छी पैदावार देती हैं। रागी की बीएल मंडुआ-204, बीएल मंडुआ-146, बीएल मंडुआ-314, बीएल मंडुआ-315, बीएल मंडुआ-124, बीएल मंडुआ-149, सीओ-9, सीओ-13, सीओ (रा)-14, और टीआरवाई-1 जैसी किस्में पोषण और उत्पादन में अव्वल हैं। ये फसलें कम पानी और कम खाद में भी उगती हैं, जो छोटे किसानों के लिए बड़ा फायदा है।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बीज चुनते वक्त स्थानीय कृषि अनुसंधान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से सलाह जरूर लें। हर इलाके की मिट्टी और मौसम अलग होता है, इसलिए सही किस्म चुनना जरूरी है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, समय पर बुआई, और सही खाद-पानी का इस्तेमाल फसल को दोगुना कर सकता है। खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन के लिए भी वैज्ञानिक तरीके अपनाएँ। ये उन्नत किस्में 2025 में किसानों की मेहनत को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँगी।
किसान भाइयों के लिए टिप्स
खरीफ सीजन में इन उन्नत बीजों को अपनाएँ और अपने खेतों को हरा-भरा करें। बीज खरीदने से पहले प्रमाणित दुकान या सरकारी केंद्र से लें। अपने गाँव के दूसरे किसानों को भी इन किस्मों के बारे में बताएँ, ताकि सबकी कमाई बढ़े। खेती में मेहनत और सही जानकारी के साथ इस बार बंपर पैदावार पक्की है।
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