Kitchen Garden Tips: हमारे गाँवों- शहरों में किचन गार्डन यानी रसोई बाग का बड़ा महत्व है। घर के आँगन या छत पर लगे छोटे-छोटे पौधे न सिर्फ ताजी सब्जियाँ और हरी पत्तियाँ देते हैं, बल्कि घर को हरा-भरा भी बनाते हैं। लेकिन इन पौधों को कीटों और फंगल रोगों से बचाना आसान काम नहीं। रासायनिक दवाएँ महँगी होती हैं और सेहत के लिए भी ठीक नहीं। ऐसे में आपके रसोई के मसाले आपका साथी बन सकते हैं। जी हाँ, हल्दी, दालचीनी, लहसुन जैसे मसाले न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि आपके पौधों को स्वस्थ रखने में भी कमाल करते हैं। आइए, जानते हैं कि इन देसी नुस्खों को कैसे आजमाएँ।
दालचीनी
रसोई में दालचीनी का इस्तेमाल तो आप करते ही होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये आपके पौधों के लिए भी वरदान है? दालचीनी में प्राकृतिक कवकनाशी गुण होते हैं, जो पौधों को फंगल रोगों से बचाती है। खासकर नन्हे पौधों को डैम्पिंग ऑफ जैसे रोग से बचाने में ये बहुत कारगर है। अगर आपके पौधे की जड़ें या तना कट गया हो, तो उस जगह पर थोड़ा दालचीनी पाउडर छिड़क दें। इससे संक्रमण रुक जाता है। आप इसे मिट्टी में भी मिला सकते हैं ताकि नए अंकुर फंगल रोगों से बचे रहें। ये तरीका इतना आसान है कि कोई भी इसे आजमा सकता है।
हल्दी
हल्दी तो हर भारतीय रसोई की शान है। इसके एंटीसेप्टिक और एंटी-फंगल गुण न सिर्फ हमारी सेहत के लिए अच्छे हैं, बल्कि पौधों के लिए भी फायदेमंद हैं। अगर आपके किचन गार्डन में पौधों की जड़ें सड़ रही हैं या फंगल रोग हो रहे हैं, तो हल्दी पाउडर काम आ सकता है। बस थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिट्टी में मिलाएँ या प्रभावित जड़ों पर हल्का सा छिड़क दें। इससे जड़ों को सुरक्षा मिलती है और पौधा स्वस्थ रहता है। ये देसी नुस्खा सस्ता भी है और पूरी तरह प्राकृतिक भी।
लाल मिर्च
लाल मिर्च की तीखी गंध न सिर्फ हमें छींक देती है, बल्कि कीटों और गिलहरियों को भी दूर भगाती है। अगर आपके किचन गार्डन में कीट पौधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, तो लाल मिर्च पाउडर का इस्तेमाल करें। इसे पौधों के चारों ओर हल्का सा छिड़क दें या पानी में घोलकर स्प्रे बनाएँ और पौधों पर छिड़कें। ये स्प्रे कीटों को भगाने में बहुत कारगर है। खासकर गिलहरी और चूहे, जो पौधों को कुतरते हैं, इसकी गंध से दूर भागते हैं। बस ध्यान रखें कि स्प्रे करते वक्त इसे अपनी आँखों से बचाएँ।
लौंग तेल
लौंग का तेल आपके किचन गार्डन के लिए एक और शानदार उपाय है। ये फंगल रोगों को खत्म करने के साथ-साथ एफिड्स और चींटियों जैसे छोटे कीटों को भी भगाता है। लौंग तेल को पानी में मिलाकर एक स्प्रे बनाएँ और इसे पौधों की पत्तियों पर छिड़कें। इससे पत्तियों पर होने वाला फंगल संक्रमण रुक जाता है। अगर आपके पास लौंग तेल नहीं है, तो लौंग को पानी में उबालकर उसका पानी भी स्प्रे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तरीका न सिर्फ आसान है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है।
लहसुन
लहसुन का तीखा स्वाद और गंध कीटों के लिए किसी जहर से कम नहीं। अगर आपके किचन गार्डन में एफिड्स, सफेद मक्खी या कैटरपिलर जैसे कीट पौधों को परेशान कर रहे हैं, तो लहसुन आपकी मदद कर सकता है। लहसुन पाउडर को पानी में मिलाकर एक स्प्रे बनाएँ और पौधों पर छिड़कें। ये स्प्रे न सिर्फ कीटों को भगाता है, बल्कि पाउडरी मिल्ड्यू और रस्ट जैसे फंगल रोगों को भी रोकता है। अगर लहसुन पाउडर नहीं है, तो ताजा लहसुन की कुछ कलियाँ पीसकर पानी में मिलाएँ और छानकर स्प्रे करें। ये देसी नुस्खा आपके पौधों को हरा-भरा रखेगा।
क्यों अपनाएँ मसालों के नुस्खे?
रसोई के मसालों का इस्तेमाल पौधों को स्वस्थ रखने का एक ईको-फ्रेंडली और सस्ता तरीका है। रासायनिक कीटनाशक और फफूंदनाशक न सिर्फ महँगे होते हैं, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचाते हैं। साथ ही, किचन गार्डन की सब्जियाँ सीधे आपकी थाली में आती हैं, इसलिए इनमें रसायनों का इस्तेमाल सेहत के लिए ठीक नहीं। मसाले जैसे दालचीनी, हल्दी, लहसुन और लाल मिर्च प्राकृतिक हैं और हर घर में आसानी से मिल जाते हैं। इनके इस्तेमाल से आपका बगीचा कीटों और रोगों से बचा रहेगा, और सब्जियाँ भी शुद्ध और स्वस्थ रहेंगी।
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