Kufri Bahar Potato 3797 New Variety: किसान भाइयों, भारतीय कृषि जगत में कुफरी बहार 3797 आलू की किस्म 2025 में सुर्खियाँ बटोर रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस हाइब्रिड किस्म ने अपनी उच्च उपज, रोग प्रतिरोधकता, और आधुनिक तकनीकी नवाचारों के दम पर किसानों का दिल जीत लिया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और तटीय क्षेत्रों में इसकी मांग बढ़ रही है। ये किस्म न सिर्फ खेती को आसान बनाती है, बल्कि कम लागत में मोटा मुनाफा देती है। अनुमान है कि ये पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-25% ज्यादा पैदावार देती है, जो इसे सतत खेती के लिए आदर्श बनाती है।
उत्पत्ति और वैज्ञानिक योगदान
कुफरी बहार 3797 की शुरुआत ICAR के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में हुई। वैज्ञानिकों ने इसे उन्नत बीज नवाचारों के जरिए विकसित किया, ताकि ये उच्च उपज दे और तटीय व पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु में फले-फूले। खासकर उन राज्यों में इसे बढ़ावा दिया गया, जहाँ आलू की खपत और बाजार मांग ज्यादा है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश। फर्रुखाबाद और बेगूसराय जैसे इलाकों में इसकी बीज मांग बढ़ रही है, जहाँ इसे 630-650 रुपये प्रति 55 किलो पैकेट में खरीदा जा रहा है। इसकी पैदावार 33-40 टन प्रति हेक्टेयर तक है, जो पारंपरिक किस्मों (24-29 टन/हेक्टेयर) से कहीं ज्यादा है।

ये भी पढ़ें- क्यों हर किसान खोज रहा है मिर्च की 1049 वैरायटी? पैदावार देख रह जाएंगे दंग!
रोग प्रतिरोधकता का कमाल
Kufri Bahar Potato 3797 New Variety की सबसे बड़ी खासियत है इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता। लेट ब्लाइट, जो आलू का सबसे खतरनाक रोग है, इसके खिलाफ ये किस्म 40% तक ज्यादा प्रतिरोधी है। भूरे सड़न (ब्राउन रॉट) और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोगों को भी ये बखूबी झेल लेती है। इससे कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग 30% तक कम हो जाता है, जो लागत घटाता है और पर्यावरण को सुरक्षित रखता है। मध्य प्रदेश के कुम्हेर क्षेत्र में किसान रनवीर सिंह ने खारे पानी में भी इस किस्म की खेती कर 30 बीघा में 40 लाख रुपये की कमाई की, जो इसकी अनुकूलता को दर्शाता है। ये किस्म सतत खेती की दिशा में बड़ा कदम है।
आधुनिक कृषि तकनीक का साथ
कुफरी बहार 3797 की खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग इसे और फायदेमंद बनाता है। खेत की तैयारी के लिए मिट्टी का pH (5.5-7.0) जाँचें और 20 टन/हेक्टेयर गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। अक्टूबर-नवंबर में बुवाई आदर्श है, और ड्रिप सिंचाई से पानी की 80% दक्षता हासिल होती है। घास-पुआल की मल्चिंग जड़ों में नमी बनाए रखती है। ट्राइकोडर्मा और राइजोबियम जैसे जैविक उर्वरकों का उपयोग फसल की सेहत बढ़ाता है।
ये भी पढ़ें- तिखुर (सफेद हल्दी) की खेती से करें तगड़ी कमाई! जानें उगाने का तरीका, फायदे और बाजार मूल्य
कटाई और स्टोरेज में नवाचार
ये किस्म 75-85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो पारंपरिक किस्मों (95-110 दिन) से तेज है। पूरी तरह पकने पर कटाई करें और 4-10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करें, ताकि गुणवत्ता बनी रहे। इसका शेल्फ लाइफ लंबा है, जो इसे फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स, और होलसेल बाजार के लिए आदर्श बनाता है। ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसेबिलिटी से उपभोक्ताओं को उत्पाद की प्रामाणिकता की गारंटी मिलती है, जिससे प्रीमियम दाम मिलते हैं। 2025 में मंडी भाव 2651 रुपये/क्विंटल तक रहा, जो किसानों के लिए फायदेमंद है।
व्यावसायिक अवसर और आर्थिक लाभ
Kufri Bahar Potato 3797 New Variety किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। इसकी उच्च उपज (33-40 टन/हेक्टेयर) और रोग प्रतिरोधकता से सालाना 18% ज्यादा आय संभव है। बाजार में इसकी मांग फ्रेंच फ्राइज़ और चिप्स उद्योगों में बढ़ रही है। सैटेलाइट डेटा और डिजिटल ट्रैकिंग से फसल ऋण और बीमा लेना आसान हो गया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, और कर्नाटक में इसकी खेती बढ़ रही है।
2025 में Kufri Bahar Potato 3797 New Variety सतत खेती की दिशा में गेम-चेंजर है। ICAR किसानों को तकनीकी सहायता दे रहे हैं। जैविक फंगीसाइड और बड़े खेतों की ऑनलाइन निगरानी से खेती आसान और किफायती हो रही है। किसान भाई नजदीकी कृषि केंद्र से रोग-मुक्त बीज लें और इस किस्म को अपनाकर अपनी आय बढ़ाएँ। ये नई किस्म न सिर्फ खेतों में, बल्कि बाजार में भी नई उम्मीदें जगा रही है।
ये भी पढ़ें- प्याज की इस नई किस्म से 85 दिन में मिलेगी 300-325 क्विंटल/हेक्टेयर पैदावार, किसानों को मिलेगा तगड़ा मुनाफा