किसान भाइयों, आलू भारत की सबसे महत्वपूर्ण सब्जी फसलों में से एक है, जो हर घर में अपनी जगह बनाता है। अगर खेती से जल्दी और ज्यादा मुनाफा कमाना हो, तो कुफरी पुखराज आलू से बेहतर विकल्प नहीं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), शिमला द्वारा 1998 में विकसित यह अगैती किस्म 75-90 दिन में पककर 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। इसका हल्का सुनहरा छिलका, पीला गूदा, और वैक्सी बनावट इसे खाने और प्रोसेसिंग के लिए आदर्श बनाती है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा में यह किस्म किसानों की पहली पसंद है। यह भारत के कुल आलू क्षेत्र का 33% हिस्सा कवर करती है। बिहार के भागलपुर के किसान सुनील महतो ने बताया कि कुफरी पुखराज की खेती से उनकी फसल सितंबर में तैयार हुई और 14 रुपये/किलो के दाम से 2.8 लाख रुपये का मुनाफा हुआ। यह किस्म तेजी से बढ़ती है और सूखा सहन करने की क्षमता इसे खास बनाती है।
कुफरी पुखराज की खासियतें
कुफरी पुखराज आलू की सबसे बड़ी खासियत इसकी जल्दी पकने की क्षमता है। यह 75-90 दिन में तैयार होकर खेत को दूसरी फसल के लिए खाली कर देती है। इसके कंद मध्यम से बड़े, अंडाकार, और हल्के सुनहरे छिलके वाले होते हैं। पीला गूदा उबालने, तलने, और मसले हुए व्यंजनों के लिए शानदार है। इसका स्टार्च कंटेंट 15-17% होता है, जो इसे करी, पराठा, और फ्राइज के लिए उपयुक्त बनाता है।

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यह अर्ली ब्लाइट रोग और वायरस के प्रति सहनशील है, जबकि लेट ब्लाइट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। कुछ क्षेत्रों में यह 320 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। पंजाब के जालंधर में इसकी खेती से किसानों ने 4 लाख रुपये/हेक्टेयर तक कमाए। यह कम पानी और उर्वरक वाले क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे लागत कम रहती है।
खेती का वैज्ञानिक तरीका
कुफरी पुखराज आलू की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है। खेत को दो-तीन बार जोतकर समतल करें और 20-25 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर डालें। बुवाई के लिए 20-25 क्विंटल प्रमाणित बीज लें, जिनका आकार 40-50 ग्राम हो। बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो) और मैनकोजेब (3 ग्राम/किलो) से उपचारित करें, ताकि बीजजनित रोगों से बचाव हो। बुवाई जुलाई-अगस्त में अगेती फसल के लिए या अक्टूबर-नवंबर में मुख्य फसल के लिए करें।
पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और कंदों के बीच 20 सेंटीमीटर रखें। उर्वरक के लिए 100 किलो यूरिया, 150 किलो डीएपी, 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश, और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर डालें। आधी नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी 30 दिन बाद दें। पहली हल्की सिंचाई बुवाई के 7-10 दिन बाद करें और दूसरी 15-20 दिन बाद। अंतिम सिंचाई खुदाई से 10-15 दिन पहले रोक दें। उत्तराखंड के पंतनगर में इस तकनीक से उपज 25% बढ़ी।
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रोग और कीटों से बचाव
कुफरी पुखराज आलू अर्ली ब्लाइट और वायरस जैसे पत्ती मुड़ना रोग के प्रति सहनशील है, लेकिन लेट ब्लाइट से सावधानी बरतनी जरूरी है। अर्ली ब्लाइट के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 35-40 दिन बाद करें। लेट ब्लाइट से बचाव के लिए ब्लाइटोक्स या रिडोमिल गोल्ड (2 ग्राम/लीटर) का उपयोग करें। पत्ती मुड़ना रोग के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और रोगमुक्त बीज लें। कटवर्म और माहूँ जैसे कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के बाद पेंडिमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव करें। 25-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें और मिट्टी चढ़ाएँ, ताकि कंद हरे न हों। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में इन उपायों से उपज 20% बढ़ी। फसल को 75-90 दिन में काटें, जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें।
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भंडारण और प्रोसेसिंग में उपयोग
कुफरी पुखराज आलू के कंदों की रखवाली अच्छी होती है, क्योंकि इनका ड्राई मैटर 15-18% होता है। यह 2-3 महीने तक सामान्य भंडारण में बिना सिकुड़न या अंकुरण के रहता है। इसका वैक्सी गूदा और हल्का सुनहरा छिलका इसे करी, पराठा, और फ्राइज के लिए उपयुक्त बनाता है। हालांकि, यह प्रोसेसिंग के लिए चिप्स या फ्रेंच फ्राइज बनाने में कुफरी चिप्सोना-1 जैसी किस्मों से कम प्रभावी है, क्योंकि इसका शुगर कंटेंट थोड़ा अधिक होता है। फिर भी, इसका हल्का मिट्टी जैसा स्वाद और खाने में आसानी इसे घरेलू और स्थानीय बाजारों में लोकप्रिय बनाती है। पश्चिम बंगाल के हुगली में किसानों ने इसके भंडारण और बाजार मांग की सराहना की।
मुनाफे का सुनहरा रास्ता
कुफरी पुखराज आलू की अगेती बुवाई से किसान सितंबर-अक्टूबर में फसल बेचकर 10-15 रुपये/किलो का दाम पा सकते हैं। 250-300 क्विंटल/हेक्टेयर उपज से 2.5-4.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 80,000-1 लाख रुपये/हेक्टेयर आती है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है। शुद्ध मुनाफा 1.5-3.5 लाख रुपये तक हो सकता है। CPRI के एक अध्ययन के अनुसार, कुफरी पुखराज ने 1978-2018 तक 54,084 करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ दिया, जिसमें 73% उपभोक्ताओं और 27% उत्पादकों को मिला।
हरियाणा के हिसार में किसानों ने इसकी जल्दी तैयार होने और रोग प्रतिरोधकता की तारीफ की। किसान भाई CPRI, शिमला, या नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से प्रमाणित बीज और सलाह लें। कुफरी पुखराज से कम समय में बंपर मुनाफा कमाएँ और खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।
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