गर्मियों में करें कुंदरू की इन टॉप किस्मों की खेती, नोंटों से खचाखच भर जाएगी तिजोरी

Kundrun Top 3 Variety: क्या आप ऐसी फसल की तलाश में हैं, जो कम मेहनत में जेब भर दे और बाजार में हर मौसम बिके? कुंदरू की खेती आपके लिए ऐसा ही सुनहरा मौका है। ये छोटी-सी सब्जी सालभर मंडी में छाई रहती है, और सही किस्मों से खेती करें तो खेत से लाखों की कमाई हो सकती है। चाहे गर्मी हो या बरसात, कुंदरू की लताएँ हर मौसम में फल देती हैं। खास बात ये कि एक बार पौधा लगाओ, तो 2-4 साल तक फल लेते रहो। आइए, जानते हैं कुंदरू की खेती का देसी तरीका और इसकी टॉप किस्में, जो किसानों को मालामाल कर रही हैं।

कुंदरू की टॉप किस्में

कुंदरू की कई किस्में हैं, जो ज्यादा पैदावार और अच्छे दाम के लिए जानी जाती हैं।

पहली है सुलभा सी जी-23, जिसके फल लंबे, गहरे हरे, और चमकदार होते हैं। इसकी लताएँ 35-40 दिन में फूल देती हैं, और 45-50 दिन में पहली तुड़ाई हो जाती है। एक पौधा साल में 1000 फल तक दे सकता है, और प्रति हेक्टेयर 400-425 क्विंटल पैदावार मिलती है।

दूसरी किस्म है इंदिरा कुंदरू 35, जिसके फल हल्के हरे और लंबे (6 सेमी) होते हैं। ये किस्म प्रति लता 22 किलो फल देती है, और हेक्टेयर में 410-450 क्विंटल पैदावार होती है।

तीसरी है काशी भरपूर वीआरएसआई जी-9, जिसके फल हल्के हरे, अंडाकार, और सफेद धारी वाले होते हैं। ये 45-50 दिन में फल देती है, और प्रति पौधा 20-25 किलो फल मिलता है। इसकी पैदावार 300-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

चौथी है इंदिरा कुंदरू 5, जिसके फल हल्के हरे और 4.3 सेमी लंबे होते हैं। ये प्रति लता 21 किलो फल देती है, और पैदावार 400-425 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

ये भी पढ़ें- धान की रोपाई से पहले अपनाएं यह खेत तैयारी की ट्रिक, कम पानी में होगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार

गर्मियों में करें कुंदरू की इन टॉप किस्मों की खेती, नोंटों से खचाखच भर जाएगी तिजोरी

खेती शुरू करने का देसी तरीका

कुंदरू की खेती शुरू करना बच्चों का खेल है। मई-जून का महीना इसके लिए सबसे मुफीद है, जब तापमान 30-35 डिग्री और बारिश 100-150 सेमी हो। दोमट, बलुई दोमट, या हल्की मिट्टी इसके लिए बेस्ट है। मिट्टी का पीएच 6.0-7.0 रखें। खेत को अच्छे से जोतकर 10-15 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालें। पौधों के बीच 1.5-2 मीटर की दूरी रखें, ताकि लताएँ अच्छे से फैलें। लताओं को सहारा देने के लिए बाँस, तार, या पुरानी रस्सियों का देसी जुगाड़ करें।

कुंदरू की कटिंग्स या बीज नजदीकी नर्सरी से लें। रोपाई के बाद हफ्ते में 1-2 बार पानी दें। अगर ड्रिप इरिगेशन हो, तो पानी की बचत होगी। 35-40 दिन में फूल आने लगते हैं, और 45-50 दिन में पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है। इसके बाद हर 4-5 दिन में फल तोड़े जा सकते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की सलाह है कि सही किस्म और समय पर रोपाई से पैदावार को और बढ़ाया जा सकता है।

मुनाफा और बाजार की माँग

कुंदरू की माँग बाजार में सालभर रहती है, और इसका दाम 20-40 रुपये प्रति किलो तक जाता है। अगर आप इंदिरा कुंदरू 35 की खेती करते हैं, तो 410-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है। औसतन 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से, एक हेक्टेयर से 12-13 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत (लगभग 50,000-70,000 रुपये) निकालने के बाद भी 10 लाख से ज्यादा मुनाफा! कुंदरू की खेती बहुवर्षीय है, यानी एक बार लगाने पर 2-4 साल तक फल मिलता है। मंडियों में इसकी डिमांड कभी कम नहीं होती, और छोटे शहरों से लेकर बड़ी मंडियों तक अच्छा दाम मिलता है।

क्यों चुनें कुंदरू की खेती?

कुंदरू की खेती इसलिए खास है क्योंकि ये कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है। ये फसल गर्मी और बरसात, दोनों मौसम में उगती है, और इसकी लताएँ कई साल तक फल देती हैं। बाजार में इसकी माँग कभी कम नहीं होती, और छोटे से लेकर बड़े किसान तक इसे आसानी से उगा सकते हैं। सही किस्म और थोड़ी मेहनत से कुंदरू का खेत आपकी जेब को सालों तक भर सकता है।

ये भी पढ़ें- प्रति एकड़ से छापने हैं नोट, तो कीजिए RVS 18 सोयाबीन वरायटी की खेती, एक एकड़ में उत्पादन होगा 10 कुंतल

Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

    View all posts

Leave a Comment