हिमाचल के किन्नौर में नहीं सुधरा कुन्नू-चारंग मार्ग, जानें क्यों किसानों को फेंकनी पड़ रही तैयार मटर की उपज

Himachal Pradesh agriculture loss: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की कुन्नू-चारंग पंचायत में इन दिनों मटर की फसल की बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा है। 03 सितंबर 2025 को मौसम ठंडा हो चला है, लेकिन इस ठंडक ने किसानों की मेहनत को ठंडा नहीं किया, बल्कि सड़ने की नौबत ला दी है। लैंडस्लाइड के कारण कुन्नू-चारंग मार्ग 20 दिन से बंद पड़ा है, जिससे तैयार मटर फसल मंडी तक नहीं पहुंच पा रही। ग्रामीण मजबूरी में इसे नदियों और नालों में फेंकने को विवश हैं। रास्ते के दोनों छोर पर मटर ढोने में समय लगता है, और इस देरी से फसल सड़ने लगती है। यह दृश्य हमारे गाँव के किसानों के दिल को दहला रहा है।

मटर, ग्रामीणों की जिंदगी की डोर

कुन्नू-चारंग, जो तिब्बत सीमा से सटा जनजातीय क्षेत्र है, के लिए मटर साल की एकमात्र नकदी फसल है। यहाँ के लोग इस फसल से अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। हर साल करीब 2.5 करोड़ रुपये की मटर बिक्री से ग्रामीणों का गुजारा होता था, लेकिन इस बार प्राकृतिक आपदा ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी अहम है, जहाँ सेना और ITBP तैनात हैं। 14 अगस्त को शाकचांग नाले में बाढ़ से पुल टूट गया, और तब से इसे ठीक करने का इंतजाम नहीं हो सका। यह स्थिति न सिर्फ फसल, बल्कि ग्रामीणों के भविष्य को भी खतरे में डाल रही है।

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ग्रामीणों का संघर्ष, मेहनत बेकार

स्थानीय लोग अपनी मेहनत से रास्ता बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लैंडस्लाइड की भयंकरता के आगे वे हार मान गए हैं। कुन्नू-चारंग के उप प्रधान सुशील कुमार बताते हैं कि 14 अगस्त को बाढ़ ने पुल को तोड़ दिया, और इसके बाद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीण रात 3:30 बजे तक मटर को स्पेन से बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगे हैं, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। निवासी शिवम नेगी कहते हैं कि पुल की मरम्मत नहीं होने से सर्दियों का राशन भी अटक गया है। यह चुनौती उनके लिए पहाड़ से भी भारी हो गई है।

सितंबर की शुरुआत में बारिश और लैंडस्लाइड ने इस क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। नमी और ठंडक मटर को जल्दी सड़ाने का कारण बन रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर रास्ता जल्द न खुला, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। मौसम विभाग के अनुसार, अगले हफ्ते भी हल्की बारिश की संभावना है, जो स्थिति को और गंभीर कर सकती है। किसानों की मेहनत को बचाने के लिए तुरंत हस्तक्षेप जरूरी है, वरना यह साल उनके लिए सूना रह जाएगा।

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सरकार और विपक्ष, बहस का दौर

भाजपा नेता और पूर्व हिमाचल फॉरेस्ट कॉरपोरेशन अध्यक्ष सूरत नेगी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा के बाद सड़कों को बहाल करने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने याद दिलाया कि जब भाजपा सत्ता में थी, तब किन्नौर से मटर को हेलीकॉप्टर से निकाला गया था। सूरत नेगी का आरोप है कि स्थानीय विधायक और राजस्व मंत्री क्षेत्र की हालत सुधारने में विफल रहे हैं। दूसरी ओर, ग्रामीण प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि पुल की मरम्मत और वैकल्पिक रास्ता तुरंत बनाया जाए।

इस संकट में ग्रामीणों ने एकजुट होकर हेलीकॉप्टर या ड्रोन से मटर निकालने का सुझाव दिया है। स्थानीय पंचायत ने प्रशासन से मदद माँगी है कि सेना और ITBP के सहयोग से राहत कार्य शुरू हो। गाँव के युवा रात-दिन मेहनत कर रहे हैं, लेकिन बिना सरकारी सहायता के यह जंग जीतना मुश्किल है। किसानों को मुआवजा और फसल बचाने के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और लोक निर्माण विभाग से भी सहायता की उम्मीद जगी है।

इस घटना से सबक लेते हुए ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर छोटे गोदाम बनाने चाहिए, जहाँ फसल सुरक्षित रखी जा सके। सरकार को बाढ़रोधी पुल और मजबूत सड़कें बनाने पर ध्यान देना होगा। किन्नौर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन को मजबूत करना जरूरी है। अगर समय रहते कदम उठाए गए, तो आने वाले सालों में ऐसी बर्बादी से बचा जा सकता है। हमारे किसानों की मेहनत को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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