अप्रैल में भिंडी पर पीला मोजैक का खतरा! 15 दिन में 2 ML इस दवा से पाएं तुरंत छुटकारा!

Ladyfinger Farming Tips : गर्मियों का मौसम आते ही किसान भाइयों के लिए भिंडी की खेती कमाई का बड़ा जरिया बन जाती है। कम वक्त में तैयार होने वाली ये फसल बाजार में अच्छा दाम दिलाती है। गर्मी में भिंडी, करेला जैसी हरी सब्जियों की माँग बढ़ जाती है, और कई बार सप्लाई कम होने से इसके दाम आसमान छूते हैं। लेकिन इस फसल को मुनाफे तक पहुँचाने के लिए सावधानी बरतनी पड़ती है।

अगर भिंडी के पौधों पर पीलापन दिखे या पत्तियों पर पीली धारियाँ नजर आएँ, तो समझ लीजिए कि फसल पर वायरस का हमला हो चुका है। ये पीला मोजैक रोग है, जो भिंडी की फसल को बर्बाद कर सकता है। समय पर इसकी रोकथाम जरूरी है, वरना मेहनत पर पानी फिर जाएगा। चलिए, जानते हैं इस रोग से कैसे बचें और भिंडी की खेती को फायदे का सौदा कैसे बनाएँ।

पीला मोजैक रोग: खतरे की घंटी

कृषि विज्ञान नियामतपुर में पादप सुरक्षा रोग की विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा बताती हैं कि भिंडी की फसल किसानों को जल्दी अच्छी कमाई देती है, लेकिन इसमें कई रोग लगते हैं। इनका सही वक्त पर इलाज जरूरी है। अगर रोगों पर काबू पा लिया जाए, तो मुनाफा पक्का है। भिंडी में पीला मोजैक रोग सबसे बड़ी मुसीबत है। इसकी वजह से पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं, पौधे की बढ़त रुक जाती है और फल कमजोर हो जाते हैं। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो पूरी फसल चौपट हो सकती है। कई किसानों ने इस रोग की वजह से नुकसान झेला है, लेकिन सही जानकारी से इसे रोका जा सकता है।

15 दिन में करें ये इलाज

डॉ. वर्मा के मुताबिक, भिंडी में पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी की वजह से फैलता है। ये कीट वायरस को एक पौधे से दूसरे तक ले जाता है। पहले पत्तियों की शिराएँ पीली पड़ती हैं, फिर धीरे-धीरे फल और पूरा पौधा पीला हो जाता है। इसे रोकने के लिए सबसे पहले सफेद मक्खी पर काबू पाना जरूरी है।

इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) नाम की दवा लें। 2 मिलीलीटर दवा को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएँ और पौधों पर अच्छे से छिड़क दें। फिर 15 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें। इस बार थायमैथॉक्सम (Thiamethoxam) की 2 मिलीलीटर दवा 1 लीटर पानी में घोलकर इस्तेमाल करें। इन दो छिड़कावों से रोग काबू में आ जाएगा और फसल बच जाएगी। कई किसान इस तरीके से अपनी भिंडी को बचा रहे हैं।

इन बातों का रखें खास ध्यान

कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। दवा डालने के 5 दिन बाद ही भिंडी की तुड़ाई करें, ताकि दवा का असर कम हो जाए। अगर इससे पहले तुड़ाई की, तो दवा का कुछ हिस्सा भिंडी में रह सकता है, जो खाने वालों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कई बार जल्दबाजी में ये गलती हो जाती है, लेकिन थोड़ी सावधानी से आप अपनी फसल और ग्राहकों दोनों की भलाई कर सकते हैं। छिड़काव करते वक्त अपने हाथ-मुँह को ढक लें और हवा के उल्टे छिड़कें, ताकि दवा आप पर न पड़े।

भिंडी की खेती का सही तरीका

भिंडी की खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए शुरू से ध्यान रखें। अप्रैल में खेत को जोतकर गोबर की खाद मिलाएँ और मिट्टी को ढीला करें। बीज बोने के 10-15 दिन बाद पहला पानी दें। पौधों को 6-8 घंटे धूप मिले, ये सुनिश्चित करें। हर 15 दिन में हल्की सिंचाई करते रहें। अगर पीला मोजैक रोग के लक्षण दिखें, तो तुरंत इलाज शुरू करें। 40-45 दिन में फसल तैयार हो जाती है। सही देखभाल से एक बीघा में 4-5 क्विंटल भिंडी निकल सकती है, और बाजार में 50-60 रुपये किलो तक बिकती है। गर्मियों में ये दाम और बढ़ जाते हैं।

मुनाफे का रास्ता

भिंडी की खेती कम लागत में बढ़िया मुनाफा देती है, बशर्ते रोगों से बचाव हो जाए। पीला मोजैक रोग को काबू करके आप अपनी फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं। किसान भाइयों, इन आसान टिप्स को अपनाइए। सही वक्त पर दवा छिड़कें, सावधानी बरतें और अपनी मेहनत को मोटी कमाई में बदलें। बाजार में भिंडी की माँग कभी कम नहीं होती, तो इस मौके को हाथ से न जाने दें।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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