अक्टूबर में करें लहसुन की बुआई, जानें फसल दोगुनी करने के देसी और वैज्ञानिक नुस्खे

किसान भाईयों, अक्टूबर का महीना शुरू हो गया है, और लहसुन की बुआई की तैयारियां भी शुरू हो गयी है। ये फसल न सिर्फ रसोई की शान है, बल्कि मेहनती किसानों की जेब भी भरती है। अगर सही तकनीक और थोड़ी देसी समझदारी से लहसुन की खेती की जाए, तो पैदावार को दोगुना करना कोई बड़ी बात नहीं। फिरोजाबाद के कृषि वैज्ञानिक और अनुभवी किसान कुछ ऐसे नुस्खे सुझाते हैं, जो कम मेहनत में ज्यादा फायदा दे सकते हैं। मशीन से बुवाई और धान की पुआल का इस्तेमाल जैसे आसान उपाय इस फसल को और चमका सकते हैं। आइए, इन देसी और वैज्ञानिक तरीकों को जानें, जो आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना देंगे।

खेत की सही शुरुआत

लहसुन की खेती का पहला कदम है खेत को तैयार करना। सर्दियों की शुरुआत, यानी अक्टूबर के आखिर या नवंबर की शुरुआत, इस फसल के लिए सबसे सही समय है। इस दौरान ठंडी हवा और मिट्टी का तापमान लहसुन की जड़ों को मजबूत करने में मदद करता है। खेत को भुरभुरा करने के लिए गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी हल्की और हवादार हो जाए। दोमट या बलुई मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। अगर खेत में पानी रुकता हो, तो ऊँची क्यारियाँ बनाएं, जिससे जड़ें सुरक्षित रहें। अनुभवी किसान सलाह देते हैं कि खेत में 8-10 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।

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मशीन बुवाई, कम मेहनत, ज्यादा फायदा

पहले लहसुन की बुवाई हाथ से होती थी, जिसमें समय और मज़दूरी का खर्चा दोनों ज्यादा लगते थे। लेकिन अब फिरोजाबाद के कृषि वैज्ञानिक मशीन बुवाई की सलाह दे रहे हैं। सीड ड्रिल या लहसुन बुवाई मशीन से गांठें एकसमान दूरी पर लगती हैं, जिससे जड़ों को फैलने का पूरा मौका मिलता है। ये मशीनें 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखकर बुवाई करती हैं, जो फसल की बढ़ोतरी के लिए आदर्श है। इससे न सिर्फ मज़दूरी का खर्च आधा होता है, बल्कि बुवाई का काम तेज़ी से पूरा हो जाता है। फिरोजाबाद के कई किसान इस तरीके को अपनाकर समय और पैसे दोनों बचा रहे हैं।

धान की पुआल, खेत का रक्षक

सर्दियों में धान की कटाई के बाद खेतों में ढेर सारी पुआल बचती है। पहले लोग इसे जला देते थे, लेकिन अब इसका सही इस्तेमाल लहसुन की खेती को चमका रहा है। बुवाई के बाद लहसुन की क्यारियों को पुआल से ढक दें। यह तरीका कई तरह से फायदेमंद है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि पुआल मिट्टी में नमी को लंबे समय तक बनाए रखती है। फिरोजाबाद में पानी की कमी आम बात है, और ये नुस्खा सिंचाई की ज़रूरत को कम करता है। साथ ही, पुआल खरपतवार को बढ़ने से रोकती है, जिससे खेत साफ रहता है और लहसुन को पूरा पोषण मिलता है।

यह कीटों और कुछ बीमारियों से भी बचाव करता है, क्योंकि पुआल की परत कीटों को जड़ों तक पहुँचने से रोकती है। समय के साथ पुआल सड़कर प्राकृतिक खाद बन जाती है, जो मिट्टी की उर्वरता को और बढ़ाती है। यह देसी जुगाड़ न सिर्फ फसल को मजबूत करता है, बल्कि खेती की लागत भी घटाता है।

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फसल की देखभाल, छोटे कदम, बड़ा मुनाफा

लहसुन की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर देखभाल ज़रूरी है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई हल्की करें, ताकि मिट्टी नम रहे। फिरोजाबाद के मौसम में हर 10-12 दिन बाद पानी देना काफी है, लेकिन पुआल की परत हो तो पानी की ज़रूरत और कम हो जाती है। खाद के लिए संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश डालें। अनुभव से पता चलता है कि प्रति हेक्टेयर 100 किलो यूरिया, 50 किलो डीएपी और 40 किलो पोटाश दो हिस्सों में देना चाहिए—पहली बार बुवाई के समय और दूसरी बार 30-40 दिन बाद।

कीटों और बीमारियों से बचने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें। अगर पत्तियों पर बैंगनी धब्बे दिखें, तो यह ब्लाइट रोग हो सकता है। इसके लिए स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लेकर फफूंदनाशी दवा का इस्तेमाल करें। ये छोटी-छोटी सावधानियाँ आपकी फसल को स्वस्थ रखती हैं और मुनाफा बढ़ाती हैं।

कीटों और रोगों से जंग

लहसुन की फसल को थ्रिप्स या ब्लाइट जैसे रोग परेशान कर सकते हैं। फिरोजाबाद के किसान नीम की खली या गोमूत्र को पानी में मिलाकर छिड़काव करते हैं, जो कीटों को भगाने में कारगर है। अगर खरपतवार की समस्या हो, तो पुआल की परत के साथ शुरुआती 20-30 दिन में हल्की निराई-गुड़ाई करें। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि यमुना सफेद-3 या यमुना सफेद-4 जैसी नई किस्में रोगों के खिलाफ ज्यादा मजबूत होती हैं। इन किस्मों को अपनाने से ब्लाइट या अन्य रोगों का खतरा कम हो जाता है।

लहसुन की खेती को और फायदेमंद बनाने के लिए सरकार कई योजनाएँ चला रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत लहसुन के बीजों पर सब्सिडी मिलती है। अगर आप मशीन बुवाई या ड्रिप सिंचाई अपनाना चाहते हैं, तो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से अनुदान मिल सकता है। फिरोजाबाद के कई किसान इन योजनाओं का फायदा उठाकर अपनी खेती को सस्ता और आसान बना रहे हैं। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें, क्योंकि 2025 में नई स्कीम्स शुरू हो रही हैं, जो लहसुन जैसी मसाला फसलों पर खास ध्यान दे रही हैं। ये योजनाएँ बीज, खाद और मशीनों का खर्च कम करती हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।

मुनाफे की राह, लहसुन का बाजार

फिरोजाबाद में लहसुन की खेती न सिर्फ आजीविका का साधन है, बल्कि बाजार में अच्छी कमाई भी देती है। एक हेक्टेयर में 80-100 क्विंटल लहसुन की पैदावार हो सकती है, और बाजार में प्रति क्विंटल 10,000 से 15,000 रुपये तक कीमत मिलती है। मशीन बुवाई और पुआल का इस्तेमाल लागत को कम करता है, जिससे मुनाफा और बढ़ता है। अनुभवी किसान सलाह देते हैं कि लहसुन को प्याज या मिर्च जैसी फसलों के साथ मिलाकर उगाने से खेत का पूरा इस्तेमाल होता है। कटाई मार्च या अप्रैल में करें, जब गांठें पूरी तरह पक जाएँ। सही देखभाल और देसी नुस्खों से लहसुन की फसल न सिर्फ खेत को हरा-भरा रखती है, बल्कि आपकी जेब को भी भर देती है।

लहसुन की खेती फिरोजाबाद की शान है। मशीन से बुवाई, धान की पुआल और सही देखभाल के साथ आप अपनी फसल को दोगुना कर सकते हैं। नई किस्में चुनें, सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं और देसी नुस्खों को अपनाएं। ये छोटे-छोटे कदम आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना देंगे। आजमाकर देखिए, लहसुन की खुशबू आपके खेतों से लेकर बाजार तक छा जाएगी!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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