बिहार के अररिया जिले में किसान बदलते समय के साथ खेती के नए तरीकों को अपना रहे हैं। पारंपरिक फसलों की जगह अब वे सब्जियों की खेती पर ध्यान दे रहे हैं, जो कम समय में अच्छा मुनाफा देती हैं। इनमें लाल साग की खेती किसानों के लिए सुनहरा अवसर बन रही है। इसकी बाज़ार में बढ़ती मांग और कम मेहनत की जरूरत इसे खास बनाती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि लाल साग महज 30 दिनों में तैयार हो जाता है और प्रति किलो 30 रुपये तक बिकता है। अररिया के किसान इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं। आइए जानें कि लाल साग की खेती कैसे शुरू करें और इससे मुनाफा कैसे कमाएँ।
लाल साग की खेती क्यों है खास
लाल साग, जिसे चौलाई या रेड स्पिनेच भी कहते हैं, एक पौष्टिक सब्जी है, जो अपनी लाल पत्तियों के लिए जानी जाती है। यह विटामिन A, C, आयरन, और प्रोटीन से भरपूर है, जिसकी वजह से शहरी बाज़ारों में इसकी मांग बढ़ रही है। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, लाल साग गर्म और नम जलवायु में अच्छी तरह उगता है, जो बिहार जैसे क्षेत्रों के लिए आदर्श है। अररिया के रानीगंज प्रखंड के किसान मोहम्मद इजरायल ने अपनी आधे एकड़ जमीन पर लाल साग उगाकर अच्छी कमाई की है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि इसकी खेती में कम लागत और मेहनत लगती है, फिर भी मुनाफा शानदार होता है।
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खेती का सही समय और मिट्टी
लाल साग की बुवाई मानसून के बाद या सर्दियों की शुरुआत में, यानी जुलाई से नवंबर के बीच, करना सबसे अच्छा है। यह फसल 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है। दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जल निकासी हो, इसके लिए उपयुक्त है। वैज्ञानिक सलाह के अनुसार, मिट्टी का pH 6-7 होना चाहिए। खेत की जुताई करके 5-7 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। किसानों के अनुभव बताते हैं कि खेत को समतल करने और खरपतवार हटाने से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। अररिया के किसान बीजों को छिड़काव विधि से बोते हैं, जिससे कम समय में ज्यादा पौधे उगते हैं।
रोपण और देखभाल के आसान तरीके
लाल साग की खेती (Lal Saag Ki Kheti) में ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं है। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ और उनके बीच 15-20 सेंटीमीटर की दूरी रखें। शुरुआत में नियमित सिंचाई करें, लेकिन ज्यादा पानी से बचें, क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। किसानों के अनुभव बताते हैं कि नीम का तेल (5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव कीटों से बचाव करता है। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, बवेरिया बेसियाना जैसे जैविक कवक का उपयोग कीट नियंत्रण में कारगर है। खरपतवार हटाने के लिए 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।
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बाज़ार मांग और मुनाफा
लाल साग की बाज़ार में मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में, जहाँ लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं। अररिया में यह 30 रुपये प्रति किलो बिकता है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि आधे एकड़ में 2-3 लाख रुपये का मुनाफा संभव है। मोहम्मद इजरायल जैसे किसान अपनी फसल को स्थानीय मंडियों और बड़े शहरों में बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, लाल साग की शेल्फ लाइफ अच्छी होती है, जिससे इसे दूर के बाज़ारों में भी भेजा जा सकता है। सही मार्केटिंग के साथ किसान प्रति हेक्टेयर 4-5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।
लाल साग की खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि केंद्र से बीज और तकनीकी सलाह लें। छोटे स्तर पर शुरुआत करें और परिणाम देखकर बढ़ाएँ। ड्रिप इरिगेशन और जैविक खाद का उपयोग करें। बाज़ार में मांग का अध्ययन करके बिक्री की रणनीति बनाएँ। किसानों के अनुभव बताते हैं कि लाल साग की खेती न केवल मुनाफेदार है, बल्कि कम समय में आय का भरोसेमंद जरिया बन सकती है।
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