किसान साथियों, आज हम एक नया और देसी तरीका सीखेंगे – लसागना गार्डन बेड। ये एक आसान, सस्ता और प्राकृतिक तरीका है, जिसमें बिना खेत जोते आप सब्जियाँ, फूल या जड़ी-बूटियाँ उगा सकते हैं। लसागना गार्डन बेड परत-दर-परत बनता है, जैसे खाने की लसागना में परतें होती हैं। इसमें घास, कचरा, पत्तियाँ और खाद डालकर मिट्टी तैयार की जाती है, जो फसलों को भरपूर खुराक देती है। गाँव के आँगन, छत या खेत में इसे बनाकर आप अच्छी पैदावार ले सकते हैं। ये तरीका मेहनत और पानी बचाता है। आइए जानते हैं कि लसागना गार्डन बेड कैसे बनाएं।
लसागना बेड का पूरा परिचय
लसागना गार्डन बेड एक ऊँची क्यारी है, जिसमें मिट्टी जोतने या खुदाई की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें कई परतें होती हैं—अखबार, घास, कचरा और खाद की। ये परतें सड़कर मिट्टी बनाती हैं, जो पौधों के लिए खुराक से भरपूर होती है। बेड 1-2 फीट ऊँचा और 3-4 फीट चौड़ा बनाया जा सकता है। 2-3 महीने में ये तैयार हो जाता है। गाँव में छोटे बगीचे, आँगन या खेत के कोने में इसे आसानी से बना सकते हैं। ये मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और खरपतवार को रोकता है।
सही जगह चुनने का तरीका
लसागना बेड के लिए ऐसी जगह लें जहाँ दिन में 5-6 घंटे धूप मिले। आँगन, छत या खेत का कोई कोना चुनें। 4×4 फीट का बेड छोटी जगह के लिए बढ़िया है, या जितनी जगह हो, उतना बनाएँ। जमीन को समतल करें, ताकि परतें ठीक से जम सकें। अगर घास वाली जगह हो, तो और अच्छा, क्यूंकि घास पहली परत का काम करेगी। जून-जुलाई में बारिश से पहले या अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों की शुरुआत में बनाना शुरू करें। नमी से परतें जल्दी सड़कर तैयार होती हैं।
परतें बनाने की आसान विधि
सबसे पहले जमीन पर अखबार या गत्ते की 4-5 परतें बिछाएँ। ये खरपतवार को उगने से रोकता है। ऊपर 2-3 इंच गीली घास, सूखी पत्तियाँ, स्ट्रॉ या कटी हुई टहनियाँ डालें। फिर 2 इंच गोबर की खाद, किचन का कचरा (सब्जियों के छिलके, फलों का गूदा) या हरा कचरा डालें। इसके ऊपर मिट्टी की पतली परत चढ़ाएँ। ये परतें 3-4 बार दोहराएँ, जैसे लसागना में लेयर बनाते हैं। सबसे ऊपर 4-5 इंच मिट्टी डालें। हर परत को हल्का पानी छिड़कें। बेड को ढक दें और 2-3 महीने तक सड़ने दें।
सामग्री जुटाने के देसी स्रोत
लसागना बेड की खासियत ये है कि सारी सामग्री घर से ही मिल जाती है। पुराने अखबार, गत्ते के टुकड़े या कार्डबोर्ड गाँव में आसानी से मिलते हैं। सूखी घास, पत्तियाँ या खेत का कचरा इस्तेमाल करें। गोबर की खाद अपने पशुओं से लें, या पास के किसान से माँग लें। किचन से सब्जियों के छिलके, फलों का कचरा या बचा हुआ खाना डालें। मिट्टी खेत से लें या नर्सरी से 50-100 रुपये में खरीदें। वर्मी कंपोस्ट ऑनलाइन 200-300 रुपये में मिलता है। ये सारी चीजें सस्ती हैं और आसानी से जुट जाती हैं।
देखभाल के सरल टिप्स
बेड बनने के बाद 2-3 महीने तक परतों को सड़ने का वक्त दें। हफ्ते में एक बार हल्का पानी छिड़कें, ताकि नमी बनी रहे। सड़ने की प्रक्रिया में बेड नीचे बैठेगा, तब ऊपर से थोड़ी मिट्टी और डाल सकते हैं। कीटों से बचाने के लिए नीम की पत्तियाँ या लकड़ी की राख छिड़कें। तैयार बेड में सब्जियाँ जैसे पालक, टमाटर, मिर्च या फूल बोएं। परतें नमी रोकती हैं, तो पानी कम लगेगा। खरपतवार भी कम उगेंगे, जिससे मेहनत बचती है। हर साल थोड़ी खाद डालकर बेड को ताजा रखें।
फसल लेने का मज़ा और फायदा
2-3 महीने बाद बेड तैयार हो जाता है। इसमें बीज बोएं या पौधे रोपें। एक 4×4 फीट बेड से 10-15 किलो सब्जियाँ मिल सकती हैं। लागत सिर्फ 200-500 रुपये आती है, जो अखबार, खाद और मिट्टी में खर्च होती है। बाज़ार में बेचें तो 1000-2000 रुपये की कमाई हो सकती है। घर में ताजी सब्जियाँ मुफ्त मिलेंगी। ये मिट्टी हर साल बेहतर होती है, तो बार-बार बनाने की जरूरत नहीं। दूसरी फसलों के लिए भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
सावधानियाँ
लसागना बेड से जोताई का झंझट खत्म होता है। ये कचरे को काम में लाता है और मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। पानी और मेहनत की बचत होती है। मगर गीला कचरा ज्यादा न डालें, वरना बदबू या फंगस हो सकता है। इसे हवादार जगह पर बनाएँ। मांस या तेल वाला कचरा न डालें। सही तरीके से बनाएं, तो ये सालों तक फायदा देगा।