रबी सीजन का आखिरी दौर चल रहा है और मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार के लाखों किसान भाई चने की बुवाई में देरी कर चुके हैं। बाजार में चने के भाव 6000-7000 रुपये क्विंटल तक पहुँच गए हैं, लेकिन देर से बुवाई में गलत तकनीक अपनाई तो पैदावार 15-20 प्रतिशत तक गिर सकती है।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ. कुलमी ने साफ चेतावनी दी है कि “पलेवा देकर बुवाई बिल्कुल न करें, वरना आप 15 दिन और पीछे हो जाएँगे”। पलेवा देने, खेत सूखने और फिर बोनी करने में 12-15 दिन लग जाते हैं, जबकि सूखे में बोकर तुरंत सिंचाई करने से बीज 3-4 दिन में अंकुरित हो जाता है। इससे फसल का पूरा चक्र तेजी से चलता है, टिलरिंग अच्छी होती है और अंत में 2-3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का फायदा हो जाता है।
पलेवा देकर बुवाई क्यों नहीं करनी
डॉ. कुलमी ने स्पष्ट किया है कि पलेवा देने का पुराना तरीका अब देर से बुवाई में घातक साबित हो रहा है। पलेवा देने के बाद खेत को सूखने में 10-12 दिन लग जाते हैं, फिर जुताई और बुवाई में 3-4 दिन और। कुल मिलाकर 15 दिन की देरी हो जाती है। इस देरी से फसल का टिलरिंग और फूल आने का समय पीछे खिसक जाता है, जिससे उपज में सीधा 2-3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का नुकसान होता है।
इसके बजाय खेत को हल्की जुताई करके तैयार रखें और सूखी मिट्टी में ही बीज डाल दें। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें बीज को नमी मिलते ही 3-4 दिन में अंकुरण शुरू हो जाएगा। ये तरीका इतना असरदार है कि पिछले साल हजारों किसानों ने इसे अपनाकर देर से बुवाई में भी रिकॉर्ड तोड़ा है।
सूखे में बुवाई
सूखी मिट्टी में बोया बीज डालने से बीज मिट्टी के अच्छे संपर्क में आता है। जैसे ही पहली सिंचाई करते हैं, नमी एकसमान पहुँचती है और अंकुरण 90-95 प्रतिशत तक हो जाता है। पलेवा में ऐसा नहीं कर पाता, क्योंकि ऊपरी परत सूखने पर बीज का संपर्क टूट जाता है। सूखे में बोने से जड़ें गहराई तक जाती हैं, जिससे पौधा सूखा और ठंड दोनों सहन कर लेता है। टिलरिंग 20-25 प्रतिशत ज्यादा होती है। कुल मिलाकर फसल 10-15 दिन पहले तैयार हो जाती है, जो देर से बुवाई में बहुत बड़ा फायदा है।
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बीज उपचार क्यों जरूरी
देर से बुवाई में मिट्टी का तापमान कम रहता है, जिससे फफूंद और कीटों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बीज उपचार अनिवार्य है। प्रति किलो बीज पर 3 ग्राम वीटा वेक्स पावर और 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर उपचारित करें। वीटा वेक्स पावर नाइट्रोजन फिक्स करने वाले बैक्टीरिया देता है, जिससे पौधे को शुरू से ही नाइट्रोजन मिलती रहती है। ट्राइकोडर्मा मिट्टी जनित फफूंद (विल्ट, रूट रॉट) को खत्म कर देता है। ये उपचार सिर्फ 20-30 रुपये प्रति क्विंटल बीज का खर्चा है, लेकिन उपज में 2-3 क्विंटल का फायदा देता है। बिना उपचार के बोया बीज 20-30 प्रतिशत कम अंकुरित होता है।
देर से बुवाई में कौन सी किस्में चुनें
देर से बुवाई (दिसंबर) में विजय, जाकी-9218, जेजे-1195 या आरवीजी-202 जैसी किस्में सबसे अच्छी चलती हैं। ये 115-125 दिन में तैयार हो जाती हैं और 18-20 क्विंटल तक देती हैं।
तुरंत करें ये 5 काम
- खेत की हल्की जुताई करके तैयार रखें
- प्रमाणित बीज लें और वीटा वेक्स और ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें
- सूखी मिट्टी में ड्रिल से बोएँ
- बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें
- 25-30 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण करें
बिहार, यूपी, एमपी, राजस्थान के किसान भाई, अभी भी समय है। पलेवा छोड़ें, सूखे में बोकर तुरंत पानी दें। बीज उपचार करें। 15 दिन बचाएं, 2-3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कमायें।
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