गेहूं की लेट बुआई वाले किसान ध्यान दें! खेत में लगा दें ये तीन वैरायटी… देंगी जबरदस्त पैदावार

Late Wheat Sowing Tips: रबी सीजन की बुवाई का आखिरी दौर चल रहा है और बारिश-नमी की वजह से लाखों किसान गेहूं बोने में देरी कर चुके हैं। सहरसा के कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. नदीम अख्तर ने साफ चेतावनी दी है कि अगर 10 दिसंबर के बाद भी साधारण किस्म बो दी तो हर दिन प्रति हेक्टेयर 1 क्विंटल से ज्यादा का नुकसान हो सकता है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि तीन ऐसी उन्नत किस्में हैं जो देर से बुवाई में भी 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार देती हैं DBW-187 (करण वंदना), सबौर समृद्धि और सबौर सृष्टा।

ये किस्में सिर्फ 120-125 दिन में तैयार हो जाती हैं, रोगों से लड़ती हैं और कम पानी-खाद में चलती हैं। अगर अभी नमी है तो जीरो टिलेज मशीन से तुरंत बो दें यूरिया की बचत होगी, मिट्टी की नमी बनी रहेगी और फसल तेजी से उभरेगी। बिहार, पूर्वी यूपी और झारखंड के किसान भाई ये आखिरी मौका है आज ही कृषि विज्ञान केंद्र या बीज भंडार से प्रमाणित बीज ले आएँ, दिसंबर के आखिर में भी बंपर पैदावार पक्की।

DBW-187 (करण वंदना) देर से बुवाई का सुपरस्टार

ये किस्म IIWBR करनाल ने तैयार की है और पूर्वी भारत के लिए सबसे ज्यादा रेकमेंडेड है। देर से बुवाई (15 दिसंबर तक) में भी ये 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दे देती है। परिपक्वता सिर्फ 120-125 दिन में हो जाती है। सबसे बड़ी ताकत पत्ती झुलसा, यलो रस्ट और कर्णाल बंट में अच्छी प्रतिरोधक क्षमता। दाने चमकदार, मध्यम आकार के और चपाती में स्वाद लाजवाब। कम पानी वाली सिंचाई में भी चलती है, इसलिए सूखे वाले इलाकों में भी बेस्ट। डॉ. नदीम अख्तर कहते हैं कि बिहार-झारखंड के किसानों ने पिछले साल इस किस्म से देर से बुवाई करके भी रिकॉर्ड तोड़ा है।

सबौर समृद्धि

सबौर कृषि विश्वविद्यालय (भागलपुर) ने तैयार की ये किस्म पूर्वी भारत के लिए खासतौर पर है। देर से बुवाई (20 दिसंबर तक) में भी 45 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती है। परिपक्वता 118-122 दिन में हो जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, खासकर पत्ती झुलसा और रस्ट में। दाने मोटे, चमकदार और चपाती में स्वाद शानदार। कम उर्वरक और कम पानी में चलने की खासियत से छोटे किसानों की पहली पसंद। बिहार के सहरसा, पूर्णिया, कटिहार में पिछले साल इसने सबसे ज्यादा उपज दी।

ये भी पढ़ें- श्रीराम सुपर 1-SR-14 गेहूं किस्म से होगी 80+ क्विंटल/हेक्टेयर रिकॉर्ड पैदावार, किसान कमा रहे लाखों रुपये

सबौर सृष्टा नई पीढ़ी की किस्म

सबौर की ही एक और नई किस्म जो देर से बुवाई में भी कमाल कर रही है। औसतन 48 से 58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। परिपक्वता 120-125 दिन में। गर्मी और सूखे को सहन करने की ताकत है, इसलिए अगर ठंड देर से आए तो भी फसल नहीं रुकेगी। रोग प्रतिरोधक क्षमता सबौर समृद्धि से भी बेहतर। बिहार और पूर्वी यूपी के किसानों के लिए ये नई उम्मीद बन रही है।

देर से बुवाई में भी बंपर पैदावार के 5 गोल्डन टिप्स

  1. जीरो टिलेज अपनाएँ – धान की कटाई के तुरंत बाद मशीन से बुवाई करें, यूरिया 20-25% बचता है, नमी बनी रहती है और फसल 5-7 दिन पहले तैयार होती है।
  2. बीज दर बढ़ाएँ – सामान्य 100 किलो की जगह 125-150 किलो प्रति हेक्टेयर डालें, ताकि पौधों की संख्या ज्यादा हो।
  3. बीज उपचार जरूरी – कार्बेन्डाजिम या थीरम 2 ग्राम/किलो से उपचारित करें, फफूंद से बचाव होगा।
  4. उर्वरक में नाइट्रोजन बढ़ाएँ – बेसल डोज में 25% ज्यादा नाइट्रोजन डालें, पहली टॉप ड्रेसिंग जल्दी करें।
  5. पहली सिंचाई जल्दी – बुवाई के 15-18 दिन बाद ही पहला पानी दें, ताकि टिलरिंग तेज हो।

बीज कहाँ से लें

ये तीनों किस्में कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और राजकीय बीज भंडारों पर उपलब्ध हैं। DBW-187 (करण वंदना) करनाल से, सबौर समृद्धि और सृष्टा सबौर विश्वविद्यालय से मिल रही हैं। सब्सिडी पर 50% तक छूट है, आज ही निकटतम केंद्र पहुँचें। प्रमाणित बीज ही लें, ताकि अंकुरण 95% से ज्यादा हो।

10 दिसंबर के बाद भी अच्छी पैदावार चाहते हैं तो ये तीन किस्में और जीरो टिलेज अपनाएं। डॉ. नदीम अख्तर का कहना है कि सही फैसला लिया तो देर से बुवाई भी किस्मत बदल देगी।

ये भी पढ़ें- चना की टॉप 4 किस्में जो दे रही हैं रिकॉर्ड पैदावार, किसानों की बल्ले-बल्ले!

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment