आम-अमरूद के बागों में दिखे जाले? लीफ वेबर का हमला शुरू – तुरंत करें ये उपाय

Leaf Weber Pest: उत्तर भारत, खासकर बिहार में पिछले 3-4 सालों से आम, अमरूद और लीची के बागों में एक नया कीट तेजी से फैल रहा है – लीफ वेबर (Orthaga europedralis)। पहले ये मामूली कीट था, लेकिन जलवायु परिवर्तन – ज्यादा नमी, अनियमित बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव – ने इसे प्रमुख दुश्मन बना दिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के प्लांट पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह चेतावनी देते हैं कि जुलाई से दिसंबर तक ये कीट सबसे सक्रिय रहता है। पत्तियों पर रेशमी जाले दिखना खतरे की घंटी है।

अगर समय पर प्रबंधन न किया तो पत्तियां सूखकर गिरेंगी, पेड़ की ग्रोथ रुकेगी, नई कोपलें नहीं आएंगी और फल उत्पादन 30-50% तक गिर सकता है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि प्रो. सिंह की बताई IPM (एकीकृत कीट प्रबंधन) रणनीति से इसे 70-80% तक नियंत्रित किया जा सकता है।

कीट का जीवनचक्र और नुकसान का तरीका

लीफ वेबर की मादा तितली पत्ती की निचली सतह पर अंडे देती है। 5-7 दिनों में अंडों से लार्वा निकलता है। पहली अवस्था में ये पत्ती की ऊपरी सतह को कुतरता है। दूसरी अवस्था से ही ये रेशमी जाल बनाकर 2-3 पत्तियां आपस में जोड़ लेता है और जाल के अंदर छिप जाता है। यहां से ये पूरा पत्ता खाता है, सिर्फ मिडरिब (बीच की नस) और मुख्य शिराएं छोड़ता है। प्रो. सिंह बताते हैं कि घने और बिना छंटाई वाले बागों में ये कीट तेजी से फैलता है।

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प्रो. सिंह कहते हैं कि कीट की पहचान आसान है। पत्तियों पर रेशमी जाले दिखना पहला संकेत है। 2 या उससे ज्यादा पत्तियां आपस में चिपकी हुईं मिलें तो समझ जाएं कि कीट सक्रिय है। जाल के अंदर हरा या हल्का भूरा रंग का लार्वा दिखेगा। जाल में कीट का मलकण (काला गोबर जैसा) भी मिलेगा। शाखाओं के सिरे निष्क्रिय हो जाते हैं, पत्तियां सूखने लगती हैं। प्रो. सिंह की सलाह है कि हफ्ते में एक बार बाग का निरीक्षण करें। अगर 10% पत्तियों पर जाले दिखें तो तुरंत प्रबंधन शुरू कर दें।

निवारक प्रबंधन

कीट नियंत्रण की पहली सीढ़ी है रोकथाम। प्रो. सिंह कहते हैं कि घने और अव्यवस्थित बाग लीफ वेबर के लिए स्वर्ग हैं। नियमित कटाई-छंटाई से हवा का संचलन बढ़ता है, सूर्य की रोशनी पेड़ के अंदर तक पहुंचती है और कीट छिप नहीं पाते। साल में कम से कम 2 बार छंटाई जरूर करें। जहां भी जाले दिखें, उन पत्तियों को काटकर जला दें। इससे लार्वा और अंडे नष्ट हो जाते हैं। पौधों की उचित दूरी रखें – आम में 10×10 मीटर, अमरूद में 6×6 मीटर। संतुलित खाद (NPK), जैविक कम्पोस्ट और समय पर सिंचाई से पेड़ मजबूत रहते हैं, कीट का अटैक कम होता है।

जैविक नियंत्रण, पर्यावरण सुरक्षित और प्रभावी तरीके

प्रो. सिंह जैविक तरीकों को सबसे ज्यादा तवज्जो देते हैं। बाग में प्राकृतिक दुश्मन जैसे लेडीबर्ड बीटल, लेसविंग, मकड़ी और ट्राइकोग्रामा ततैया को बढ़ावा दें। ये कीट के अंडे और लार्वा को खा जाते हैं। इसके लिए कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद करें। बैसिलस थुरिंजिएन्सिस (BT) आधारित बायोपेस्टीसाइड लार्वा की शुरुआती अवस्था में बहुत असरदार है। 2-3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें – 60-70% नियंत्रण मिलेगा। नीम तेल (अजाडिरेक्टिन 300-1500 ppm) 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन स्प्रे करें। ये अंडों की हैचिंग रोकता है और लार्वा को मारता है।

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रासायनिक नियंत्रण

जब जैविक और निवारक तरीके नाकाफी हों तो रासायनिक कीटनाशक अंतिम विकल्प हैं। प्रो. सिंह कहते हैं कि पहले सभी जाले काटकर नष्ट करें, फिर स्प्रे करें। इससे दवा सीधे लार्वा पर असर करेगी। सुझाए गए कीटनाशक हैं – लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 5 EC (2 मिली/लीटर पानी) या क्विनालफॉस 25 EC (1.5 मिली/लीटर)। पहला स्प्रे करने के 15-20 दिन बाद दूसरा जरूर करें। स्प्रे जुलाई-अगस्त में शुरू करें, जब लार्वा छोटा होता है।

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM), सबसे वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीका

प्रो. सिंह IPM को सबसे बेहतरीन रणनीति बताते हैं। इसमें नियमित निगरानी, कीट की सीमा निर्धारण और सभी तरीकों का संयोजन शामिल है। फेरोमोन ट्रैप लगाकर वयस्क कीटों की गिनती करें। पत्तियों पर जालों की संख्या नोट करें। 5-10% जाले पर एक्शन शुरू करें। IPM में छंटाई, जैविक स्प्रे और जरूरत पर रसायन का बैलेंस इस्तेमाल होता है। इससे कीट नियंत्रित रहता है, पर्यावरण सुरक्षित रहता है और उत्पादन स्थिर रहता है।

प्रो. एस.के. सिंह का संदेश स्पष्ट है – लीफ वेबर अब आम, अमरूद और लीची के बागों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। लेकिन समय पर पहचान, नियमित निरीक्षण, जालों की कटाई, जैविक उपाय और IPM अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। जुलाई से दिसंबर तक खास सतर्कता बरतें। स्वस्थ बाग ही समृद्ध बाग है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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