लीची की फसल के लिए सबसे खतरनाक ये 3 कीट! जानिए बचाव के असरदार तरीके

Litchi Farming Tips: किसान भाइयों, गर्मी का मौसम आते ही बाजार में मीठी और रसीली लीची की बातें शुरू हो जाती हैं। अभी बाजार में फल नहीं आए हैं, लेकिन जल्द ही बिक्री शुरू होगी। लीची के पेड़ों में फल लगने लगे हैं, और अब इनकी खास देखभाल का वक्त है। अगर मंजर ठीक न रहा तो फल कम आएंगे या गिर जाएंगे। इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें कीट और रोग सबसे बड़ी मुसीबत हैं। तो चलिए, जानते हैं कि लीची के पेड़ों को कीटों से कैसे बचाना है और फसल को कैसे बढ़िया रखना है।

इस मौसम में मौसम का बदलाव लीची के लिए परेशानी ला रहा है। कीटों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे फल खराब हो रहे हैं। खासकर स्टिंक बग, दहिया कीट और लीची माइट फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इनसे फूल और फल झड़ते हैं, और मेहनत पर पानी फिर जाता है। लेकिन सही तरीके अपनाएं तो फसल को बचा सकते हैं।

स्टिंक बग से बचाव

स्टिंक बग लीची के नए पत्तों, फूलों और फलों का रस चूसता है। ज्यादा रस चूसने से मंजर सूख जाते हैं, फूल और फल गिरने लगते हैं। फल काले पड़ जाते हैं और उनकी मिठास खराब हो जाती है। टहनियाँ भी सूखने लगती हैं। ये कीट 80 फीसदी तक नुकसान कर सकता है। सुबह के वक्त पेड़ की डालियों को हल्के से हिलाएं, कीट नीचे गिरेंगे। इन्हें इकट्ठा करके मिट्टी में दबा दें या जला दें। दवा के लिए थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली और फिप्रोनिल 5% एससी 1.5 मिली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। इससे कीट काबू में आएंगे।

दहिया कीट का इलाज

दहिया कीट भी लीची के लिए बड़ी मुसीबत है। इसके बच्चे और मादा कीट पत्तियों के नीचे से रस चूसते हैं। इससे पत्तियाँ भूरी और मखमली होकर सिकुड़ जाती हैं, फिर सूखकर गिरने लगती हैं। खेत की निराई-गुड़ाई करें, इससे कीट के अंडे नष्ट होंगे। पेड़ के तने पर 30 सेमी चौड़ी प्लास्टिक की पट्टी लपेटें और उस पर ग्रीस लगाएं, ताकि कीट ऊपर न चढ़ें। तने को जड़ से 3-4 फीट ऊपर तक चूने से पोत दें। इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी या थायमेथोक्साम 25% WG 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। ये दवाएँ कीट को खत्म करेंगी।

लीची माइट से निपटें

लीची माइट का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। ये कीट पत्तियों के नीचे से रस चूसता है, जिससे पत्तियाँ भूरी होकर सिकुड़ती और गिरती हैं। इससे फल कम लगते हैं। प्रभावित पत्तियों और टहनियों को काटकर जला दें। सल्फर 80% चूर्ण 3 ग्राम, डाइकोफॉल 18.5% ई.सी 3 मिली, इथियॉन 50% ई.सी 2 मिली या प्रोपरजाइट 57% ई.सी 2 मिली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ये उपाय माइट को काबू में रखेंगे।

पेड़ों की देखभाल का देसी ढंग

लीची के पेड़ों को कीटों से बचाने के लिए खेत को साफ रखें। नीम का तेल या गोबर का घोल छिड़कें, ये देसी नुस्खे कीटों को भगाते हैं। हल्की सिंचाई करें, लेकिन पानी जमा न हो। सुबह-शाम पेड़ों की जाँच करें और कीट दिखें तो फौरन हटाएँ। दवाओं का इस्तेमाल सावधानी से करें।

फसल को बचाएँ

किसान भाइयों, लीची की बागवानी आपकी मेहनत का फल है। स्टिंक बग, दहिया और माइट से लड़ने के लिए अभी से तैयारी करें। देसी तरीके और दवाएँ दोनों आजमाएँ। सही वक्त पर कदम उठाएँ तो फल गिरने से बचेंगे और बाजार में अच्छा दाम मिलेगा। मेहनत रंग लाएगी!

ये भी पढ़ें- ये 5 औषधीय पौधे बना सकते हैं आपको करोड़पति, बस एक बार करें खेती और जीवनभर होगी कमाई

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment