Lobia DC-15 Variety: मॉनसून की बारिश शुरू होते ही खेतों में खरीफ फसलों की बुआई का समय आ जाता है। इस मौसम में लोबिया की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। यह एक ऐसी नकदी फसल है, जो न सिर्फ़ सब्जी और दाल के लिए उपयोगी है, बल्कि हरी खाद और पशुओं के चारे के लिए भी बढ़िया है। लोबिया की फलियाँ कच्ची होने पर सब्जी के रूप में और पकने पर दाल के रूप में इस्तेमाल होती हैं। बाज़ार में इसकी माँग हमेशा बनी रहती है, जिससे अच्छा दाम मिलता है। अगर सही किस्म और सही तरीके से खेती करें, तो 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है।
लोबिया की खेती का सही समय
लोबिया की खेती मैदानी इलाकों में फरवरी से अक्टूबर तक की जा सकती है, लेकिन मॉनसून के दिन इसके लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं। जुलाई की शुरुआत में, जब बारिश अच्छी तरह शुरू हो जाए, तब बुआई करना बेहतर है। बारिश की कमी होने पर हल्की सिंचाई की ज़रूरत पड़ सकती है। खेत में पानी जमा न होने दें, क्योंकि इससे फसल खराब हो सकती है। सही समय पर बुआई करने से फूल और फलियाँ अच्छे आते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है।
DC-15 किस्म की खासियत
लोबिया की DC-15 किस्म बहुत उन्नत और मुनाफेदार है। यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट जैसी बीमारी से लड़ने में मज़बूत है और एफिड्स जैसे कीटों को भी सहन कर लेती है। इसकी फलियाँ हल्की हरी और मोटी होती हैं, जिनकी लंबाई 20 से 22 सेंटीमीटर तक हो सकती है। यह किस्म बसंत, गर्मी, और बारिश, तीनों मौसम में बोई जा सकती है। सबसे अच्छी बात यह है कि DC-15 सिर्फ़ 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 10 से 13 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है, जो बाज़ार में अच्छा दाम दिला सकती है।
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बीज कहाँ से लें
लोबिया की DC-15 किस्म का बीज राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) की वेबसाइट पर आसानी से मिल जाता है। अभी 5 किलो बीज का पैकेट 16 फीसदी छूट के साथ 812 रुपये में उपलब्ध है। यह ऑफर 3 जुलाई 2025 तक है, और बीज खरीदने पर एक टी-शर्ट मुफ्त मिल रही है। राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट से ऑनलाइन ऑर्डर करके बीज सीधे घर मँगवाए जा सकते हैं। जल्दी ऑर्डर करें, ताकि ऑफर का फायदा उठाया जा सके।
खेत को कैसे करें तैयार
लोबिया की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। खेत को समतल करें और पानी की निकासी का अच्छा इंतज़ाम करें। खेत की जुताई एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से करें, फिर दो बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करें। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, जो बुआई के लिए सही है। बुआई में देरी न करें, क्योंकि देर होने से फूल आने का समय कम हो जाता है और पैदावार घट सकती है। पंक्तियों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले।
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मिट्टी को बनाएँ ताकतवर
लोबिया की अच्छी फसल के लिए मिट्टी को ताकतवर करना ज़रूरी है। गोबर की खाद या वर्मी-कम्पोस्ट डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। अगर मिट्टी की जाँच कराएँ, तो यह पता चल सकता है कि कौन-से पोषक तत्वों की कमी है। इसके आधार पर जैविक खाद या सूक्ष्म पोषक तत्व डालें। जैविक खेती से न सिर्फ़ फसल अच्छी होती है, बल्कि बाज़ार में जैविक लोबिया की माँग भी बढ़ रही है, जिससे बेहतर दाम मिलता है। मिट्टी जाँच के लिए नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।
पानी और कीटों का प्रबंधन
लोबिया को ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन मॉनसून में बारिश कम होने पर हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह पानी बचाता है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है। सरकार ड्रिप सिस्टम के लिए सब्सिडी देती है, जिसके बारे में कृषि केंद्र से जानकारी ली जा सकती है। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें। ये तरीके सस्ते और फसल के लिए सुरक्षित हैं। समय पर कीट प्रबंधन से फसल को नुकसान नहीं होता।
क्यों चुनें लोबिया की खेती
लोबिया की खेती किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। ये न सिर्फ़ कम समय में तैयार होती है, बल्कि बाज़ार में इसकी अच्छी डिमांड भी है। हरी फलियां सब्जी के तौर पर बिकती हैं, और सूखे बीज दाल के लिए इस्तेमाल होते हैं। साथ ही, ये पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भी देती है। DC-15 जैसी उन्नत किस्मों ने इस फसल को और भी खास बना दिया है। कम खर्च, कम मेहनत और ज़्यादा मुनाफे की वजह से लोबिया आज हर किसान की पसंद बन रही है। तो देर किस बात की? राष्ट्रीय बीज निगम से DC-15 का बीज मंगवाएं और लोबिया की खेती शुरू करके अपनी कमाई को नई उड़ान दें।
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