मचान विधि से सब्जी खेती का नया फॉर्मूला, लौकी-करेला में होगी बंपर कमाई

खेती का दौर बदल रहा है, और किसान भाई अब पुरानी जमीन पर फैलने वाली बेलों से ऊब चुके हैं। लौकी, ककड़ी, करेला, तोरी जैसी बेलदार फसलों को अब मचान पर चढ़ाकर उगाएं यह विधि न सिर्फ उत्पादन दोगुना कर देगी, बल्कि मेहनत और लागत आधी। कृषि विशेषज्ञ दिनेश जाखड़ बताते हैं कि मचान विधि में पौधों को तारों या बांस के सहारे ऊपर चढ़ाया जाता है, जिससे धूप-हवा भरपूर मिलती है। फल बड़े, चमकदार और स्वादिष्ट। कीट-बीमारी कम, बाजार में भाव ज्यादा।

पारंपरिक खेती में बेलें जमीन पर फैल जाती हैं, खरपतवार उगते हैं, कीट लगते हैं, फल गंदे हो जाते हैं। लेकिन मचान पर पौधे ऊपर रहते हैं, तो देखभाल आसान। सिंचाई, छिड़काव, कटाई सब सुविधाजनक। मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है, पानी की बचत। प्राकृतिक खाद से जैविक सब्जी, बाजार में प्रीमियम दाम। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विधि छोटे किसानों के लिए वरदान है 0.5 एकड़ में भी लाखों की कमाई संभव।

मचान विधि की खासियतें जो दिलाएंगी बंपर फायदा

यह तकनीक बेलदार सब्जियों के लिए परफेक्ट है। पौधों को ऊपर चढ़ाने से हवा का प्रवाह बेहतर, फफूंद-बीमारी दूर। फल लटकते हैं, तो सूरज की रोशनी सीधी पड़ती है रंग चटक, आकार बड़ा, स्वाद मीठा। उत्पादन पारंपरिक से 1.5-2 गुना। एक एकड़ में जहां 100 क्विंटल लौकी मिलती थी, वहां मचान से 180-200 क्विंटल। कीटों का अटैक कम क्योंकि पौधे जमीन से दूर। निराई-गुड़ाई की जरूरत न के बराबर। कटाई आसान, फल साफ-सुथरे। बाजार में 5-10 रुपये प्रति किलो अतिरिक्त भाव।

जमीन की बचत सबसे बड़ा प्लस। सामान्य खेती में बेलें 10-15 फुट फैलती हैं, लेकिन मचान पर पौधे ऊर्ध्वाधर बढ़ते हैं। एक ही जगह पर ज्यादा पौधे लगते हैं घनत्व 20-30% बढ़ जाता है। छोटे खेत वाले किसान भी फायदा उठा सकते हैं। मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, क्योंकि बेलें फैलकर मिट्टी नहीं दबातीं। पानी की बचत 20-25%, क्योंकि ड्रिप सिंचाई आसानी से लगाई जा सकती है।

ये भी पढ़ें- बीएयू ने तैयार किया बिना बीज वाला टमाटर, किसानों को होगा डबल मुनाफा

मचान कैसे बनाएं?

सबसे पहले मजबूत मचान तैयार करें। बांस, लोहे की पाइप या जीआई तार इस्तेमाल करें। ऊंचाई 6-7 फुट, चौड़ाई 4-5 फुट। खंभे 10-12 फुट की दूरी पर गाड़ें, ऊपर जाली या तार बांधें। लागत प्रति एकड़ 20-30 हजार रुपये, जो एक सीजन में निकल जाती है। मचान 4-5 साल चलता है।

फसल चुनें लौकी, ककड़ी, करेला, तोरी, चिचिंडा। उन्नत किस्में जैसे पूसा संयोग लौकी, पूसा उजाला ककड़ी। नर्सरी से 25-30 दिन पुरानी पौध लगाएं। दूरी पौधे से पौधे 2 फुट, लाइन से लाइन 4-5 फुट। रोपाई के बाद तुरंत बेलों को मचान पर चढ़ाने की ट्रेनिंग दें। सिंचाई ड्रिप या हल्की स्प्रिंकलर से। खाद में गोबर 10-15 टन, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट मिलाएं। NPK बैलेंस नाइट्रोजन 60 किलो, फॉस्फोरस 40, पोटाश 50 प्रति हेक्टेयर।

कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल 5 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। फल मक्खी के लिए फेरोमोन ट्रैप। फफूंद के लिए त्रिचोडर्मा। प्राकृतिक खाद से जैविक सर्टिफिकेशन लें, भाव दोगुना। कटाई जब फल परिपक्व हों—लौकी 1-1.5 किलो, ककड़ी 200-300 ग्राम। सुबह-शाम काटें, ताजगी बनी रहे।

राजस्थान, हरियाणा, यूपी के किसान इसे अपना रहे हैं। छोटे किसान 0.25 एकड़ से शुरू कर 1 लाख कमा रहे हैं। महिलाएं भी घर के पास मचान लगा रही हैं।

प्राकृतिक तरीके अपनाएं

रासायनिक छोड़ें, प्राकृतिक अपनाएं। कंपोस्ट: गोबर, पत्ते, कचरा मिलाकर 45 दिन में तैयार। वर्मी कंपोस्ट से मिट्टी जीवंत। नीम पत्ती उबालकर स्प्रे कीट भागेंगे। गौमूत्र+नीम का मिश्रण फफूंद रोकता है। जैविक सब्जी का सर्टिफिकेट लें, भाव 50% ज्यादा।

मचान विधि न सिर्फ कमाई बढ़ाएगी, बल्कि खेती को मजेदार बनाएगी। किसान भाई, नजदीकी कृषि केंद्र से ट्रेनिंग लें। सब्सिडी पर मचान सामग्री उपलब्ध। छोटे से शुरू करें, बड़ा सोचें। यह विधि आपकी जिंदगी बदल देगी कम मेहनत, ज्यादा खुशहाली। आज ही प्लान बनाएं!

ये भी पढ़ें- गेंहू की जगह करें चुकंदर के इस किस्म की खेती, 100 दिन कमायें 6 लाख रूपये

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment