मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में मछुआ समुदाय की मेहनत और साहस को सराहा है। उन्होंने कहा कि मछुआरों का पानी में खेती करना अपने जीवन को खतरे में डालने जैसा है, जो असाधारण हिम्मत का काम है। सदियों से मछली और मछुआरों का गहरा नाता रहा है, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार भी मछुआ कल्याण बोर्ड के जरिए इस समुदाय के उत्थान के लिए कदम उठा रही है। डॉ. यादव का मानना है कि मछली पालन सिर्फ आजीविका नहीं, एक आधुनिक उद्योग है, और इसे अन्य उद्योगों की तरह सभी सुविधाएँ मिलेंगी। यह बदलाव मछुआरों के जीवन में नई रोशनी ला रहा है, और युवाओं को रोजगार के अवसर भी दे रहा है।
निषादराज सम्मेलन, एक नई शुरुआत
शनिवार को उज्जैन के कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने मछुआ समुदाय को प्रेरित किया। उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर भगवान निषादराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया और मछली पालन से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। यह आयोजन मछुआरों के लिए नई उम्मीद लेकर आया, जहाँ सरकार ने उनकी समृद्धि और सुरक्षा के लिए कई घोषणाएँ कीं। सम्मेलन में मछुआ कल्याण बोर्ड की योजनाओं को रेखांकित किया गया, जो इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने का संकल्प दर्शाता है।
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स्मार्ट फिश पार्लर और केज परियोजनाएँ
मुख्यमंत्री ने 22 करोड़ 65 लाख रुपये की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन किया, जो मछली पालकों को बेहतर बिक्री सुविधाएँ देगा। साथ ही, इंदिरा सागर बांध में 92 करोड़ रुपये की लागत से 3360 केज परियोजनाओं का वर्चुअल भूमि-पूजन भी हुआ, जो मछली उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगा। इन परियोजनाओं से मछुआरों को आधुनिक तकनीक और आय के नए स्रोत मिलेंगे। इसके अलावा, भोपाल में 40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क का निर्माण शुरू हो रहा है, जो मछली पालन को उद्योग का दर्जा देने की दिशा में बड़ा कदम है।
मछुआरों के लिए आधुनिक सुविधाएँ
डॉ. यादव ने मछुआरों को 430 मोटरसाइकिलें वितरित कीं, जिनमें आइस बॉक्स लगे हैं, ताकि मछली को ताजा रखकर बाजार तक पहुँचाया जा सके। प्रदेश में 4.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन हो रहा है, और 2024-25 में 3.81 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ है। लगभग 2 लाख मछली पालक पंजीकृत हैं, जिनमें महिलाएँ भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। सरकार ने 217 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक हैचरी का निर्माण शुरू किया है, जो मछली बीज उत्पादन में बंगाल पर निर्भरता खत्म करेगा। यह कदम मछुआरों की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।
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मछुआ क्रेडिट कार्ड और सब्सिडी
मछुआ कल्याण और मत्स्य पालन मंत्री नारायण सिंह पंवार ने बताया कि सरकार मछुआरों को मछुआ क्रेडिट कार्ड वितरित कर रही है, जो व्यापार संचालन में मदद करेगा। साथ ही, मछली पालन के लिए सब्सिडी दी जा रही है, जो लागत कम करेगी। नई सरकार के प्रयासों से मछुआ समुदाय को मुख्यधारा में लाने की पहल हुई है। मछुआ कल्याण बोर्ड का लक्ष्य 2028 तक कई उपलब्धियाँ हासिल करना है, जिसमें रोजगार और कल्याण शामिल हैं। यह कदम मछुआरों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में है।
महिलाओं की भूमिका और भविष्य की दृष्टि
महिलाएँ मछली पालन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं, जो इस क्षेत्र में बदलाव का संकेत है। सरकार का लक्ष्य मध्य प्रदेश को दूध और मछली उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना है। आधुनिक मशीनों और स्टार्टअप्स के साथ मछली पालन उद्योग नई ऊँचाइयों को छू रहा है। मछुआ कल्याण बोर्ड की योजनाएँ न सिर्फ रोजगार दे रही हैं, बल्कि समुदाय की सुरक्षा और सम्मान को भी बढ़ावा दे रही हैं।
निषादराज सम्मेलन में शामिल हस्तियाँ
सम्मेलन में मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम बाथम ने मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि की तारीफ की। उन्होंने कहा कि जो काम सालों में नहीं हुए, वे अब महीनों में हो रहे हैं। उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा सहित कई जनप्रतिनिधियों और मछली पालकों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन मछुआ समुदाय के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक बना।
मछली पालन अब सिर्फ परंपरा नहीं, एक आर्थिक ताकत बन रहा है। सरकार की योजनाएँ और निवेश मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाएंगे। अगर आप इस क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं, तो मछुआ कल्याण बोर्ड की सुविधाओं का लाभ उठाएँ और अपनी मेहनत को मुनाफे में बदलें। यह समय मछुआ समुदाय के लिए सुनहरा भविष्य ला रहा है, जहाँ मेहनत और तकनीक साथ मिलकर समृद्धि का रास्ता बनाएँगी।
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