850 ग्राम की रिकॉर्ड तोड़ सबसे बड़ी प्याज उगाकर किसान ने मचाई धूम, जानें खेती के राज

खेती-किसानी में मेहनत और सही तरीका हो तो कुछ भी मुमकिन है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा के किसान राधेश्याम परिहार ने ऐसा ही कमाल किया है। उनके खेत में उगी एक प्याज की गांठ का वजन 850 ग्राम तक पहुंच गया, जो पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी मानी जा रही है। ये कमाल उन्होंने जैविक खेती से किया। उनकी मेहनत ने न सिर्फ बंपर पैदावार दी, बल्कि सरकार से 20 लाख रुपये की इनामी राशि भी दिलाई। आइए, जानते हैं कि राधेश्याम ने ये कैसे किया और आप भी अपनी खेती को फायदेमंद बना सकते हैं।

जैविक खेती का जादू

राधेश्याम पिछले 10 साल से जैविक खेती कर रहे हैं। वो कहते हैं कि रासायनिक खाद और कीटनाशक मिट्टी को सख्त कर देते हैं और फसल में पोषण भी कम हो जाता है। इससे पैदावार पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए उन्होंने जैविक खेती शुरू की। गोबर की खाद, केंचुए की खाद, और नीम-गौमूत्र से बने कीटनाशक इस्तेमाल करके उन्होंने मिट्टी को मुलायम और ताकतवर बनाया। राधेश्याम बताते हैं, “जैविक खेती से फसल में स्वाद और ताकत बढ़ती है, और मिट्टी भी सालों तक उपजाऊ रहती है।”

नासिक रेड 53 बीज की ताकत

इस बार राधेश्याम ने प्याज की खेती के लिए नासिक रेड 53 बीज चुना। ये बीज उनकी जमीन और मौसम के लिए एकदम फिट रहा। एक एकड़ में उन्होंने 220 क्विंटल प्याज उगाया, जो आम पैदावार से कहीं ज्यादा है। उनकी सबसे बड़ी प्याज की गांठ 850 ग्राम की निकली, जिसे देखकर कृषि अधिकारी भी हैरान रह गए। राधेश्याम कहते हैं कि प्याज की गांठ को बड़ा करने के लिए मिट्टी का ढीला होना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने खेत को अच्छे से जोता और गोबर की खाद डाली, ताकि मिट्टी में नमी और हवा बनी रहे।

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कम खर्च, बड़ा मुनाफा

जैविक खेती में खर्चा कम लगता है। राधेश्याम ने बाजार की महंगी खाद की बजाय घर पर गोबर और केंचुए की खाद बनाई। नीम का तेल और गौमूत्र से बने कीटनाशक इस्तेमाल किए, जो सस्ते और असरदार हैं। इससे उनकी लागत घटी और फसल की क्वालिटी बढ़ी। बाजार में जैविक प्याज की मांग ज्यादा है, इसलिए उन्हें अच्छा दाम मिला। राधेश्याम कहते हैं, “जैविक प्याज का स्वाद और टिकाऊपन ज्यादा होता है, जिससे व्यापारी जल्दी खरीद लेते हैं।”

मिट्टी और पानी का ध्यान

प्याज की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी को समझना जरूरी है। सख्त मिट्टी में प्याज की गांठ छोटी रहती है। राधेश्याम ने खेत को बार-बार जोतकर ढीला किया और जैविक खाद डाली। पानी का भी सही इस्तेमाल किया। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन अपनाया। अगर ये महंगा लगे, तो बारिश का पानी इकट्ठा करने का जुगाड़ कर सकते हो। खेत के किनारे छोटा गड्ढा बनाकर पानी स्टोर करें, इससे बिजली और डीजल का खर्च बचेगा।

मध्य प्रदेश सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस साल 4 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती का लक्ष्य है। सरकार मुफ्त सोलर पंप दे रही है, जिससे बिजली का खर्च बचेगा। राधेश्याम को उनकी मेहनत के लिए 20 लाख रुपये की इनामी राशि मिली। आप भी गाँव के कृषि केंद्र से ऐसी योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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