मध्य प्रदेश सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत करने और फल उत्पादन बढ़ाने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसका नाम है ‘एक बगिया मां के नाम’। इस योजना में स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएँ अपने खेतों में फलदार बगीचे लगा सकेंगी। अच्छी बात ये है कि बगीचा लगाने का सारा खर्च सरकार उठाएगी। ये योजना न सिर्फ़ महिलाओं को रोजगार देगी, बल्कि उनके परिवार की आमदनी को भी बढ़ाएगी। आइए जानते हैं कि ये योजना कैसे काम करेगी और इससे गाँव की बहनों को क्या फायदा होगा।
फलदार बगीचे से खुशहाली का रास्ता
इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज़्यादा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ज़मीन पर 30 लाख फलदार पौधे लगाए जाएँगे। ये काम 900 करोड़ रुपये की लागत से होगा, और इसे मनरेगा योजना के ज़रिए पूरा किया जाएगा। हर बगीचे में आम, अमरूद, नींबू जैसे फलदार पौधे लगाए जाएँगे, जो सालों-साल फल देकर कमाई का ज़रिया बनेंगे। ये बगीचे न सिर्फ़ महिलाओं की जेब भरेंगे, बल्कि गाँवों को हरा-भरा भी बनाएँगे। ये योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से प्रेरित है, जो पर्यावरण और आजीविका दोनों को बढ़ावा देती है।
कितनी ज़मीन चाहिए और कैसे होगा चयन?
इस योजना में शामिल होने के लिए महिला के पास कम से कम आधा एकड़ या ज़्यादा से ज़्यादा एक एकड़ ज़मीन होनी चाहिए। अगर महिला के नाम पर ज़मीन नहीं है, तो उनके पति, पिता, ससुर या बेटे की ज़मीन पर उनकी सहमति से बगीचा लगाया जा सकता है। आधा एकड़ में 50 फलदार पौधे और एक एकड़ में 100 पौधे लगाए जाएँगे। पौधों का चयन सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से होगा, जो मिट्टी और मौसम के हिसाब से सही पौधे चुनने में मदद करेगा। इस सॉफ्टवेयर से पानी के स्रोत और पौधों की मॉनिटरिंग भी होगी, ताकि बगीचा अच्छे से तैयार हो।
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सरकार देगी हर तरह की मदद
इस योजना में सरकार महिलाओं को हर कदम पर सहारा देगी। पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदने, पौधे खरीदने, तार की बाड़ लगाने और 50 हजार लीटर का जलकुंड बनाने का सारा खर्च मनरेगा के ज़रिए दिया जाएगा। इतना ही नहीं, तीन साल तक पौधों की देखभाल और जैविक खाद का पैसा भी सरकार देगी। हर बगीचे के लिए करीब 3 लाख रुपये की मदद तीन साल में दी जाएगी। साथ ही, हर 25 एकड़ पर एक कृषि सखी नियुक्त होगी, जो महिलाओं को बगीचे की देखभाल में मदद करेगी। ड्रोन और सैटेलाइट से इन बगीचों की निगरानी होगी, ताकि सब कुछ सही ढंग से चले।
कब और कैसे शुरू करें?
ये योजना 15 अगस्त 2025 से शुरू होगी और 15 सितंबर तक चलेगी। स्वयं सहायता समूह की इच्छुक महिलाएँ 15 जुलाई तक ‘एक पेड़ मां के नाम’ ऐप के ज़रिए आवेदन कर सकती हैं। पहले साल सिर्फ़ 30 हजार महिलाओं को चुना जाएगा, और हर ब्लॉक से 100 महिलाओं का चयन होगा। अगर आप इस योजना का हिस्सा बनना चाहती हैं, तो अपने नज़दीकी पंचायत या ग्रामीण विकास विभाग से संपर्क करें। ये योजना न सिर्फ़ कमाई का मौका देगी, बल्कि आपके खेत को भी हरा-भरा बनाएगी।
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