महाराष्ट्र में शुरू हुई कृषि समृद्धि योजना, 25,000 करोड़ के निवेश से किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

किसान भाइयों, महाराष्ट्र सरकार ने आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी दी है। खेती को और फायदेमंद बनाने के लिए कृषि समृद्धि योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत अगले पाँच साल में 25,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसमें हर साल 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। यह योजना न सिर्फ खेती की लागत कम करेगी, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का रास्ता खोलेगी। उत्तर प्रदेश के किसान भाई भी इस योजना से प्रेरणा ले सकते हैं और अपने यहाँ ऐसी योजनाओं की माँग कर सकते हैं।

किसानों को समृद्ध बनाने का संकल्प

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बताया कि यह योजना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के जन्मदिन पर किसानों को खास तोहफे के रूप में दी गई है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और खेती को आत्मनिर्भर बनाने का एक बड़ा कदम है। कोकाटे ने कहा कि यह योजना सिर्फ फसल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों के जीवन में लंबे समय तक चलने वाला बदलाव लाएगी। खासकर बारिश की अनिश्चितता और बाजार की अस्थिरता से जूझ रहे किसानों के लिए यह योजना एक वरदान साबित होगी।

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खेती में नए अवसरों का रास्ता

इस योजना का मकसद खेती को आधुनिक और टिकाऊ बनाना है। इसके तहत किसानों को कई तरह की सुविधाएँ मिलेंगी। सरकार खेतों में आधुनिक बुनियादी ढाँचे, जैसे गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, और सिंचाई सुविधाओं के लिए निवेश करेगी। इससे फसल खराब होने का नुकसान कम होगा और किसानों को सही समय पर बाजार में बेहतर दाम मिल सकेंगे। साथ ही, फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि किसान एक ही फसल पर निर्भर न रहें। उदाहरण के लिए, सोयाबीन और कपास के साथ-साथ फल, सब्जियाँ, या मसाले की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आय के स्रोत बढ़ेंगे।

जलवायु अनुकूल खेती पर जोर

कृषि समृद्धि योजना में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खास कदम उठाए जाएँगे। किसानों को ऐसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो पानी का कम इस्तेमाल करें और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखें। नैनो यूरिया और जैविक खाद जैसे विकल्पों को बढ़ावा दिया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं। इसके अलावा, फसल कटाई के बाद मूल्यवर्धन (वैल्यू एडिशन) के लिए सुविधाएँ दी जाएँगी, जैसे प्रोसेसिंग यूनिट और पैकेजिंग सेंटर। इससे किसान अपनी फसल को सीधे तेल, आटा, या अन्य उत्पादों में बदलकर ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे।

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तकनीकी सहायता और वित्तीय मदद

इस योजना के तहत किसानों को नई तकनीकों, जैसे ड्रिप इरिगेशन, ड्रोन से छिड़काव, और स्मार्ट फार्मिंग, के लिए वित्तीय मदद मिलेगी। सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को सही समय पर सलाह देगी। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और सहकारी समितियाँ सक्रिय भूमिका निभाएँगी। योजना में मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर भी ध्यान है, ताकि किसानों को बिचौलियों के बजाय सीधे बाजार से अच्छा दाम मिले। उदाहरण के लिए, नासिक के एक किसान ने बताया कि ऐसी योजनाओं से उनकी अंगूर की फसल को विदेशी बाजारों में भेजने में मदद मिली, जिससे उनकी कमाई दोगुनी हुई।

अगर आप अपने खेतों में नई तकनीक, फसल विविधीकरण, या बेहतर सिंचाई सुविधाएँ लाना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। वहाँ से आपको केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी मिल सकती है। खासकर, नैनो यूरिया और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों को अपनाकर आप खेती की लागत कम कर सकते हैं।

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  • Shashikant

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